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Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन विधेयक क्‍या है? आखिर क्यों मचा है बवाल, जानें हर पहलू

Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ संशोधन विधेयक क्‍या है? आखिर क्यों मचा है बवाल, जानें हर पहलू
What is waqf amendment bill? केंद्र सरकार ने वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया, जिसका मकसद वक्फ संपत्तियों में पारदर्शिता लाना है। विपक्ष और मुस्लिम समुदाय ने विरोध जताया, इसे स्वायत्तता पर हमला बताया। गैर-मुस्लिम सदस्य, जिला कलेक्टर सर्वे और डिजिटलीकरण जैसे बदलावों से विवाद गहराया।
Waqf Amendment Bill 2025 kya hai detail in Hindi: केंद्र सरकार ने बुधवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक 2025 पेश किया, जिसने सियासी गलियारों से लेकर आम लोगों तक हलचल मचा दी है। सरकार का दावा है कि ये कदम वक्फ संपत्तियों को बेहतर ढंग से संभालने और पारदर्शिता लाने के लिए उठाया गया है। लेकिन विपक्ष और मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा हिस्सा इसे संदेह की नजर से देख रहा है। उनका कहना है कि सरकार इस बहाने वक्फ बोर्ड की ताकत छीनकर मस्जिदों, मदरसों और दूसरी संपत्तियों पर कब्जा करना चाहती है। दूसरी ओर, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि सरकार का ऐसा कोई इरादा नहीं है। तो आखिर क्या है ये विधेयक और क्यों हो रहा है इतना विवाद? चलिए, इसे आसान भाषा में समझते हैं।

Waqf Amendment Bill 2025: वक्फ क्या है और क्यों है ये खास?

वक्फ इस्लाम की एक पुरानी परंपरा है, जो समाज के भले के लिए बनाई गई है। जब कोई मुस्लिम अपनी जमीन, इमारत या दूसरी संपत्ति दान करता है, तो वो वक्फ बोर्ड के हवाले हो जाती है। इसका मकसद गरीब बच्चों की पढ़ाई, बेटियों की शादी और समुदाय की भलाई के लिए काम करना है। मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान, स्कूल जैसी संपत्तियां इसके दायरे में आती हैं। देश में वक्फ बोर्ड के पास 9.4 लाख एकड़ जमीन और 8.7 लाख संपत्तियां हैं, जिनकी कीमत करीब 1.2 लाख करोड़ रुपये है। लेकिन पिछले कुछ सालों में वक्फ के कामकाज में गड़बड़ियों की शिकायतें बढ़ी हैं, जिसके बाद सरकार ने बदलाव का फैसला लिया।

सरकार क्यों लाई ये संशोधन?

सरकार का कहना है कि वक्फ एक्ट 1995 में बदलाव जरूरी हो गया था, क्योंकि समय के साथ चुनौतियां बढ़ी हैं। इस विधेयक का मकसद वक्फ संपत्तियों का सही प्रबंधन, डिजिटल रिकॉर्ड रखना और कामकाज में पारदर्शिता लाना है। मिसाल के तौर पर, अगर कोई सरकारी जमीन गलती से वक्फ में शामिल हो गई, तो उसे वापस लिया जा सकेगा। साथ ही, वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्यों को शामिल करने और सर्वे का जिम्मा जिला कलेक्टर को देने जैसे कदम भी उठाए गए हैं। सरकार इसे व्यवस्था को मजबूत करने की कोशिश बता रही है।

क्या हैं विधेयक के बड़े बदलाव?

इस विधेयक में कई अहम बदलाव प्रस्तावित हैं। वक्फ बोर्ड और केंद्रीय वक्फ परिषद में दो मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिम सदस्यों को जगह दी जाएगी। संपत्तियों का सर्वे अब जिला कलेक्टर करेंगे, न कि कोई अलग अधिकारी। अगर कोई सरकारी संपत्ति वक्फ में दर्ज है, तो उसे हटाया जा सकेगा। वक्फ ट्रिब्यूनल में मुस्लिम कानून के जानकार की जरूरत खत्म होगी और इसके फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी। साथ ही, डिजिटलीकरण से रिकॉर्ड को पारदर्शी बनाने की बात कही गई है। ये बदलाव सुनने में आसान लगते हैं, लेकिन इनके पीछे का असर बड़ा हो सकता है।

विपक्ष और समुदाय का विरोध क्यों?

विपक्षी दल और कई मुस्लिम संगठन इसे वक्फ की आजादी पर हमला बता रहे हैं। उनका कहना है कि गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति और सरकारी दखल से वक्फ बोर्ड की स्वायत्तता खतरे में पड़ जाएगी। कुछ लोग इसे धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप मानते हैं, तो कुछ को डर है कि सरकार संपत्तियों पर कब्जा कर सकती है। ट्रिब्यूनल से कानूनी विशेषज्ञ हटाने और सर्वे का जिम्मा कलेक्टर को देने पर भी सवाल उठ रहे हैं। विरोधियों का मानना है कि ये कदम अल्पसंख्यक अधिकारों को कमजोर कर सकते हैं।

सच क्या है, फैसला किसका?

वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर दोनों तरफ से दावे और जवाब चल रहे हैं। सरकार इसे सुधार का रास्ता बता रही है, तो विपक्ष इसे साजिश करार दे रहा है। सच का पता तो वक्त ही लगाएगा, लेकिन ये साफ है कि ये मुद्दा अभी गर्म बना रहेगा। अगर आप इस बारे में और जानना चाहते हैं, तो हमारे साथ बने रहें, क्योंकि हम हर अपडेट आप तक पहुंचाएंगे।

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