Tehzeeb Hafi Shayari: तहजीब हाफी की शायरी लफ्जों में जादू, दिल को छूने वाली बातें

Tehzeeb Hafi Shayari: शायरी जो दिल को बांध लेती है
तहजीब हाफी की शायरी में जिंदगी के रंग, दर्द, और उम्मीद की खूबसूरत छाप मिलती है। उनका एक शेर है, "मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ, पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे" - ये पंक्तियाँ जिंदगी की नाजुकता को बयां करती हैं। वहीं, "ये एक बात समझने में रात हो गई है, मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है" में गहरी सोच और भावनाओं का मेल देखने को मिलता है। उनके लफ्जों में ऐसा आकर्षण है कि आप इन्हें बार-बार पढ़ना चाहें। चाहे वह प्यार का दर्द हो या प्रकृति से बातचीत, हर शेर में एक कहानी छुपी है।
Tehzeeb Hafi mushaira poetry
मैं कि काग़ज़ की एक कश्ती हूँ
पहली बारिश ही आख़िरी है मुझे
तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया
इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया
तुझ को पाने में मसअला ये है
तुझ को खोने के वसवसे रहेंगे
बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता
हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता
इक तिरा हिज्र दाइमी है मुझे
वर्ना हर चीज़ आरज़ी है मुझे
तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ
समुंदरों से अकेले में बात करनी है
पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे
मैं जंगल में पानी लाया करता था
अपनी मस्ती में बहता दरिया हूँ
मैं किनारा भी हूँ भँवर भी हूँ
ये एक बात समझने में रात हो गई है
मैं उस से जीत गया हूँ कि मात हो गई है
दास्ताँ हूँ मैं इक तवील मगर
तू जो सुन ले तो मुख़्तसर भी हूँ
वो जिस की छाँव में पच्चीस साल गुज़रे हैं
वो पेड़ मुझ से कोई बात क्यूँ नहीं करता
मैं जंगलों की तरफ़ चल पड़ा हूँ छोड़ के घर
ये क्या कि घर की उदासी भी साथ हो गई है
मैं जिस के साथ कई दिन गुज़ार आया हूँ
वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता
मैं सुख़न में हूँ उस जगह कि जहाँ
साँस लेना भी शाइरी है मुझे
सहरा से हो के बाग़ में आया हूँ सैर को
हाथों में फूल हैं मिरे पाँव में रेत है
मुशायरों का चमकता सितारा
तहजीब हाफी का नाम आज बड़े-बड़े मुशायरों में गूंजता है। उनकी शायरी पेश करने का अंदाज इतना दिलकश है कि श्रोता उनके दीवाने हो जाते हैं। "तमाम नाख़ुदा साहिल से दूर हो जाएँ, समुंदरों से अकेले में बात करनी है" जैसे शेर उनकी गहरी सोच को दर्शाते हैं। एक संपन्न परिवार में जन्मे तहजीब ने अपनी प्रतिभा से यह साबित कर दिया कि शायरी सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं, बल्कि यह जिंदगी का आईना है। उनकी आवाज और प्रस्तुति में जो सादगी है, वही उन्हें भीड़ से अलग बनाती है।
प्रकृति और इंसानियत का संगम
उनकी शायरी में प्रकृति और इंसानी रिश्तों का खूबसूरत तालमेल दिखता है। "पेड़ मुझे हसरत से देखा करते थे, मैं जंगल में पानी लाया करता था" या "बता ऐ अब्र मुसावात क्यूँ नहीं करता, हमारे गाँव में बरसात क्यूँ नहीं करता" जैसे शेर न सिर्फ भावुक करते हैं, बल्कि सोचने पर मजबूर भी करते हैं। तहजीब की कविताएं जंगल, समंदर, और रेत की कहानियाँ बुनती हैं, जो हर किसी के दिल को छू लेती हैं। उनकी ये खासियत उन्हें आज के दौर का लोकप्रिय शायर बनाती है।
क्यों खास हैं तहजीब हाफी की शायरी?
तहजीब हाफी की शायरी में जिंदगी के हर पहलू की झलक मिलती है - चाहे वह खामोशी का दर्द हो या उम्मीद की किरण। "तेरा चुप रहना मिरे ज़ेहन में क्या बैठ गया, इतनी आवाज़ें तुझे दीं कि गला बैठ गया" जैसे शेर उनकी भावनात्मक गहराई को दिखाते हैं। मोबाइल यूजर्स के लिए उनकी शायरी आसानी से ऑनलाइन उपलब्ध है, और उनकी लोकप्रियता का आलम यह है कि सोशल मीडिया पर उनके शेर वायरल होते रहते हैं। अगर आप शायरी के शौकीन हैं, तो तहजीब हाफी के लफ्जों में डूबना एक अनोखा अनुभव होगा।
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