Adampur Election 2022: विरोधी कांग्रेस नेताओं ने बनी प्रचार से दूरी, हुड्डा खेमे की बढ़ी मजबूरी 

 हरियाणा में सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका आदमपुर उपचुनाव 3 नवंबर को होना है।  सभी पार्टियां जीत के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं।  भाजपा, आम आदमी पार्टी (आप)और इनेलो के तमाम दिग्गज वह डेरा डाले हुए हैं।
 

 Haryana News Post : Adampur Election :  हरियाणा में सभी पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बन चुका आदमपुर उपचुनाव 3 नवंबर को होना है।  सभी पार्टियां जीत के लिए हर संभव कोशिश कर रही हैं।  भाजपा, आम आदमी पार्टी आप और इनेलो के तमाम दिग्गज वह डेरा डाले हुए हैं।

लेकिन मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस के साथ स्थिति थोड़ी उलट है।  जहां भाजपा के कई मंत्री और सांसद व विधायक चुनाव के लिए प्रचार में जुटे हैं तो वही आम आदमी पार्टी ने भी स्टार प्रचारकों की सूची जारी कर रखी है। आप सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल भी प्रचार के लिए  आएंगे।

वहीं इनेलो की तरफ से पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अभय चौटाला और पार्टी सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला भी प्रचार कर रहे हैं। लेकिन कांग्रेस की बात करें तो पार्टी फिलहाल आंतरिक कलह से जूझती नजर आ रही है। ऐसे में पार्टी को ना केवल बाहरी मोर्चे पर बल्कि अंदरूनी लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पार्टी के दिग्गज नेताओं ने एक तरह से चुनाव प्रचार से दूरी बना ली है।

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पार्टी के ही टिकट नेताओं के प्रत्याशी जयप्रकाश के चुनाव प्रचार में दूरी बनाने के चलते  उनके लिए भी खासी भी कर समस्या खड़ी हो गई है। हालांकि ये माना जा रहा है कि महज औपचारिकता पूरी करने के लिए एकाध बार वो आदमपुर में चुनाव प्रचार में चेहरा दिखाने के लिए आ सकते हैं।

  पार्टी ने 39 स्टार प्रचारकों की लिस्ट जारी की थी जिनको पार्टी के उम्मीदवार के लिए प्रचार करना था।  इस लिस्ट में कांग्रेस दिग्गज और नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के धुर विरोधी भी है, जिसमें कुमारी सैलेजा,  किरण चौधरी, रणदीप सिंह सुरजेवाला और चंद्रमोहन बिश्नोई का नाम है। और फिलहाल की परिस्थितियों के मद्देनजर यह बात साफ है कि हुड्डा और उनके बीच दूरियां निरंतर बढ़ी हैं। 

किरण चौधरी हुड्डा भी खासी नाराज

कांग्रेस की दिग्गज नेता और पूर्व नेता प्रतिपक्ष किरण चौधरी ने तो साफ तौर पर हुड्डा खेमे के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है। कुछ दिन पहले ही उन्होंने कहा था कि सभी फैसले एकतरफा लिए जा रहे हैं और अन्य पार्टी नेताओं की राय तक नहीं ली जा रही सीधे तौर पर उनका हमला भूपेंद्र सिंह हुड्डा खेमे पर था।

उन्होंने यह भी कहा था कि पहले पार्टी उम्मीदवार के नाम को फाइनल करने में सभी नेताओं की रायशुमारी होती थी,  लेकिन अब की बार ऐसा नहीं हुआ। इस पूरे घटनाक्रम के बाद उन्होंने एक तरह से साफ कर दिया कि उनके कैम्पेनिंग में आने की संभावना कम ही है और फिलहाल तक तो यह बात सही साबित हुई है। कुछ अब तक अब पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ सकता है। 

