Pear Farming : हरियाणा के किसान नाशपाती की खेती से कर सकते हैं लाखों की कमाई, बागवानी विभाग लाडवा दे रहा ट्रेनिंग

Pear Farming in Haryana : नाशपाती की खेती से किसान लाखों की कमाई कर सकते हैं। नाशपाती एक लाभकारी और लोकप्रिय फल है जो अधिकतर भागों में पसंद किया जाता है। इसके साथ, नाशपाती उत्पादन और विपणन के लिए बड़े बाजार होते हैं। नाशपाती के पेड़ों की उचित देखभाल और प्रबंधन के साथ, एक किसान अच्छी खेती प्रौद्योगिकी का उपयोग करके और उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समय पर और सही तरीके से बीज उत्पादन कर सकता है।
 

लाडवा (कुरुक्षेत्र)Pear Farming in Haryana : नाशपाती मौसमी फल की गिनती में आता है और इस फल को खाने के काफी फायदे भी होते हैं. इसमे प्रचूर मात्रा में फाइबर होता है. इसके अलावा इसमें आयरन भी भरपूर होता है, जिसके सेवन में हिमोग्लोबिन बढ़ जाता है. इसके सेवन से बैड कोलेस्ट्ऱल की मात्रा भी कम होती है. यही वजह है कि लोग इसे खाना पसंद करते हैं और बाजार में इसकी मांग भी रहती है. किसान इसी खेती कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। 

हरियाणा में करें नाशपाती की खेती

दुनिया भर में नाशपाती की कुल 3000 से अधिक किस्में उपलब्ध हैं, जिनमें से भारत नाशपाती की 20 से अधिक किस्मों का उत्पादन करता है. भारत में नाशपाती की खेती जम्मू और कश्मीर, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में पाई जा सकती है।

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नाशपाती का पौधा आकार में मध्यम होता है. यह 30 फीट की ऊंचाई तक बढ़ता है, जबकि इसकी खेती 8-18 फीट तक पहुंच जाती है. नाशपाती के पौधे या पेड़ का आकार पूरी तरह से प्रशिक्षण प्रणाली, रूटस्टॉक और जड़ के विकास पर निर्भर करता है। 

कहां से मिलेगी ट्रेनिंग

हरियाणा के लाडवा में बागवानी विभाग का उप उष्ण कटिबंधीय फल केंद्र है। यहां से किसानों को परामर्श और ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके लिए आप यहां डॉ  शिवेंदु प्रताप सिंह सोलंकी से संपर्क कर सकते हैं। डॉ  शिवेंदु प्रताप सिंह सोलंकी ने बताया कि किसानों की मदद के लिए केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। हरियाणा का मौसम सेब की खेती के लिए अच्‍छा है और किसान अच्‍छी कमाई कर सकते हैं।

आवश्यक खाद और उर्वक का उपयोग

भूमि की तैयारी के समय, खेत की मेड़ को लगाना चाहिए. नाशपाती फसल के लिए खेत में उचित मात्रा में खाद की आवश्यकता होती है. नाइट्रोजन का मिश्रण: फॉस्फोरस: पोटेशियम को उचित मात्रा में भूमि पर लगाना चाहिए. साल दर साल खाद और उर्वरकों की खुराक 10 साल तक बढ़ाई जानी चाहिए. निषेचन से पहले, एक मिट्टी परीक्षण किया जाना चाहिए। 

नाशपाती के बाग में सब्जी की खेती

नाशपाती के बगान में जब तक फल नहीं लगे तब तक उड़द मूंग और तोरीया जैसी फसलें बगान से ली जा सकती है. जबकि रबि के मौसम में गेंहू चना और सब्जियां लगा सकते हैं. आलू एवं समशीतोष्ण फल अनुसंधान केंद्र ने अपने तीन वर्षों के शोध में यह पाया है कि रबि के मौसम में नाशपाती के बगान से आलू मटर बरबट्टी प्याज,टाऊ, गेहूं हल्दी और अदरक की खेती की जा सकती है.नाशपाती का हर पेड़ आम तौर पर एक से दो क्विंटल के बीच उत्पादन देता है. इस तरह से प्रति हेक्टेयर बाग से 400 से 700 क्विंटल नाशपाती की ऊपज होती है। 

कैसी होनी चाहिए मिट्टी

नाशपाती की खेती के लिए बलूई दोमट और गहरी मिट्टी की जरूरत होती है. कुल मिलाकर कहे तो नाशपाती की खेती के लिए ऐसी मिट्टी चाहिए होती है जिससे आसानी से पानी निकल जाये.इसकी खेती अच्छी जल निकासी के साथ गहरी मिट्टी में खेती की जाती है।

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मिट्टी में मिट्टी की पैन या मिट्टी की पहली परत के नीचे मिट्टी की घनी परत नहीं होनी चाहिए। 

नाशपाती की किस्में 

फल लगाने के लिए किसानों को प्ररित करने के पीछे राज्य सरकार की मेहनत है. इससे खाकर बहुत हद तक कुपोषण को दूर भगाया जा सकता है. आलू और समशीतोष्ण फल अनुसंधान केंद्र ने नाशपाती के विभिन्न किस्मों के बारे में बताया है. उन्होंने कहा कि सभी प्रजातियों का मूल्यांकन करने के बाद पाया गया कि नाशपाती के बढिया वेराइटीज है जो बेहतर उत्पादन करते हैं, इनके नाम हैं पत्थर नाग पंजाब नख, पंजाब गोल्ड, पंजाब नेक्टर, पंजाब ब्यूटी और बागूगोसा। 

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