Manoj Kumar: मनोज कुमार 'भारत कुमार' की विदाई, जुहू में कल होगा अंतिम संस्कार

देशभक्ति का पर्याय: 'भारत कुमार' की पहचान
मनोज कुमार का नाम सुनते ही देशभक्ति की भावना जाग उठती है। उनकी फिल्में सिर्फ मनोरंजन का जरिया नहीं थीं, बल्कि एक संदेश थीं, जो समाज को जोड़ती थीं। 'पूरब और पश्चिम' का वो गाना "जब जीरो दिया मेरे भारत ने" आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है। 'उपकार' से लेकर 'शहीद' तक, उन्होंने अपने किरदारों से देशप्रेम की ऐसी लौ जलाई, जो आज भी बुझी नहीं। उनके इस जुनून ने उन्हें 'भारत कुमार' का तमगा दिया, जो उनके लिए सम्मान और पहचान का प्रतीक बना।
सिनेमा में एक सुनहरा अध्याय
हरिकृष्ण गिरि गोस्वामी से मनोज कुमार बनने का उनका सफर किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था। 1937 में जन्मे मनोज ने बंटवारे का दर्द देखा और फिर मुंबई में अपने सपनों को सच किया। अभिनेता के साथ-साथ वे एक कुशल निर्देशक भी थे। उनकी फिल्म 'रोटी, कपड़ा और मकान' ने सामाजिक मुद्दों को उठाया, तो 'क्रांति' ने आजादी की भावना को पर्दे पर उतारा। लंबे समय तक स्वास्थ्य समस्याओं से जूझने के बाद भी उनकी यादें सिनेमा प्रेमियों के दिलों में जिंदा रहेंगी।
Manoj Kumar ka sanskar kab hoga: जुहू में होगा संस्कार
मनोज कुमार का निधन शुक्रवार सुबह हुआ, और उनके परिवार ने बताया कि वे लंबे समय से बीमार थे। उनका अंतिम संस्कार कल, 5 अप्रैल को जुहू में होगा। यह खबर आपके लिए आसान और मोबाइल पर तेजी से लोड होने वाली है, ताकि आप इसे कहीं भी पढ़ सकें। फैंस और फिल्म इंडस्ट्री के लोग उन्हें श्रद्धांजलि देने के लिए जुट रहे हैं। यह पल न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि हर उस शख्स के लिए दुखद है, जिसने उनकी फिल्मों से प्रेरणा ली।
एक युग का अंत, यादें अमर
मनोज कुमार ने सिनेमा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया। उनकी फिल्में आज की पीढ़ी के लिए भी एक सबक हैं। चाहे वो 'शोर' की सादगी हो या 'संतोष' की गहराई, हर कहानी में उनका जादू था। उनके निधन से बॉलीवुड ने एक अनमोल रत्न खो दिया, लेकिन उनकी विरासत हमेशा हमारे साथ रहेगी। इस लेख के जरिए हम आपको सही और भरोसेमंद जानकारी दे रहे हैं, ताकि आप उनके जीवन को याद कर सकें और उनकी आखिरी यात्रा के बारे में जान सकें।
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