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Chaitra Amavasya 2025: चैत्र अमावस्या 2025 कब है यह खास दिन और क्यों है इसे भूतड़ी अमावस्या कहते हैं?

Chaitra Amavasya 2025: चैत्र अमावस्या 2025 कब है यह खास दिन और क्यों है इसे भूतड़ी अमावस्या कहते हैं?
Chaitra Amavasya 2025 date and time: चैत्र अमावस्या 2025 में 29 मार्च को मनाई जाएगी। इसे भूतड़ी अमावस्या कहते हैं, जब नकारात्मक शक्तियां सक्रिय होती हैं। सनातन धर्म में यह दिन स्नान, दान और पितरों की शांति के लिए खास है। गरुड़ पुराण के अनुसार, दान-पुण्य से पाप नष्ट होते हैं।
Chaitra Amavasya 2025 Bhutdi Amavasya kab hai: सनातन धर्म में चैत्र अमावस्या को बहुत पवित्र और शुभ माना जाता है। यह दिन आमतौर पर मार्च के अंत या अप्रैल की शुरुआत में आता है। इसे भूतड़ी अमावस्या के नाम से भी पहचाना जाता है। लोग मानते हैं कि इस दिन धार्मिक और आध्यात्मिक कार्य करने से मन की हर इच्छा पूरी होती है। स्नान और दान जैसे पुण्य कार्यों के लिए भी यह दिन बेहद खास होता है। आइए जानते हैं कि 2025 में चैत्र अमावस्या कब है और इसका महत्व क्या है।

Chaitra Amavasya 2025: 2025 में चैत्र अमावस्या कब मनाई जाएगी?

इस साल चैत्र अमावस्या 29 मार्च 2025 को होगी। पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 28 मार्च की शाम 07:55 बजे शुरू होगी और 29 मार्च की शाम 04:27 बजे खत्म होगी। इस दौरान लोग अपने पूर्वजों की शांति और जीवन में सुख-समृद्धि के लिए विशेष पूजा और दान करते हैं।

भूतड़ी अमावस्या नाम क्यों पड़ा?

चैत्र अमावस्या को भूतड़ी अमावस्या कहने के पीछे एक खास वजह है। 'भूत' शब्द का मतलब यहां नकारात्मक ऊर्जा या शक्तियों से है। मान्यता है कि इस दिन कुछ अधूरी आत्माएं अपनी इच्छाएं पूरी करने के लिए सक्रिय हो जाती हैं। ये आत्माएं या नकारात्मक शक्तियां उग्र हो सकती हैं। इन्हें शांत करने के लिए लोग नदियों में स्नान करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। यही कारण है कि इस दिन का धार्मिक महत्व और भी बढ़ जाता है।

चैत्र अमावस्या का महत्व क्या है?

चैत्र अमावस्या का सनातन धर्म में विशेष स्थान है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन पितरों की शांति के लिए किए गए उपाय जीवन के कष्टों को दूर करते हैं और पापों से मुक्ति दिलाते हैं। इस दिन कौवों, गायों, कुत्तों और जरूरतमंद लोगों को भोजन खिलाने की परंपरा है, जो पुण्य फल देती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, अमावस्या के दिन पूर्वज अपने परिवारवालों से मिलने आते हैं। इसलिए दान-पुण्य और व्रत करना बहुत फायदेमंद माना जाता है। यह व्रत सनातन धर्म के सबसे लोकप्रिय व्रतों में से एक है।

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