Bhiwani News: धर्मबीर सिंह भिवानी-महेंद्रगढ़ से जीत की हैट्रिक लगाने फिर मैदान में उतरे, जानें क्या बन रहे समीकरण

भिवानी। कांग्रेस में मुख्य तौर पर दो ही नेताओं में टिकट को लेकर मुकाबला चल रहा है। पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के अलावा महेंद्रगढ़ विधायक राव दान सिंह में टिकट को लेकर भागदौड़ चल रही है। यानी भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट पर मुकाबला कैसा होगा, इसका निर्णय कांग्रेस प्रत्याशी के मैदान में आने के बाद ही तय होगा। इतना जरूर है कि इस बार इस सीट पर भी रोचक मुकाबला होने के आसार बन गए हैं।
ये हैं जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण
भिवानी-महेंद्रगढ़ संसदीय सीट पर 17 लाख 70 हजार से अधिक वोटर हैं। इनमें सबसे अधिक चार लाख से अधिक जाट और दूसरे नंबर पर 3 लाख से ज्यादा यादव मतदाता हैं। पार्लियामेंट क्षेत्र में महेंद्रगढ़ जिला के चार हलके- नारनौल, नांगल-चौधरी, महेंद्रगढ़ व अटेली के अलावा चरखी दादरी जिला के दोनों हलके -दादरी और बाढ़डा शामिल हैं। इसी तरह से भिवानी जिला के भिवानी, लोहारू व तोशाम हलके भी इसी संसदीय सीट का हिस्सा हैं।
कांग्रेस के दिग्गजों में भी घमासान
भिवानी-महेंद्रगढ़ सीट के टिकट को लेकर कांग्रेस दिग्गजों के भी सींग फंसे हुए हैं। हुड्डा खेमा जहां राव दान के लिए जोर लगा रहा है। वहीं एसआरके ग्रुप यानी कुमारी सैलजा, रणदीप सिंह सुरजेवाला व किरण चौधरी श्रुति के लिए खेमेबंदी कर रहे हैं। श्रुति की माता किरण चौधरी तोशाम से विधायक हैं और कांग्रेस विधायक दल की नेता रही हैं। किरण आखिरी दम तक अपनी बेटी की टिकट के लिए दम लगाएंगी।
बाढ़डा व दादरी में भी राव का प्रभाव
शुरूआती दौर में यह मानकर चला जा रहा था कि इस बार धर्मबीर सिंह को टिकट मिलना आसान नहीं है। केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का भिवानी-महेंद्रगढ़ से नाम चर्चाओं में आने के बाद भाजपाइयों ने भी लगभग यह मान लिया था कि धर्मबीर सिंह को इस बार लोकसभा की बजाय विधानसभा चुनाव लड़वाया जा सकता है।
सूत्रों का कहना है कि पार्टी के अंदरूनी सर्वे में जब धर्मबीर सिंह की टिकट काटना जोखिम भरा नज़र आया तो पार्टी ने इंद्रजीत सिंह की सिफारिश पर उन्हें ही फिर से चुनावी रण में उतारने का निर्णय लिया। इस सीट से भाजपा के राष्ट्रीय सचिव ओमप्रकाश धनखड़ के अलावा भाजपा पार्लियामेंट बोर्ड की सदस्य व पूर्व सांसद डॉ. सुधा यादव को भी प्रबल दावेदार माना जा रहा था लेकिन इंद्रजीत सिंह की पसंद-नापसंद से बाहर जाने की जहमत भाजपा ने नहीं उठाई।
लगातार दो बार – 2014 और 2019 में भूतपूर्व सीएम चौ. बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी को चुनावों में शिकस्त दे चुके धर्मबीर सिंह के राव इंद्रजीत सिंह के साथ पुराने संबंध है। हरियाणा की राजनीति में सांसदों की ‘तिकड़ी’ भी बनी हुई थी। इनमें राव इंद्रजीत सिंह, धर्मबीर सिंह और सोनीपत सांसद रमेश चंद्र कौशिक शामिल हैं।
हालांकि इस बार यह ‘तिकड़ी’ टूटनी तय हो चुकी है। सोनीपत से रमेश चंद्र कौशिक को टिकट मिलने की दूर-दूर तक कोई उम्मीद नहीं है। राव इंद्रजीत सिंह इस संसदीय सीट की नब्ज को अच्छे से समझते हैं। पिछले परिसीमन के बाद अस्तित्व में आई गुरुग्राम संसदीय सीट से पहले राव इंद्रजीत सिंह महेंद्रगढ़ से सांसद रह चुके हैं। बहरहाल, भाजपा धर्मबीर सिंह को चुनावी रण में उतार चुकी है। अब हर किसी की नज़र कांग्रेस प्रत्याशी पर लगी हैं।
हलकों की स्थिति
इस संसदीय क्षेत्र के नौ हलकों में से भिवानी में घनश्याम सर्राफ, लोहारू में जेपी दलाल, अटेली में सीताराम यादव, नारनौल में ओमप्रकाश यादव और नांगल-चौधरी में अभय सिंह यादव भाजपा विधायक हैं। वहीं तोशाम से किरण चौधरी, महेंद्रगढ़ में राव दान सिंह कांग्रेस का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। दादरी से सोमबीर सिंह सांगवान निर्दलीय विधायक हैं तो बाढ़डा में नैना सिंह चौटाला जजपा की विधायक हैं।
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