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Karwa Chauth Vrat 2022 इन नियमों का पालन कर बनें अखंड सौभाग्‍यवती

Karwa Chauth Vrat 2022 इन नियमों का पालन कर बनें अखंड सौभाग्‍यवती
Karwa Chauth katha: सुहागिन स्त्रियों के द्वारा रखे जाने वाले इस व्रत को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने पर इस व्रत से जुड़े शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में यदि आप पहली बार इस व्रत को रखने जा रही हैं तो आप नीचे दिये गए करवा चौथ से जुड़े जरूरी नियमों को जरूर जानना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

नई दिल्‍ली। Karva Chauth Vrat: सनातन परंपरा में कार्तिक मास में कई तीज-त्योहार आते हैं। इसी पावन मास में महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान प्रदान करने वाला करवा चौथ व्रत आता है। जोकि कल है। सुहागिन स्त्रियों के द्वारा रखे जाने वाले इस व्रत को लेकर कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने पर इस व्रत से जुड़े शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में यदि आप पहली बार इस व्रत को रखने जा रही हैं तो आप नीचे दिये गए करवा चौथ से जुड़े जरूरी नियमों को जरूर जानना चाहिए। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

सरगी खाने का सही समय क्‍या है

करवा चौथ के दिन सबुह बिना नहाए 4 से 5 बजे के बीच सरगी खाने का रिवाज है। सरगी सास अपनी बहु को देती है। सरगी के माध्यम से दूध, सेवई आदि खिला देती हैं। एक बार सरगी खाने के बाद न पानी पी सकते हैं और न ही कुछ खा सकते हैं। इसके बाद स्नान करने के बाद मंदिर की साफ-सफाई कर ज्योत जलाएं। निर्जला व्रत का संकल्प लें। 

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क्‍यों किया जाता है 16 श्रृंगार

करवा चौथ व्रत के दिन 16 श्रृंगार करके पूजा करने की परंपरा है, लेकिन ऐसा करते समय रंगों का चयन करते समय विशेष ख्याल रखें। करवा चौथ व्रत में भूलकर भी काले या सफेद रंग के कपड़े न पहनें क्योंकि इसे अशुभ मानाा गया है। करवा चौथ पर उजले रंग के नारंगी, लाल, पिंक, पीले आदि रंग के कपड़े ही पहनें। 

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करवा चौथ की पूजा किस दिशा में करनी चाहिए

करवा चौथ की पूजा सायंकाल से लगभग एक घंटा पूर्व उत्तर-पूर्व दिशा यानि ईशान कोण की ओर मुख करके करनी चाहिए। इसके बाद चंद्रोदय के समय उनका पूजन करते हुए अर्घ्य देना चाहिए। करवा चौथ व्रत वाले दिन इस व्रत से जुड़ी कथा को पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ अवश्य कहना या फिर सुनना चाहिए। 

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सास को ऐसे दें बायना

करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद सुहागिन महिला को अपनी सास को बायना देना चाहिए। करवा चौथ व्रत को अमूमन सुहागिन स्त्रियां ही व्रत रखती हैं, लेकिन यदि किसी कन्या का विवाह तय हो चुका है तो वह वह भी अपने होने वाले पति के नाम का करवा चौथ व्रत रख सकती है, लेकिन उसे चंद्र दर्शन की बजाय तारों को देखकर व्रत खोलना चाहिए।

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व्रत में क्रोध न करें

करवा चौथ के दिन किसी पर क्रोध या किसी के साथ विवाद नहीं करना चाहिए। करवा चौथ पर व्रत राने वाली महिला को किसी को अपशब्द या दिल दुखाने वाली बात भी नहीं बोलनी चाहिए। करवा चौथ व्रत के दिन व्रत को खोलने के लिए बनाए गए भोजन में लहसुन-प्याज जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए और इसे ग्रहण करने से पहले अपने पति को इसे खाने के लिए देना चाहिए।

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करवा चौथ पर माता पार्वती, भगवान शिव, गणेश जी के साथ करवा माता की पूजा की जाती है। इसके लिए आपको करवा माता का चित्र लगाना होता है। करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा की पूजा की जाती है। दोपहर को करवा लाकर भोग लगाने के लिए मिठाई, हलवा, पूड़ी आदि बनाकार करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। इस बात का ध्यान रखें कि आप जैसे पहला व्रत शुरू कर देंगी आपको आगे से वैसे ही व्रत रखना होगा। 

करवा चौथ पूजन सामग्री

चंदन, शहद, अगरबत्ती, पुष्प,  कच्चा दूध, शक्कर,  शुद्ध घी, दही, मिठाई, गंगाजल, अक्षत (चावल), सिंदूर, मेहंदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी,  बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन,  दीपक, रुई, कपूर, गेहूं, शक्कर का बूरा, हल्दी, जल का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, चलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ और दक्षिणा (दान) के लिए पैसे आदि।

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