Auto News : जानिए इलेक्ट्रिक वाहनों को लेकर नितिन गडकरी ने क्या  जताया भरोसा?

EV : इस साल देश में करीब 17 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। ये आंकड़ा भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स की तरफ लोगों के बढ़ते रुझान को दशार्ता है। ये आंकड़ा इसलिए भी काबिलेतारीफ है। क्योंकि भारत में अभी तक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद सीमित है।
 

Haryana News Post : EV News : हाल ही में आमजन को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने भरोसा दिलाया है कि आने वाले एक साल में इलेक्ट्रिक वाहनों(electric vehicles) की कीमत घटकर पेट्रोल वाहनों के जितना हो जाएगा।

बता दें इस कारण देश में इलेक्ट्रिक वाहनों(electric vehicles) की बढ़ती डिमांड जिसकी वजह से इनका वॉल्यूम बढ़ रहा है और इलेक्ट्रिक वाहन(electric vehicles) निमार्ता कंपनियों की लागत घट रही है। गडकरी अनुसार देश में बिकने वाले इलेक्ट्रिक वाहनों के हरेक सेगमेंट की संख्या में 800 फीसदी की बढ़ौतरी देखने को मिल रही है।

कितना हुआ इलेक्ट्रिक वाहनों(electric vehicles) का रजिस्ट्रेशन?

इस साल देश में करीब 17 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों का रजिस्ट्रेशन हुआ है। ये आंकड़ा भारत में इलेक्ट्रिक व्हीकल्स(electric vehicles) की तरफ लोगों के बढ़ते रुझान को दशार्ता है। ये आंकड़ा इसलिए भी काबिलेतारीफ है। क्योंकि भारत में अभी तक इलेक्ट्रिक व्हीकल्स(electric vehicles) के लिए चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर बेहद सीमित है। नितिन गडकरी का कहना है कि फिलहाल देश में चार्जिंग स्टेशंस की काफी कमी है।

बड़े शहरों में फिर इनकी चार्जिंग हो जाती है। लेकिन दूर दराज के इलाकों में ट्रैवल करने पर ई-वाहन(electric vehicles) कामयाब नहीं रहते हैं। उन्होंने कहा कि फिलहाल ईवी(EV) कार की कीमत पेट्रोल या डीजल वेरिएंट के मुकाबले काफी ज्यादा है जो इनकी कम बिक्री की बड़ी वजह है। इसके साथ ही चार्जिंग प्वाइंट्स की संख्या बढ़ाने के लिए तेजी से काम किया जा रहा है।

ई-दोपहिया की बिक्री कितनी फीसदी तक?

इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (electric vehicles) की बढ़ती मांग के बीच अब इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स(e-scooters) का बाजार तेज रफ्तार से दौड़ रहा है। इसमें भी सबसे ज्यादा तेजी तो इलेक्ट्रिक स्कूटरों(electric vehicles) की बिक्री में देखने को मिल रही है।

हालांकि पूरे इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स(e-scooters​​​​​​​) की मार्केट की बात करें तो अक्टूबर में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स(e-scooters​​​​​​​) का रजिस्ट्रेशन अपने अबतक के आल टाइम हाई 68 हजार 324 यूनिट्स पर पहुंच गया। ये आंकड़ा सितंबर के करीब 51 हजार यूनिट्स से 29 फीसदी ज्यादा है। इसके बाद जनवरी-अक्टूबर में इलेक्ट्रिक टू-व्हीलर्स की कुल दोपहिया की बिक्री में हिस्सेदारी बढ़कर 4 फीसदी हो गई है।


क्या देश में भी दौड़ेंगी इलेक्ट्रिक बसें?

गडकरी के मुताबिक भारत में 1.5 लाख बसें हैं जिनमें से 93 फीसदी डीजल पर चलती हैं। इनमें भी कई बसें पुरानी और खराब हैं। गडकरी ने कहा कि नेट जीरो टारगेट को हासिल करने के लिए सरकार इन सभी बसों को इलेक्ट्रिक में बदलने की योजना बना रही है। गडकरी ने कहा कि देशभर में इलेक्ट्रिक बसें चलाने का भी सरकार का एक विस्तृत प्लान है जिस पर तेजी से काम हो रहा है।

केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री अनुसार भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए सरकार का इरादा डबल डेकर बसों की संख्या में इजाफा करने का है। उन्होंने कहा कि सरकार की एसी डबल डेकर बसों के टिकटों की कीमत कम करने की योजना है जिससे इन्हें लोगों के लिए ज्यादा किफायती बनाया जा सके।

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क्या सब्सिडी की वजह से बढ़ी बिक्री? 

ई-स्कूटर्स(e-scooters​​​​​​​) की बिक्री को बढ़ाने में सबसे बड़ी वजह तो इनका माइलेज है। अगर पेट्रोल स्कूटर से तुलना करें तो इनकी लागत सवा 2 रुपए प्रति किलोमीटर के करीब आती है। जबकि ई-स्कूटर(e-scooters​​​​​​​) चलाने का औसतन खर्च महज 30 पैसे प्रति किलोमीटर है।

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अभी समस्या इनकी महंगी कीमते हैं जिनका समाधान कुछ हद तक केंद्र और राज्य सरकार से ग्राहकों को मिलने वाली सब्सिडी कर रही है। जैसे ही इनकी बिक्री बढ़ेगी और कंपनियां उत्पादन बढ़ाएंगी तो इनके दाम भी कम होने शुरू हो जाएंगे और ये ग्राहकों के बजट में आने लगेंगे।

देश में हाइड्रोजन कारों पर हुआ काम शुरू?

इस मामले में गडकरी का कहना है कि जल्दी ही भारत में हाइड्रोजन चालित कारों के प्रॉडक्शन के लिए प्रक्रिया शुरू की गई है। हाइड्रोजन बनाने के लिए मौजूदा समय में तीन प्रक्रियाओं ब्लैक हाइड्रोजन, ब्राउन हाइड्रोजन और ग्रीन हाइड्रोजन का इस्तेमाल किया जाता है।

ब्लैक हाइड्रोजन बनाने के लिए कोयले की जरुरत होती है। ब्राउन हाइड्रोजन बनाने के लिए पेट्रोल की जरूरत होती है और ग्रीन हाइड्रोजन बनाने के लिए पानी की जरूरत होती है। ऐसे में देश में ग्रीन हाइड्रोजन का भविष्य उज्जवल नजर आता है जिसमें अरबों रुपये का निवेश हुआ है। कई बड़ी कंपनियां इस दिशा में काम कर रही हैं।