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Diwali 2022 : दीपावली पर क्यों बनता है मिट्टी का घरौंदा, जानें कारण

Diwali 2022 : दीपावली पर क्यों बनता है मिट्टी का घरौंदा, जानें कारण 
दिवाली के त्योहार को सभी अपने घरों में बड़ी धूमधाम से मनाते है। दिवाली हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस त्योहार के दिन कुछ लोग घरों में रंगोली बनाते हैं तो कहीं दियों से घरों को जगमगाया जाता है।

Haryana News Post : Diwali 2022 : दिवाली के त्योहार को सभी अपने घरों में बड़ी धूमधाम से मनाते है। दिवाली हर साल कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन मनाई जाती है। इस त्योहार के दिन कुछ लोग घरों में रंगोली बनाते हैं.

तो कहीं दियों से घरों को जगमगाया जाता है। लेकिन क्या आपको पता है कि दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाने की एक अनोखी परंपरा भी है।  शहरों में इसका प्रचलन लगभग खत्म ही होता जा रहा है लेकिन गांवों में इसका प्रचलन अब भी देखा जा सकता है।

घरों में क्यों बनते है मिट्टी का घरौंदा

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मिट्टी का घरौंदा की परंपरा को उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड के ज्यादातर घरों में आज भी फॉलो किया जाता है। दिवाली के त्योहार पर लोग अपने घरों में मिट्टी के इस्तेमाल से एक छोटा घर तैयार करते हैं। इसे बनाने में घर की अविवाहित लड़कियां का योगदान ज्यादा होता है। घर बनाने के बाद उसे रंगों से सजाया जाता है। बहुत से लोग  इसे बनाने के बाद इसमें मिठाई, फूल और बताशे रखते हैं। इसे बनाने का मकसद घर की सुख-समृद्धि को बरकरार रखना होता है।

क्यों है मिट्टी का घरौंदा पौराणिक मान्यता?

मिट्टी का घरौंदा बनाने में कुछ लोगों का मानना है कि यह परंपरा भगवान राम और अयोध्या के लोगों से जुड़ी हुई है। कहा जाता है कि जब भगवान राम अपना चौदह साल का वनवास खत्म करके अयोध्या लौटे थे तब उनके स्वागत के लिए पूरे अयोध्या को सजाया था।

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उनके लौटने की खुशी में  अयोध्या के लोगों ने अपने घरों में घी के दीपक जलाए थे। अयोध्यावासियों का मानना था कि राम के वापस लौटने के बाद उनकी नगरी फिर से आबाद हुई है। इसलिए लोग मिट्टी का घरौंदा बनाकर उसे सजाने का प्रचलन शुरू किया।

मिथिला में ये इस परंपरा को मनाने की वजह

जानकारी के अनुसार, अयोध्या के लोगों ने भगवान के लौटने की खुशी में घी के दीपक जलाएं थे लेकिन मिथिला के लोग इसलिए भी खुश थे कि उनकी बेटी का घर 14 साल बाद फिर से बसा है। इसलिए घर के बसने को घरौंदे से प्रतीकात्मक रूप से व्यक्त किया गया है। तब से लेकर घरौंदा बनाना संपन्नता की निशानी बताई जाती है।


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