Maa Shailputri Aarti Katha in Hindi: चैत्र नवरात्रि 2025 पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा से शुरू करें भक्ति, जानें आरती और कथा

Chaitra Navratri Day 1 Maa Shailputri Aarti Katha in Hindi: चैत्र नवरात्रि का शुभारंभ 30 मार्च 2025 से हो रहा है, और इस पावन अवसर पर पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा का विशेष महत्व है। पर्वतराज हिमालय की पुत्री होने के कारण मां का नाम शैलपुत्री पड़ा। मां का यह रूप बेहद शक्तिशाली और करुणामयी है।
उनके दाहिने हाथ में त्रिशूल, बाएं में कमल का फूल, माथे पर चंद्रमा और सवारी के रूप में नंदी बैल उनकी divine छवि को और खास बनाते हैं। मान्यता है कि मां शैलपुत्री की भक्ति से सुख, समृद्धि और सम्मान की प्राप्ति होती है। आइए, इस खास दिन को और यादगार बनाने के लिए मां की आरती और उनकी पौराणिक कथा को जानते हैं।
Mata Shailputri Ki Aarti Lyrics: मां शैलपुत्री की आरती
मां शैलपुत्री की आरती हर भक्त के लिए एक अनमोल उपहार है। इसके बोल न सिर्फ मां की महिमा का गुणगान करते हैं, बल्कि मन को शांति भी देते हैं। आरती की शुरुआत होती है:
"शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार।।"
यह पंक्ति मां के नंदी पर सवार होने और उनकी जय-जयकार को बयां करती है। आगे बढ़ते हुए:
"पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें।।"
यह मां के प्रेम और आशीर्वाद की गहराई को दर्शाता है। भक्त घी का दीप जलाकर, गोला और गरी का भोग लगाकर श्रद्धा से यह आरती गाते हैं और मां से अपनी हर मनोकामना पूरी करने की प्रार्थना करते हैं। अंत में:
"जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे।।"
यह पंक्ति मां की सुंदरता और शक्ति का बखान करती है। इसे सोमवार को शिव के साथ गाएं, तो मां आपकी हर पुकार सुनेंगी।
Mata Shailputri Ki Aarti in Hindi
शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥
शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥
पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥
रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥
सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥
उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥
घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥
श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥
जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥
मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥
Maa Shailputri Aarti Katha in Hindi: बलिदान और पुनर्जन्म की कहानी
मां शैलपुत्री की कथा बेहद मार्मिक और प्रेरणादायक है। पुराणों के अनुसार, प्रजापति दक्ष ने एक बार विशाल यज्ञ का आयोजन किया और सभी देवताओं को न्योता भेजा, लेकिन भगवान शिव को छोड़ दिया। उनकी पुत्री सती को उम्मीद थी कि पिता उन्हें बुलाएंगे, पर ऐसा न हुआ। सती ने शिव से यज्ञ में जाने की जिद की, लेकिन शिव ने मना किया। उनकी जिद के आगे शिव को झुकना पड़ा और सती को अनुमति दे दी। जब सती पिता के घर पहुंचीं, तो वहां अपमान का सैलाब देखा।
मां के सिवा कोई उनका स्वागत करने को तैयार नहीं था। बहनें उनका मजाक उड़ा रही थीं, और दक्ष ने भी शिव को अपशब्द कहे। यह अपमान सती से सहा न गया, और उन्होंने यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। जब शिव को यह पता चला, तो उनका क्रोध भड़क उठा और उन्होंने यज्ञ को तहस-नहस कर दिया। युगों बाद सती ने हिमालय के घर में शैलपुत्री के रूप में जन्म लिया, और उनकी यह कहानी भक्तों को मां की शक्ति और समर्पण का संदेश देती है।
भक्तों के लिए खास संदेश
मां शैलपुत्री की भक्ति सिर्फ पूजा तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन में संयम और साहस सिखाती है। इस चैत्र नवरात्रि में उनकी आरती गाएं, कथा सुनें और मन से उनकी शरण में जाएं। मां आपके हर दुख को दूर कर सुख-समृद्धि से जीवन भर देंगी।
मां की पूजा का महत्व
चैत्र नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है, जो मूलाधार चक्र को जागृत करती हैं। उनकी पूजा से जीवन में स्थिरता, शक्ति और सकारात्मकता आती है। भक्त इस दिन व्रत रखते हैं, मंत्र जपते हैं और आरती गाकर मां से आशीर्वाद मांगते हैं। यह दिन नई शुरुआत और आत्मिक शुद्धि का प्रतीक है।
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