कुमारी सैलेजा और रणदीप सुरजेवाला भी नहीं आए

कुमारी सैलेजा और रणदीप सुरजेवाला की भूपेंद्र सिंह हुड्डा से बिलकुल नहीं चलती और हर कोई इस बात से इत्तेफाक रखता है। चौकी जयप्रकाश का नाम फाइनल करने में हुड्डा की ही भूमिका रही तो ऐसे में हुड्डा और सेल जावा सुरजेवाला की बीच की दूरियां यहां भी सामने नजर आ रहे हैं।

दोनों पार्टी नेताओं में से किसी ने अब तक पार्टी प्रत्याशी जयप्रकाश के लिए प्रचार नहीं किया है और भविष्य में भी ऐसी संभावना  कम ही नजर आ रही है सीधे तौर पर यह पार्टी प्रत्याशी के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है। हुड्डा और पार्टी के दोनों अन्य दिग्गज नेता में लंबे समय से लाइन खींची हुई है और निकट भविष्य में लाइन छोटी होने की संभावना भी कम ही है। 

कांग्रेस दिग्गज और भाजपा उम्मीदवार के चाचा चंद्रमोहन ने भी प्रचार  से बनाई दूरी

कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में चंद्रमोहन की भी गिनती होती है। भूपेंद्र हुड्डा के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में डिप्टी सीएम भी रह चुके हैं,  हालांकि कुलदीप बिश्नोई और उनके बेटे तो भाजपा ज्वाइन कर चुके हैं लेकिन चंद्रमोहन अभी भी कांग्रेस का दामन थामे हुए हैं। कांग्रेस पार्टी ने उनको स्टार प्रचारकों की लिस्ट में जगह दी है,  लेकिन फिलहाल तक वह अपने भतीजे भव्य बिश्नोई के खिलाफ कांग्रेस की तरफ से चुनाव प्रचार में नहीं उतरे हैं.

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और राजनीतिक जानकारों की मानें तो ऐसा होना संभव ही नहीं है। चाहे कुलदीप और चंद्रमोहन दोनों धुर विरोधी पार्टियों में है लेकिन इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है कि चंद्रमोहन अपने भतीजे के खिलाफ चुनाव प्रचार को अंजाम देंगे। चंद्रमोहन नहीं चाहेंगे कि राजनीति के चलते परिवार में ही दूरी बने। जब उनके पिता दिवंगत भजनलाल की जगह भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया था तभी से लेकर अब तक विष्णु परिवार हुड्डा में आपसी दूरियां हैं। 

कांग्रेस उम्मीदवार की नैया भूपेंद्र सिंह हुड्डा, बेटे दीपेंद्र और पार्टी अध्यक्ष उदय भान के  जिम्मे

ऐसे में ऐसे में जब पार्टी के दिग्गज नेता पार्टी प्रत्याशी के प्रचार में नहीं उतरे हैं तो जीत की पूरी जिम्मेदारी एक तरह से अब भूपेंद्र सिंह हुड्डा उनके बेटे सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा और उनके वफादार पार्टी प्रदेश अध्यक्ष उदय भान के जिम में आ गई है। इस तरह से इन तीनों की प्रतिष्ठा दांव पर है कि कैसे पार्टी प्रत्याशी जयप्रकाश को जीत के मुहाने तक पहुंचाया जाए।  अगर कांग्रेस जीत दर्ज करने में सफल रहती है.

तो एक तरह से हुड्डा और उनके बेटे का हाईकमान की नजर में तो बढ़ेगा ही साथ में प्रदेश की राजनीति में भी वह अपनी मजबूत मौजूदगी दर्ज कराने में सफल रहेंगे। वहीं दूसरी तरफ यह बात भी साफ है कि अगर ऐसा होता है तो उनके धुर विरोधी इससे कतई खुश नहीं होंगे। इस बात में कोई दो राय नहीं है कि उनके विरोधी नहीं चाहेंगे कि हुड्डा और उनके बेटे का कद हाईकमान की नजर में बढ़े क्योंकि आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले काफी कुछ पार्टी में होना है।