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Winter Diseases: जानिए शीतलहर में किन बीमारियों का रहता है खतरा, बचाव का तरीका

Winter Diseases: जानिए शीतलहर में किन बीमारियों का रहता है खतरा, बचाव का तरीका
Sardiyo me konsi bimari hoti hai: मौसम विभाग मुताबिक नार्थ इंडिया में न्यूनतम तापमान जब 4.5 डिग्री सेल्सियस से कम है और ओवरऑल टेंपरेचर 10 डिग्री या उससे कम रहे, तो इस कंडीशन को शीत लहर या कोल्ड वेव कहा जाता है।

Haryana News Post : Sheet Lahar, Common Winter Illnesses : इस समय देश के कई राज्य शीत लहर की चपेट में हैं, जिसको लेकर सरकार ने अलर्ट जारी कर दिया है।

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बता दें ठंड का मौसम जितना सुहावना होता है उतना ही सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है। क्योंकि इस मौसम में हार्ट, अस्थमा और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को ज्यादा परेशानी झेलनी पड़ती है।

इसलिए इसे हल्के में लेने की गलती बिलकुल ना करें। क्योंकि थोड़ी सी लापरवाही मौत का कारण बन सकती है। तो चलिए जानते हैं  शीतलहर से सेहत को क्या नुकसान होगा।

क्यों बढ़ी ठंड?

मौसम विभाग मुताबिक नार्थ इंडिया में न्यूनतम तापमान जब 4.5 डिग्री सेल्सियस से कम है और ओवरऑल टेंपरेचर 10 डिग्री या उससे कम रहे, तो इस कंडीशन को शीत लहर या कोल्ड वेव कहा जाता है।

हिमालय से आने वाली सर्द हवाओं और ला नीना की वजह से इस समय नार्थ इंडिया शीत लहर की चपेट में है। प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में होने वाले परिवर्तन का जिक्र ला नीना से करते हैं।

ला नीना की वजह से पैसिफिक ओशन में डिस्टरबेंस होता है और समुद्र का ठंडा पानी सतह पर आ जाता है। इसी वजह से दिसम्बर 2022 से फरवरी 2024 तक देश में ठंड बढ़ी रहेगी।

सेहत में ठंड लगने के लक्षण क्या?

सिरदर्द होना। सीने में जकड़न और दर्द रहना। मांसपेशियों में दर्द होना। खांसी-जुकाम होना। सांस लेने में दिक्कत। बुखार  आना। हाथ-पैर ठंडे और सुन्न होना।

क्या शीत लहर से जान जा सकती?

जी हां। हर साल शीतलहर की वजह से कई लोग जान गवां देते हैं। ठंड बढ़ने से पहले से बीमार लोगों की कॉम्प्लिकेशन्स बढ़ जाती हैं जिससे जान जा सकती है। वहीं, कोविड के बाद से दिल, सांस और लंग्स से जुड़ी कई बीमारियां हैं जो सर्दी में जानलेवा हो सकती हैं।

सर्दियों में हाथ-पैर क्यों रहते हैं ठंडे?

सर्दियों में अक्सर हाथ-पैरों तक ब्लड फ्लो जाते-जाते कम हो जाता है। ठंड ज्यादा होने से हाथ-पैरों की नसें सिकुड़ जाती हैं। इसी वजह से सर्दियों में अक्सर लोगों के हाथ-पैर ठंडे रहते हैं। यह सामान्य है और इससे घबराने की जरूरत नहीं है।

ये टिप्स आजमाएं: आयरन से भरपूर डाइट जैसे चुकंदर, पालक, खजूर, अखरोट खाएं। तेल से मसाज करने से पंजों का ब्लड सकुर्लेशन बेहतर होता है।

इससे आक्सीजन की सप्लाई सही होती है। एक टब में गर्म पानी और सेंधा नमक डालकर हाथ-पैरों की सिकाई कर सकते हैं। हाथ-पैरों को गर्म सॉक्स और ग्लव्स से ढ़ककर रखें। गुनगुने सरसों के तेल से मालिश करें।

शीत लहर में इन बीमारियों का रहता है खतरा?

खांसी-जुकाम की समस्या होना?

