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हरियाणा सरकार को झटका: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया 5 बोनस अंकों का प्रावधान

हरियाणा सरकार को झटका: सुप्रीम कोर्ट ने रद्द किया 5 बोनस अंकों का प्रावधान
हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में बीजेपी की नायाब सैनी सरकार सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। 

 पंजाब-हरियाणा हाई कोर्ट के बाद अब हरियाणा सरकार को सुप्रीम कोर्ट से भी बड़ा झटका लगा है। राज्य में सरकारी नौकरियों में सामाजिक-आर्थिक आधार पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों को 5 बोनस अंक दिए जाने के फैसले पर SC ने भी रोक लगा दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने इसे असंवैधानिक करार दिया है। इस मामले में हरियाणा सरकार फंसती हुई नजर आ रही है। एससी से राहत न मिलने के बाद सरकार पुनर्विचार याचिका दायर कर सकती है। अगर फिर भी राहत न मिली तो भर्तियां रद्द कर नए सिरे से एग्जाम लेना होगा।

ऐसे में साल 2023 में निकाली गई ग्रुप सी और और डी में नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं की नौकरी पर तलवार लटक गई है। अब उन्हें दोबारा एग्जाम देना पड़ेगा। अगर वे पास नहीं हो पाए तो नौकरी से बर्खास्त हो जाएंगे। इन्हें भर्ती वाले साल में ही नियुक्ति भी दे दी गई थी।

हरियाणा में अक्टूबर-नवंबर में विधानसभा चुनाव हैं। ऐसे में बीजेपी की नायाब सैनी सरकार सरकार के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी हो गई है। मालूम हो कि हरियाणा की मनोहर लाल खट्‌टर​​​ सरकार ने नौकरियों में सामाजिक व आर्थिक आधार पर पिछड़े आवेदकों को 5 बोनस अंक देने का फैसला किया था।

यह 5 मई, 2022 से लागू किया था। इसके तहत जिस परिवार में कोई भी सदस्य सरकारी नौकरी में न हो और परिवार की आमदनी सालाना 1.80 लाख रुपए से कम हो, ऐसे परिवार के आवेदक को 5 अतिरिक्त अंक का लाभ मिलता है।

हरियाणा कर्मचारी चयन आयोग के कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट में 1.80 लाख सालाना इनकम वाले परिवारों को बोनस अंक का लाभ दिया था। राज्य के परिवार पहचान पत्र वाले युवाओं को ही यह फायदा मिला। साल 2023 में निकाली गई ग्रुप सी और डी की भर्ती में ये फैसला लागू हुआ था। 

हाई कोर्ट की डबल बेंच ने फैसले को कर दिया था खारिज

कई अभ्यर्थियों ने इस फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती दी। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट की डबल बेंच ने 31 मई 2024 को बोनस अंक देने के फैसले को खारिज किया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि यह एक प्रकार से आरक्षण देने जैसा है।

जब आर्थिक पिछड़ा वर्ग के तहत राज्य सरकार ने पहले ही आरक्षण का लाभ दिया है तो यह आर्टिफिशियल श्रेणी क्यों बनाई जा रही है। हाई कोर्ट ने कहा था कि सरकारी नियुक्ति में किसी फायदे को एक राज्य के लोगों तक सीमित नहीं रखा जा सकता है।

संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 तथा नीति निर्देशक सिद्धांत पूरे भारत में लागू होते हैं। हाई कोर्ट ने आदेश में सभी पदों पर भर्ती के लिए नए सिरे से आवेदन मांगने को कहा था। सरकार को 6 महीने में भर्ती पूरी करने के लिए कहा गया था।

नायब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दी थी चुनौती

हाई कोर्ट के फैसले के बाद हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सैनी ने इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही थी। 5 दिन पहले सरकार ने इस मामले को लेकर 4 अपीलें दायर की थीं।

सरकार की ओर से पहली तारीख में दो और अपील दायर करने के लिए सुप्रीम कोर्ट से टाइम मांगा गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज की तारीख तय की थी। इसके बाद सोमवार को फैसला भी आ गया।

अब साल 2023 में निकाली गई ग्रुप सी और डी में नियुक्ति पा चुके 23 हजार युवाओं की नौकरी पर तलवार लटक गई है। युवाओं को दोबारा एग्जाम देना पड़ेगा।

अगर वे पास नहीं हो पाए तो नौकरी से बर्खास्त हो जाएंगे। जो युवा करीब डेढ़ साल से नौकरी कर रहे हैं, सरकार ने उन्हें सैलरी भी दी। ऐसे में अगर दोबारा एग्जाम में वह फेल हुए और नौकरी नहीं मिली तो उन्हें सारी सैलरी लौटानी होगी। 


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