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Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी कब है यह खास व्रत? चैत्र नवरात्रि से पहले जानें इसका महत्व, तारीख और शुभ मुहूर्त

Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी कब है यह खास व्रत? चैत्र नवरात्रि से पहले जानें इसका महत्व, तारीख और शुभ मुहूर्त
Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचिनी एकादशी 2025 का व्रत 25 मार्च को होगा। चैत्र नवरात्रि से पहले यह पापों से मुक्ति दिलाने वाला पुण्यदायी व्रत है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा और शुभ मुहूर्त (सुबह 9:22-दोपहर 1:57) में भक्ति से माता लक्ष्मी की कृपा मिलती है। पारण 26 मार्च को दोपहर 1:39-शाम 4:06 तक करें।
Papmochani Ekadashi 2025 kab hai puja vidhi kaise karen: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है, और जब बात पापमोचिनी एकादशी की हो, तो इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। यह पवित्र व्रत चैत्र नवरात्रि से ठीक पहले आता है और इसे पापों से छुटकारा दिलाने वाला माना जाता है। साल 2025 में पापमोचिनी एकादशी कब मनाई जाएगी? आइए जानते हैं इसकी तारीख, शुभ मुहूर्त और खासियत जो इसे हर भक्त के लिए खास बनाती है।

Papmochani Ekadashi 2025: होली और नवरात्रि के बीच का पवित्र दिन

होली का त्योहार खत्म होने के बाद और चैत्र नवरात्रि शुरू होने से पहले पापमोचिनी एकादशी का व्रत रखा जाता है। यह वसंत ऋतु में पड़ने वाली एक खास एकादशी है, जिसे पापमोचिनी के नाम से जाना जाता है। इसका नाम ही बताता है कि यह व्रत भक्तों को उनके बड़े से बड़े पापों से मुक्ति दिलाने में सक्षम है। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा का विशेष विधान है। तो अगर आप भी इस साल इस व्रत को रखने की योजना बना रहे हैं, तो तारीख और मुहूर्त नोट कर लें।

पापमोचिनी एकादशी 2025: तारीख

पापमोचिनी एकादशी का व्रत 25 मार्च 2025 को रखा जाएगा। यह दिन बहुत पुण्यदायी माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से न केवल व्यक्ति के पाप खत्म होते हैं, बल्कि उसके पूर्वजों और पितरों को भी स्वर्ग की प्राप्ति होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, यह साल की आखिरी एकादशी भी कहलाती है।

पापमोचिनी एकादशी 2025: शुभ मुहूर्त

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि 25 मार्च 2025 को सुबह 5:05 बजे शुरू होगी और अगले दिन यानी 26 मार्च को सुबह 3:45 बजे खत्म होगी।

विष्णु जी की पूजा का शुभ समय: सुबह 9:22 से दोपहर 1:57 तक।
व्रत पारण का समय: 26 मार्च 2025 को दोपहर 1:39 से शाम 4:06 तक।
पारण के दिन हरि वासर समाप्त होने का समय सुबह 9:01 बजे होगा। इस समय का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।

पापमोचिनी एकादशी का महत्व

पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने सबसे पहले अर्जुन को पापमोचिनी एकादशी की महिमा बताई थी। उन्होंने कहा था कि इस व्रत से ‘ब्रह्म हत्या’ जैसे जघन्य पाप भी नष्ट हो जाते हैं। कई बार लोग अच्छे कर्म करने का संकल्प तो लेते हैं, लेकिन लालच और सांसारिक सुखों के आगे झुककर गलत रास्ते पर चले जाते हैं। ऐसे में यह व्रत उनके लिए पापों से मुक्ति का एक सुनहरा मौका लेकर आता है।

इसके अलावा, जो भक्त इस दिन भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो जाते हैं, उनके घर में माता लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। परिवार पर कभी गरीबी या दुखों का साया नहीं पड़ता।


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