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Gangaur vrat vidhi in Hindi: गणगौर पूजा की विधि, मंत्र, कथा और महत्व के बारे में जानिए

Gangaur vrat vidhi in Hindi: गणगौर पूजा की विधि, मंत्र, कथा और महत्व के बारे में जानिए
Gangaur puja kaise kare: गणगौर पर्व में शिव-पार्वती की पूजा होती है। राजस्थान का यह त्योहार महिलाओं को अखंड सौभाग्य देता है। गणगौर पूजा विधि, मंत्र, आरती और कथा से जुड़ी जानकारी यहाँ पाएँ। सुहाग जल, गीत और विसर्जन इस उत्सव को खास बनाते हैं। पति से छिपाकर रखा जाने वाला यह व्रत बेहद महत्वपूर्ण है।
Gangaur vrat vidhi in Hindi Gangaur puja kaise kare: गणगौर का त्योहार भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित एक खास पर्व है, जो खासतौर पर राजस्थान में धूमधाम से मनाया जाता है। इसके अलावा उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और हरियाणा के कुछ हिस्सों में भी इस उत्सव की रौनक देखने को मिलती है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। रोचक बात यह है कि इस व्रत को महिलाएं अपने पति से गुप्त रखती हैं और प्रसाद भी उन्हें नहीं खिलातीं। आइए जानते हैं गणगौर व्रत का महत्व, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, मंत्र और इससे जुड़ी कथा के बारे में।

Gangaur vrat vidhi in Hindi: गणगौर पूजा की आसान विधि

गणगौर के दिन सुहागिन महिलाएं सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें। इसके बाद बगीचे या पार्क से ताजा पानी का लोटा भरें, उसमें दूब और फूल डालें, और इसे सिर पर रखकर गणगौर के भक्ति भरे गीत गाते हुए घर लौटें। परंपरा के अनुसार, व्रत के दौरान हर दिन सुबह फूल और दूब लानी चाहिए, हालाँकि कुछ महिलाएं यह सिर्फ आखिरी दिन करती हैं।

घर पहुँचकर मिट्टी से भगवान शिव (ईसर) और माता पार्वती (गौर) की छोटी मूर्तियाँ बनाएँ और उनकी स्थापना करें। फिर इन मूर्तियों को नए वस्त्र पहनाएँ और रोली, मेहंदी, हल्दी, काजल जैसी सुहाग की चीजों से श्रृंगार करें। पूजा के दौरान गणगौर के गीत गाएँ। इसके बाद दीवार या कागज पर रोली, मेहंदी और काजल से सोलह-सोलह बिंदियाँ लगाएँ।

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अब एक थाली में पानी, दूध, दही, हल्दी और कुमकुम मिलाकर सुहाग जल तैयार करें। दोनों हाथों में दूब लेकर पहले गणगौर पर यह जल छिड़कें, फिर अपने ऊपर सौभाग्य के प्रतीक के रूप में इसे लगाएँ। पूजा के अंत में मीठा गुना या चूरमा भोग में चढ़ाएँ और गणगौर की कथा सुनें। शाम को शुभ मुहूर्त में मूर्तियों को पानी पिलाकर किसी पवित्र तालाब या कुंड में विसर्जन करें।

गणगौर पूजा की आरती (Gangaur Puja Aarti)

म्हारी डूंगर चढ़ती सी बेलन जी,
म्हारी मालण फुलडा से लाय।
सूरज जी थाको आरत्यो जी,
चन्द्रमा जी थाको आरत्यो जी।
ब्रह्मा जी थाको आरत्यो जी,
ईसर जी थाको आरत्यो जी।
थाका आरतिया में आदर मेलू, पादर मेलू,
पान की पचास मेलू, पीली मोहरा मेलू,
रुपया मेलू, डेढ़ सौ सुपारी मेलू,
मोतीडा रा आखा मेलू,
राजा जी रो सुवो मेलू, रानी जी री कोयल मेलू।
करो न भाया की बहना आरत्यो जी,
करो न सायब की गौरी आरत्यो जी।

गणगौर पूजा मंत्र (Gangaur Puja Mantra)

पूजा के दौरान 'ॐ उमामहेश्वराभ्यां नमः' मंत्र का जाप करें।
या फिर यह मंत्र पढ़ें:
"या देवी सर्वभू‍तेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥"

गणगौर व्रत को पति से क्यों छिपाते हैं?

गणगौर का व्रत सुहागिन महिलाएँ अपने पति से छिपाकर रखती हैं। मान्यता है कि इस व्रत की जानकारी पति को न देना ही इसके फल को पूर्ण करता है। यहाँ तक कि पूजा का प्रसाद भी पति को नहीं दिया जाता। ऐसा करने से व्रत का महत्व बढ़ता है और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

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