Pathwari Mata Ki Kahani: पथवारी माता की कथा, शीतला माता की पूजा के बाद इस कहानी को पढ़ना क्यों है जरूरी?

Pathwari Mata Ki Kahani: पथवारी माता की कहानी
एक समय की बात है, पाल माता, पथवारी माता और विनायक जी (भगवान गणेश) के बीच इस बात पर बहस छिड़ गई कि उनमें से सबसे बड़ा कौन है। तीनों अपनी-अपनी श्रेष्ठता साबित करने में जुट गए और विवाद बढ़ता ही जा रहा था। तभी वहां से एक ब्राह्मण का बेटा गुजर रहा था। तीनों ने उसे रोककर पूछा, "बेटा, तुम ही बता दो कि हममें से सबसे बड़ा कौन है?" लड़के ने समझदारी दिखाते हुए कहा, "मैं अभी एक जरूरी काम से जा रहा हूं, कल आकर आपको जवाब दूंगा।"
घर पहुंचकर लड़के ने यह बात अपनी मां को बताई। मां ने उसे सलाह दी, "बेटा, किसी को भी छोटा मत कहना, सबको सम्मान देना।" अगले दिन लड़का फिर उन तीनों के पास गया। उसने पाल माता से कहा, "मां, आप सबसे बड़ी हैं क्योंकि हर व्यक्ति आपके पास आता है, स्नान-ध्यान करता है, और जाने से पहले पैरों से ठोकर मार जाता है, फिर भी आप कभी नाराज़ नहीं होतीं।"
फिर उसने पथवारी माता की ओर देखकर कहा, "पथवारी माता, आप भी महान हैं। चाहे कोई कितने भी तीर्थ कर ले या धार्मिक कार्य कर ले, आपकी पूजा के बिना उसका कोई भी काम पूरा नहीं होता।" इसके बाद उसने विनायक जी से कहा, "गणेश जी, आप भी सबसे बड़े हैं क्योंकि हर शुभ काम की शुरुआत आपकी पूजा से होती है। आपके बिना कोई कार्य सिद्ध नहीं हो सकता।"
लड़के की समझदारी भरी बातें सुनकर तीनों देवता खुश हो गए और बोले, "बालक, तूने बड़ी चतुराई से हम तीनों को सम्मान दे दिया। हमारा आशीर्वाद हमेशा твоего साथ रहेगा।" यह कहकर उन्होंने उसे जौ के कुछ दाने दिए। लड़का मन ही मन सोचने लगा, "इतना अच्छा फैसला किया, फिर भी बस जौ के दाने मिले, ये तो घाटे का सौदा हुआ।" घर पहुंचकर उसने जौ से भरा अंगोछा कोने में फेंक दिया। लेकिन जब उसकी मां ने अंगोछा उठाया तो उसमें से चमकते हुए हीरे-मोती बरसने लगे। मां-बेटे की खुशी का ठिकाना न रहा।
पाल माता, पथवारी माता और विनायक जी ने जिस तरह उस ब्राह्मण लड़के को आशीर्वाद दिया, वैसे ही हम सब पर इन देवताओं की कृपा बनी रहे। यह कथा हमें सिखाती है कि समझदारी और सम्मान से हर समस्या का हल निकाला जा सकता है। तो इस शीतला सप्तमी पर शीतला माता के साथ पथवारी माता की पूजा जरूर करें और उनकी कथा सुनें।
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