21 दिसंबर 2025 को भारत में साल की सबसे लंबी रात दर्ज की जाएगी। इसी दिन अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन का अवसर भी बनेगा। खगोल विज्ञान और भारतीय परंपरा दोनों के लिहाज से यह दिन खास माना जाता है क्योंकि इस तिथि पर दिन की अवधि सबसे कम और रात सबसे अधिक होती है।
21 दिसंबर 2025 को क्या होता है शीत अयनांत
हर साल दिसंबर में सूर्य की स्थिति बदलने के कारण उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे और रातें लंबी हो जाती हैं। इस खगोलीय घटना को शीत अयनांत कहा जाता है।
खगोल वैज्ञानिकों के अनुसार इस दिन सूर्य पृथ्वी के सबसे दक्षिणी बिंदु पर दिखाई देता है। इसके कारण सूर्य की किरणें तिरछे कोण पर पड़ती हैं और दिन की अवधि घट जाती है।
दिन और रात की अवधि कितनी होगी
खगोलीय गणनाओं के मुताबिक
दिन की अवधि लगभग दस घंटे उन्नीस मिनट
रात की अवधि लगभग तेरह घंटे इकतालीस मिनट
इस तरह दिन और रात के बीच करीब तीन घंटे बाईस मिनट का अंतर रहेगा। यही कारण है कि इसे साल की सबसे लंबी रात कहा जाता है।
अमावस्या और चंद्र दर्शन का संयोग
पंचांग के अनुसार 20 दिसंबर 2025 को अमावस्या तिथि रहेगी। इसके अगले दिन यानी 21 दिसंबर को अमावस्या के बाद पहला चंद्र दर्शन किया जाएगा।
पंचांग विशेषज्ञों का मानना है कि अमावस्या के बाद चंद्रमा के पहले दर्शन का धार्मिक और मानसिक महत्व होता है।
चंद्र दर्शन का समय
धार्मिक पंचांग के अनुसार चंद्र दर्शन का समय
शाम 5 बजकर 29 मिनट से
शाम 6 बजकर 24 मिनट तक
इस दौरान सूर्यास्त के बाद पश्चिम दिशा में नवचंद्रमा के दर्शन किए जा सकते हैं।
चंद्र दर्शन की परंपरा कैसे निभाई जाती है
भारतीय परंपरा में चंद्रमा को मन और भावनाओं का प्रतीक माना गया है। अमावस्या के बाद चंद्र दर्शन की एक सरल विधि बताई जाती है।
सामान्य विधि
सूर्यास्त के बाद खुले स्थान पर पश्चिम दिशा की ओर देखें
चंद्रमा दिखाई देने पर ॐ सोमाय नमः मंत्र का तीन से ग्यारह बार जाप करें
जल में चावल और पुष्प डालकर चंद्रमा को अर्पित करें
धार्मिक विद्वानों के अनुसार यह प्रक्रिया मन को स्थिर रखने में सहायक मानी जाती है।
ज्योतिष में चंद्र दर्शन का महत्व
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार चंद्रमा मानसिक स्थिति भावनात्मक संतुलन और माता से जुड़ा ग्रह माना जाता है।
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार
चंद्र दर्शन से मानसिक तनाव में कमी महसूस होती है
भावनात्मक स्थिरता बढ़ती है
जिन लोगों की कुंडली में चंद्र दोष माना जाता है उनके लिए यह उपाय सहायक हो सकता है
हालांकि विशेषज्ञ यह भी स्पष्ट करते हैं कि ये मान्यताएं आस्था पर आधारित हैं और इन्हें चिकित्सा या वैज्ञानिक उपचार का विकल्प नहीं माना जाना चाहिए।
आज के समय में यह जानकारी क्यों जरूरी है
तेज रफ्तार जिंदगी और बढ़ते मानसिक तनाव के बीच ऐसे खगोलीय और पारंपरिक अवसर लोगों को प्रकृति से जुड़ने का मौका देते हैं। शीत अयनांत जैसी घटनाएं हमें पृथ्वी सूर्य और ब्रह्मांड के संतुलन को समझने में मदद करती हैं।
साथ ही चंद्र दर्शन जैसी परंपराएं मानसिक शांति और आत्मचिंतन का अवसर प्रदान करती हैं।












