Himachal Elections 2022 टिकट आवंटन में भाजपा भी चली कांग्रेस की राह पर 

Himachal Elections: प्रदेश भाजपा से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक हर नेता कांग्रेस पर  परिवारवाद हावी होने के आरोप लगाता आया है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में हिमाचल भाजपा ने भी इसी राह को अपनाते हुए कई बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट वितरित किए हैं। जिससे भाजपा का नया रूप देखने को मिल रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि क्या भाजपा आलाकमान ने टिकट वितरण के समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया।  
 

शिमला। Himachal Assembly Elections 2022:  हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए सभी दलों ने राजनीति की बिसात तैयार कर ली है। हर पार्टी जीत के लिए पूरा जोर लगा रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में जहां भाजपा और कांग्रेस का सीधा मुकाबला था जिसमें बाजी भाजपा ने मारी थी। इस विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की इंट्री से मुकाबला और भी ज्यादा रोमांचक हो गया है। भाजपा इस बार हिमाचल में मिशन रिपीट की उम्मीद कर रही है। हालांकि इस बात का पता तो 8 दिसंबर को  आने वाले चुनाव  नतीजों के बाद ही चल पाएगा। लेकिन प्रत्याशियों की घोषणा के बाद भाजपा के टिकट आवंटन को लेकर राजनीतिक गलियारों में कई तरह की चर्चा आम हो रही है। 

कांग्रेस पर निशाना, खुद उसकी राह पर

प्रदेश भाजपा से लेकर केंद्रीय नेतृत्व तक हर नेता कांग्रेस पर  परिवारवाद हावी होने के आरोप लगाता आया है, लेकिन इस बार विधानसभा चुनाव में हिमाचल भाजपा ने भी इसी राह को अपनाते हुए कई बड़े नेताओं के परिजनों को टिकट वितरित किए हैं। जिससे भाजपा का नया रूप देखने को मिल रहा है। राजनीतिक पंडितों का कहना है कि क्या भाजपा आलाकमान ने टिकट वितरण के समय इस बात पर ध्यान नहीं दिया।  

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सत्ता लालच में कहीं पार्टी का नुकसान न कर दें नेता

टिकट वितरण के बाद यह बात साफ तौर पर सामने आई है  कि एक-दो नहीं बल्कि दर्जनभर से ज्यादा की संख्या में इस बार टिकट उन नेताओं के परिवारों में गई है जो वर्तमान में प्रदेश संगठन में बड़े पदों पर विराजमान हैं या फिर वर्तमान सरकार का हिस्सा हैं। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा भी आम है कि नेताओं के इस कदम से वो नेता जो काफी समय से पार्टी से जुड़े थे और टिकट के दावेदार माने जा रहे  थे। उन्हें निराशा हाथ लगी है। इसका नुकसान कहीं पार्टी को आने वाले समय में न चुकाना पड़े।

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प्रदेश संगठन में मिला अहम पद, अब टिकट भी ले गए

प्रदेश में इस बार भाजपा दूसरी बार सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। इस बीच भाजपा नेताओं  ने जो दांव चला है वह सभी की समझ से परे हैं। भाजपा ब्लॉक से लेकर केंद्र  तक एक नेता, एक पद की पॉलिसी का गुणगान करती है लेकिन हिमाचल भाजपा में इस बार संगठन के अहम पदों पर विराजमान लोग ही विधानसभा चुनाव की टिकट ले चुके हैं। इनमें भाजपा के तीन महामंत्री त्रिलोक जमवाल, त्रिलोक कपूर और राकेश जमवाल के साथ-साथ कोषाध्यक्ष संजय सूद, मुख्य प्रवक्ता रणधीर शर्मा, प्रवक्ता प्रो. रामकुमार और सह-मीडिया प्रमुख रजत ठाकुर का नाम प्रमुख है। इसके अतिरिक्त भी दर्जनों ऐसे प्रत्याशी हैं जिनकी जिम्मेदारी संगठन को मजबूत करने की थी और उन्हें प्रदेश संगठन में अहम पद मिले हुए थे वे भी स्वंय टिकट के दावेदार बन गए। 

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नए प्रत्याशी तलाशने की जिम्मेदारी, खुद ही बन गए प्रत्याशी

भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को काफी समय पहले ही विधानसभा चुनाव की तैयारी कर लेने के आदेश दे दिए थे। इसके बाद प्रदेश संगठन ने केंद्रीय संगठन से विमर्श के बाद कई नेताओं की जिम्मेदारी इस काम के लिए लगाई थी। प्रदेश भाजपा में तीन नेताओं को महामंत्री का पद देते हुए उन्हें संगठन मजबूत करने और नए और  युवा नेताओं को तलाशने की ड्यूटी लगाई ताकि वे  विधानसभा में विजयी उम्मीदवार बन सकें , लेकिन इन तीन महामंत्रियों त्रिलोक जमवाल, त्रिलोक कपूर और राकेश जमवाल ने किसी दूसरे को मौका देने के स्थान पर खुद की टिकट का ही जुगाड़ कर लिया।

इन पांच बिंदुओं से समझें एक परिवारवाद की कहानी 

1. प्रदेश भाजपा में परिवारवाद की बात की जाए तो सबसे पहला नाम वर्तमान सरकार में मंत्री रहे महेंद्र सिंह का आता है। इस विधानसभा चुनाव में महेंद्र सिंह की जगह उनके बेटे रजत ठाकुर को पार्टी टिकट मिला। ज्ञात रहे कि महेंद्र सिंह की बेटी वंदना हिमाचल प्रदेश महिला मोर्चा की प्रदेश महामंत्री थी। 

 

2. शिमला जिले की जुब्बल कोटखाई सीट से भाजपा ने चेतन बरागटा को पार्टी टिकट दिया है। चेतन भाजपा नेता स्व.नरेंद्र बरागटा के बेटे हैं। ज्ञात रहे कि चेतन ने साल 2021 में इसी सीट पर हुए उपचुनाव में पार्टी से बागी होकर चुनाव लड़ा था। अब पार्टी ने उन्हीं को टिकट दे दिया है।

 

3. भाजपा ने मंडी में सदर सीट से अपना टिकट पूर्व केंद्रीय मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा को दिया है। जबकि अनिल शर्मा वर्तमान सरकार में  जब कैबिनेट मंत्री थे उसी दौरान उनके पिता ने भाजपा छोड़ दी थी। ज्ञात रहे कि इस सीट से भाजपा ने बड़े नेता प्रवीण शर्मा को इग्नोर करते हुए अनिल शर्मा को यह टिकट दिया है। 

 

4. चंबा विधानसभा से इस बार भाजपा ने सिटिंग विधायक पवन की जगह इंदिरा कपूर को टिकट दिया लेकिन करीब दो दिन बाद ही उनका नाम हटाकर टिकट पवन की पत्नी नीलम को दे दी। 

 

5. अपनी इसी नीति पर चलते हुए भाजपा ने इस बार हमीरपुर में अपनी जिला इकाई के अध्यक्ष बलदेव शर्मा की जगह उनकी पत्नी माया शर्मा को बड़सर से टिकट दिया है।

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