सर्दियों में खांसी-जुकाम की समस्या बढ़ जाती है और सांस लेने में दिक्कत आती है।

उपाय: खांसी-जुकाम होने पर तुरंत डॉक्टर की सलाह लें। गुनगुना पानी पिएं। 2-3 लेयर गर्म कपड़े पहनें। ठंडी चीजें खाने से बचें।

अर्थराइटिस की दिक्कत?

इस मौसम में अर्थराइटिस मरीज के लिए मुश्किल होता है। इस समय उनके जोड़ों का दर्द और सूजन बढ़ जाती है।

उपाय: डॉक्टर की सलाह पर दवाई लें। गर्म कपड़ें पहनें। शरीर को गर्म रखने के लिए सही डाइट लें। हल्की एक्सरसाइज करें।

हार्ट अटैक का डर?

आपको बता दें सर्दियों में ज्यादातर दिल ठीक से ब्लड पंप नहीं कर पाता जिससे हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

उपाय: खुद को एक्टिव रखें, समय-समय पर चेकअप कराएं। ब्लड शुगर और ब्लड प्रेशर को नॉर्मल रखें। खुद को ज्यादा गर्म न रखें, ओवर हीटिंग से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ता है। ठंड के मौसम में खाना हमेशा ताजा और गर्म ही खाएं।

एग्जिमा की समस्या?

बता दें स्किन से मिलती झुलती समस्या सर्दियों में कॉमन है। एग्जिमा किसी भी उम्र में हो सकता है। इसमें स्किन सूखी, लाल और पपड़ीदार हो जाती है और खुजली होने लगती है। ज्यादा ठंड होने पर यह समस्या बढ़ जाती है।

उपाय: नहाने के लिए तेज गर्म पानी का इस्तेमाल न करें। स्किन पर ज्यादा केमिकल वाले प्रोडक्ट्स यूज न करें। मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल करें। विटामिन डी से भरपूर चीजें खाएं।

अस्थमा की परेशानी?

सर्दियों में सांस की नली में सूजन बढ़ जाती है। इस वजह से सांस लेने का रास्ता छोटा हो जाता है और सांस लेने में परेशानी होती है। इससे खांसी और सीने में जकड़न भी महसूस होती है।

उपाय: कम से कम घर से बाहर निकलें। बाहर जाएं तो मास्क का प्रयोग करें। धूल और धुएं से बचें। ठंडी प्रकृति यानी तासीर वाली चीजें न खाएं

बच्चों और बुजुर्गों का ऐसे रखें ध्यान?

सर्दी में ज्यादातर बच्चे और बुजुर्ग घर में ही समय बिताते हैं। ऐसे में आप दिन के समय धूप आने के लिए खिड़कियां खोल दें। शाम में धूप जाने से पहले इन्हें बंद जरूर कर दें।

घर में मोटे पर्दों का इस्तेमाल करें जिससे बाहर की सर्द हवा अंदर न आ सकें। कमरे में चादर, कंबल, परदे वगैरह गहरे रंग के इस्तेमाल करें। बेड पर कंबल या गर्म चादर बिछाएं। ठंड की वजह से बच्चे का पेट दर्द हो रहा है या पेट साफ नहीं हो रहा है तो अजवाइन का इस्तेमाल करें।

हल्के गुनगुने तेल से मालिश करें। इसके लिए नारियल तेल, सरसों का तेल, बादाम का तेल या बेबी आयल इस्तेमाल कर सकते हैं। बच्चों को मौसम के हिसाब से फल और सब्जियां खिलाएं।

इससे उनकी इम्यूनिटी मजबूत होगी। ज्यादा ठंड पड़ने पर बुजुर्गों को घर से बाहर न जाने दें। एक मोटे कपड़े की जगह दो-तीन लेयर गर्म कपड़े पहनाएं। बुजुर्गों को एक्सरसाइज जरूर कराएं। सुबह-शाम की जगह दोपहर में एक्सरसाइज कराएं।

शीत लहर से बचने के लिए क्या खाएं?

हल्दी वाले दूध के साथ च्यवनप्राश खाएंं। इससे इम्यूनिटी मजबूत होगी। तुलसी, लौंग, अदरक और काली मिर्च से बनी चाय पिएं। ग्रीन टी, लेमन टी, ब्लैक टी और सूप भी ले सकते हैं। विटामिन सी से भरपूर चीजें जैसे संतरा, नींबू, आंवले का जूस पिएं।

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