आज से ही करें कीवी की खेती, हो जाओगे मालामाल
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Haryana News Post : Kiwi Farming : कीवी की खेती के बारे में आपको बता रहे हैं। अपने सुंदर रंग , विटामिन के और प्रचुर मात्रा में पोटैशियम और फोलेट की वजह से बेहद प्रसिद्ध है। इसमें अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होता है।
कीवी अपने सुंदर रंग विटामिन सी(Vitamin C ), विटामिन ई(Vitamin E), विटामिन की और प्रचुर मात्रा में पोटैशियम और फोलेट की वजह से बेहद प्रसिद्ध है। इसमें अधिक मात्रा में एंटी ऑक्सीडेंट होता है। यह एंटी ऑक्सीडेंट शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है यानी शरीर को बीमारियों से बचाने में मदद करता है। कीवी रोग प्रतिरोधक के साथ यह फल डेंगू मलेरिया या फिर संक्रमित रोग की बीमारी के लिए बहुत लाभदायक होता है।
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आइए जानते हैं इससे जुड़े और तथ्यों के बारे में। इस फल को भारत में पहली बार लगाने वाले नौणी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो राजेश्वर सिंह चंदेल ने एक न्यूज चैनल को बताया कि हमारे विश्वविद्यालय में 1985 में यह फल लगाया गया और इसे अच्छी तरह उगाने और इसे मार्केट करने में हमें 7 साल का समय लगा।
इसे 1000 से 1500 मीटर की उंचाई वाले क्षेत्रों में पैदा किया जा सकता है। औषधीय गुणों से भरपूर इस फल की विशेषता यह है कि इस फल में रोंएदार बाल होने के कारण इसे न ही तो बंदर खाते हैं और न ही अन्य जानवर इसे खाना पंसद करते हैं। प्रो चंदेल ने बताया कि हम भारतीयों को फलों में ज्यादातर मीठे स्वाद वाले फल खाने की आदत है।
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समय के साथ यह आदत बदल रही है। अब हम लोग धीरे-धीरे सेहत के लिए बेहद लाभदायक कीवी जैसे थोड़े खट्टे फलों को भी पसंद करने लग गए हैं।इसलिए कीवी फल फसल सुरक्षा के हिसाब से तो बेहतर है ही बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी बहुत अच्छा है। उन्होंने बताया कि इस फल में बीमारियां न के बराबर होती हैं, जिससे इसकी लागत बहुत कम होती है।
बाजार में यह 200 से 300 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बिक जाता है।तीन साल पहले सिरमौर में कीवी का बाग लगाने वाले संदीप शर्मा ने बताया कि हमारे क्षेत्र में बंदरों की समस्या थी इसलिए उन्होंने प्रयोग के तौर पर 184 कीवी के पौधे लगाए थे।
मेरा प्रयोग सफल रहा और मुझे बंदरों की समस्या से निजात मिल गई है।उन्होंने बताया कि पिछले साल मुझे बिना लागत के 48 हजार रुपये की कमाई हुई थी जो इस साल 1 लाख तक पहुंच जाएगी। मेरा मानना है कि अन्य किसानों को भी कीवी की खेती की ओर रूख करना चाहिए इससे उन्हें फसल सुरक्षा की चिंता से तो छुटकारा मिलेगा साथ ही कृषि में बढ़ती लागत से भी छूटकारा मिल जाएगा।
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