Papmochani Ekadashi Vrat Katha: पापमोचिनी एकादशी 2025 पापों से मुक्ति का पवित्र व्रत और इसकी कथा जो हर किसी को पढ़नी चाहिए

Papmochani Ekadashi Vrat Katha in Hindi: इस साल 25 मार्च 2025 को पापमोचिनी एकादशी का व्रत मनाया जाएगा। यह दिन भगवान विष्णु की भक्ति के लिए खास माना जाता है। हिंदू धर्म में ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को श्रद्धा से करने पर इंसान अपने सबसे बड़े पापों से भी छुटकारा पा सकता है।
हर साल चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर यह व्रत रखा जाता है। इस दिन व्रत करने वालों के लिए पापमोचिनी एकादशी की पौराणिक कथा पढ़ना बेहद जरूरी है। कहते हैं कि इस कथा का पाठ करने से जीवन के सारे पाप खत्म हो जाते हैं। हमारे अनुभव और शास्त्रों के अध्ययन के आधार पर यह कथा न सिर्फ आध्यात्मिक शांति देती है, बल्कि जीवन में सही मार्ग दिखाती है।
Papmochani Ekadashi Vrat Katha: जब औरंगजेब ने भी माना सनातन धर्म की शक्ति
इतिहास गवाह है कि सनातन धर्म की महिमा के आगे बड़े-बड़े शासक भी झुक गए। औरंगजेब, जो आमतौर पर मंदिरों को तोड़ने के लिए जाना जाता है, उसने भी एक भव्य मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके लिखित प्रमाण आज भी मौजूद हैं, जो इस बात को साबित करते हैं कि सत्य और धर्म की ताकत अडिग है।
पापमोचिनी एकादशी की पौराणिक कथा
प्राचीन काल में चैत्ररथ नाम का एक सुंदर वन था, जहां च्यवन ऋषि के पुत्र मेधावी तपस्या में लीन रहा करते थे। इस जंगल में देवराज इंद्र अपनी गंधर्व कन्याओं, अप्सराओं और देवताओं के साथ समय बिताते थे। मेधावी ऋषि भगवान शिव के परम भक्त थे, जबकि अप्सराएं कामदेव की सहायिका थीं, जो शिव के विरोधी माने जाते थे।
एक बार कामदेव ने मेधावी की तपस्या तोड़ने की ठानी और इसके लिए मंजूघोषा नाम की एक खूबसूरत अप्सरा को भेजा। उसकी सुंदरता और मधुर स्वर ने मेधावी का ध्यान भंग कर दिया। मुनि उस पर मोहित हो गए और दोनों ने साथ रहने का फैसला किया। कई सालों तक दोनों साथ रहे, लेकिन एक दिन जब मंजूघोषा ने वापस जाने की इजाजत मांगी, तो मेधावी को अपनी गलती का एहसास हुआ। गुस्से में आकर उन्होंने अप्सरा को पिशाचनी बनने का श्राप दे दिया।
श्राप सुनकर मंजूघोषा मुनि के चरणों में गिर पड़ी और क्षमा मांगी। उसकी प्रार्थना से मेधावी का मन पिघल गया और उन्होंने उसे पापमोचिनी एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। मुनि ने कहा, “इस व्रत से तुम्हारे सारे पाप धुल जाएंगे।” बाद में मेधावी अपने पिता च्यवन ऋषि के पास गए और सारी बात बताई। च्यवन ऋषि ने कहा, “बेटे, तुमने भी गलती की है, जिससे तुम्हें पाप लगा है। इसे दूर करने के लिए तुम भी यह व्रत करो।”
कहा जाता है कि जैसे मंजूघोषा और मेधावी ने इस व्रत से अपने पापों से मुक्ति पाई, वैसे ही हर व्यक्ति को अपने जीवन के दोषों से छुटकारा पाने के लिए पापमोचिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए। यह कथा हमें सिखाती है कि सच्ची भक्ति और पश्चाताप से हर गलती को सुधारा जा सकता है।
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