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Borer Pest in Litchi Fruits : लीची के फलों को फल बेधक कीट के प्रकोप से बचाएं, जानें कौन से कीटनाशक का करें प्रयोग

Borer Pest in Litchi Fruits : लीची के फलों को फल बेधक कीट के प्रकोप से बचाएं, जानें कौन से कीटनाशक का करें प्रयोग
Litchi Cultivation Tips in Hindi: अगर आप लीची की बंपर फसल चाहते हैं तो इसका प्रबंधन अभी से करना होगा। फल में कीट लगने के कारण फसल बर्बाद हो सकती है। इस लेख में आपको कृषि वैज्ञानिक डॉक्‍टर एसडी पांडेय के टिप्‍स बताए जा रहे हैं, जिनसे आप फसल को समय रहते बचा सकते हैं।

पटना, Borer Pest in Litchi Fruits : (डॉक्‍टर एसडी पांडेय) : फल बेधक यानी फ्रूट बोरर कीट लीची का सबसे अधिक हानिकारण कीट है। इससे बचाव के लिए बागवानों को फरवरी माह से ही कार्य योजना और अमल की तैयारी करने की जरूरत है। इसलिए इस कीट के प्रकोप के लक्षण और प्रबंधन के विकल्‍प की जानकारी यहां दी जा रही है।

लीची के फल में कीट लगने के लक्षण

वैसे तो यह कीट सालों भर लीची पर पलते हैं पर फलन के समय में इस कीट की दो पीढि़यां अत्‍याधिक महत्‍वपूर्ण होती हैं। पहली पीढ़ी में जब लीची के फल लौंग दाने के आकार के होते हैं (अप्रैल प्रथम सप्‍ताह) तब मादा कीट पुष्‍पवंत के डंठलों पर अंडे देती है, जिनसे 4-5 दिन में पिल्‍लू यानी लार्वा निकलकर विकसति हो रहे फलों में प्रवेश कर बीजों को खाते हैं।

इसके कारण फल बाद में गिर जाते हैं। अगर ऐसे फलों को गौर से देखा जाए तो फलों पर छेद दिखाई देते हैं। दूसरी पीढ़ी फल परिपक्‍व होने के 15-20 दिन पहले (मई प्रथम सप्‍ताह) होती है। जब इसके पिल्‍लू डंठल के पास से फलों में प्रवेश करते हैं। और फल के बीज और छिलके को खाकर हानि पहुंचाते हैं। पिल्‍लू लीची के गूदे के रंग के होते हैं। ये अपनी विष्‍ठा फल के अंदर जमा करते हैं जो ग्रसित फलों में डंठल के पास छिलने से दिखाई देते हैं।

फल लगने से पहले करें प्रबंधन

मंजर निकलने और फूल खिलनेे से पहले निम्‍बीसीडीन 0.5 फीसदी या नीम तेल या न‍िब्नि 4 मिली लीटर पानी के घोल या वर्मीवाश 5 फीसदी के छिड़काव से कीटों की रोकथाम की जा सकती है।

फल लगने के बाद

प्रथम कीटनाशी छिड़काव - फल लगने के 10 दिन बाद यानी फल मटर दाने के आकार होने पर थियाक्‍लोप्रिड (21.7 एमसी) या इमिडाक्‍लोप्रीड (17.8 एस एल) 0.7-1.0 मिली लीटी पानी की दर से करें।

दूसरा छिड़काव ऊपर दिए गए किसी एक कीटनाशी का छिड़काव प्रथम छिड़काव के 12-15 दिन के बाद करें।

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तीसरा छिड़काव (सामान्‍य मौसम की दशा में) फल पकने के 10-12 दिन पहले जब फल में लाली की शुरुआत होने लगे तब इनमें से कोई एक कीटनाशी का छिड़काव करें। 

नोवाल्‍यूरॉन (10 प्रतिशत ई सी) 1.5 मिली लीटर पानी या इमामेक्टिन बेन्‍जोएट (5 प्रतिशत एस जी) 0.7 ग्राम लीटर पानी या लेम्‍डा साईहेलाथ्रिन (5 प्रतिशत ई सी) 0.7 मिली लीटर पानी

मौसम प्रतिकूल होने यानी थोड़े दिनों के अंतराल पर बारिश के होने की दशा में, दूसरे छिड़काव और फल पकने के बीच एक अतिरिक्‍त छिड़का, ऊपर बताए गए तीनों कीटनाशी में से कोई भी एक की आवश्‍यकता पड़ सकती है।

और क्‍या करें

बागीचों को साफ सुथरा रखें। खासकर मिरचैया और क्रोटन घास को पनपने न दें।

शुरुआती अवस्‍था के गिरे हुए फलों को जमा कर जहां तक संभव हो गहरे गडढे में दबा दें।

छिड़काव करते समय इस बात का ध्‍यान रखें कि दवा पूरे पेड़ पर बराबर मात्रा में पड़े और पेड़ का कोई भाग छूटे नहीं।

सामूहिक प्रसास द्वारा आसपास के बागीचों का प्रबंधन भी इसी प्रकार का होना आवश्‍यक है ताकि उपरोक्‍त संस्‍तुति ज्‍यादा कारगर हो।

छिड़काव मौसम साफ रहने पर ही करें क्‍योंकि यदि छिड़काव के 24 घंटे बाद तक वर्षा होती है तो दोबारा छिड़काव करना होगा।

जब भी रसायनिक दवाओं का छिड़काव करें तो घोल में स्‍टीकर, डिटर्जेंट, सर्फ पाउडर एक चम्‍मच 15 लीटर घोल जरूर डालें।

क्‍या न करें

मंजर निकलने से फल लगनेे के दौरान कोई भी कीटनाशी का छिड़काव न करें।

एक ही कीटनाशी का छिड़काव हर बार न करें। 

(डॉक्‍टर एसडी पांडेय जाने माने कृषि वैज्ञानिक हैं।)

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