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Vasant Sampat 2025: वसंत संपात 2025 पर दिन-रात होंगे बराबर, आध्यात्मिक साधना का सुनहरा मौका

Vasant Sampat 2025: वसंत संपात 2025 पर दिन-रात होंगे बराबर, आध्यात्मिक साधना का सुनहरा मौका
Vasant Sampat 2025 Date And Timing: वसंत संपात 2025, 20 मार्च को होगा जब दिन और रात बराबर होंगे। यह खगोलीय घटना वसंत ऋतु की शुरुआत, संतुलन और नई ऊर्जा का प्रतीक है। धार्मिक रूप से शुभ, यह योग, ध्यान और आध्यात्मिक साधना के लिए उत्तम है। वैज्ञानिक रूप से, उत्तरी गोलार्ध में सूर्योदय जल्दी होगा।
Vasant Sampat 2025 date and timing Vasant Sampat kya hai: हर साल दो बार होने वाली खगोलीय घटना संपात प्रकृति का अनोखा चमत्कार है। पहली बार यह वसंत में और दूसरी बार शरद ऋतु में आती है। वसंत संपात तब होता है जब सूर्य भूमध्य रेखा के ठीक ऊपर से गुजरता है, जिसके चलते उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध में दिन और रात की लंबाई लगभग एक समान हो जाती है। यह वसंत ऋतु के स्वागत का संदेश लेकर आता है। यह समय संतुलन, नई ऊर्जा और सकारात्मक बदलाव का प्रतीक माना जाता है। यही वजह है कि इसे धार्मिक और आध्यात्मिक नजरिए से भी खास माना जाता है।

वसंत संपात 2025 की तारीख और समय (Vasant Sampat 2025 Date And Time)

2025 में वसंत संपात 20 मार्च को होगा। यह गुरुवार का दिन होगा। इस दिन दोपहर 02:30 बजे सूर्य भूमध्य रेखा को पार करेगा। सूर्योदय सुबह 06:25 बजे और सूर्यास्त शाम 06:32 बजे होगा। इस दिन दिन की अवधि 12 घंटे 07 मिनट 18 सेकंड होगी। पिछले दिन यह 12 घंटे 05 मिनट 34 सेकंड और अगले दिन 12 घंटे 09 मिनट 01 सेकंड होगी। यह छोटा बदलाव प्रकृति के संतुलन को दर्शाता है।

वसंत संपात का धार्मिक महत्व (Vasant Sampat Ka Dharmik Mahatva)

वसंत संपात का समय संतुलन और नई शुरुआत का संदेश देता है। दिन और रात की बराबरी इसे आध्यात्मिक साधना के लिए बेहद शुभ बनाती है। योग, ध्यान और प्राणायाम करने वालों के लिए यह समय ऊर्जा से भरपूर होता है। हिंदू मान्यताओं में कहा जाता है कि वसंत संपात के आसपास आने वाली वसंत पूर्णिमा के दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी प्रकट हुई थीं। इसलिए इस समय को धन, समृद्धि और आशीर्वाद से जोड़ा जाता है। इसके अलावा, संपात से ठीक पहले रंग पंचमी का त्योहार मनाया जाता है, जब माना जाता है कि देवी-देवता धरती पर आते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं।

वसंत संपात का वैज्ञानिक महत्व (Vasant Sampat Ka Vagyanik Mahatva)

वसंत संपात के बाद उत्तरी गोलार्ध में वसंत का मौसम शुरू हो जाता है। इस दौरान सूर्य की किरणें उत्तरी गोलार्ध की ओर झुकती हैं, जिससे सूर्योदय जल्दी और सूर्यास्त देर से होता है। धीरे-धीरे दिन बड़े और रातें छोटी होने लगती हैं। यह खगोलीय बदलाव प्रकृति में नए जीवन और हरियाली का संकेत देता है।

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