Maa Shailputri Vrat Katha in Hindi: चैत्र नवरात्रि 2025 पहले दिन मां शैलपुत्री की व्रत कथा से शुरू करें भक्ति का सफर

Maa Shailputri Vrat Katha in Hindi: मां शैलपुत्री की कथा
पौराणिक कथाओं में मां शैलपुत्री की कहानी बड़ी मार्मिक है। एक बार प्रजापति दक्ष के दरबार में सभी लोग उनके स्वागत के लिए खड़े हो गए, लेकिन भगवान शिव अपनी जगह पर बैठे रहे। यह बात दक्ष को नागवार गुजरी, और उन्होंने इसे अपना अपमान समझा। गुस्से में आकर दक्ष ने एक भव्य यज्ञ का आयोजन किया और सभी देवताओं को न्योता भेजा, लेकिन अपने दामाद शिव को जानबूझकर बाहर रखा। यह उनके अपमान का बदला था।
सती, जो शिव की पत्नी थीं, अपने पिता के इस यज्ञ में जाने को बेकरार थीं। उन्होंने शिव से जाने की जिद की। शिव ने समझाया कि बिना बुलावे के वहां जाना ठीक नहीं, लेकिन सती की जिद के आगे वे झुक गए। जब सती यज्ञ स्थल पर पहुंचीं, तो उन्हें सिर्फ अपनी मां से ही प्यार मिला। बहनें उनका मजाक उड़ा रही थीं, और दक्ष ने भरे दरबार में शिव के लिए अपमानजनक शब्द कहे। यह सुन सती का दिल टूट गया। अपने पति का अपमान वे बर्दाश्त न कर सकीं और यज्ञ की अग्नि में कूदकर अपने प्राण दे दिए। बाद में उनका पुनर्जन्म हिमालय के घर हुआ, और वे शैलपुत्री बनीं। कहते हैं, इस जन्म में भी उनकी शादी शिव से हुई।
मां की महिमा और महत्व
मां शैलपुत्री का यह रूप हमें सिखाता है कि सच्ची भक्ति और प्रेम हर मुश्किल को पार कर सकता है। हिमालय की बेटी होने के नाते वे प्रकृति और शक्ति का संगम हैं। नवरात्रि का पहला दिन उनके नाम है, क्योंकि वे मूलाधार चक्र को जागृत करती हैं, जो जीवन में स्थिरता और शांति लाता है। उनकी पूजा से भक्तों को स्नेह, करुणा और संकटों से मुक्ति मिलती है। यह कथा हमें यह भी याद दिलाती है कि मां हमेशा अपने भक्तों के साथ होती हैं।
भक्तों के लिए खास संदेश
इस चैत्र नवरात्रि में मां शैलपुत्री की कथा से अपनी भक्ति शुरू करें। उनकी पूजा करें, कथा पढ़ें और उनके चरणों में श्रद्धा अर्पित करें। मां का आशीर्वाद आपके जीवन को सुख, शक्ति और समृद्धि से भर देगा। तो इस पवित्र दिन को मां की कहानी के साथ और खास बनाएं।
व्रत कथा का लाभ
नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की व्रत कथा पढ़ना या सुनना बेहद शुभ माना जाता है। यह न सिर्फ मन को शांति देता है, बल्कि मां की कृपा भी दिलाता है। इस कथा को परिवार के साथ साझा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह भक्ति को गहरा करता है और नवरात्रि के व्रत को और सार्थक बनाता है।
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