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Hisar News: हिसार के कर्नल सत्यकाम डबास को मिलेगा विशिष्ट सेवा पदक, परिजन व हिसारवासी गौरवान्वित

Hisar News: हिसार के कर्नल सत्यकाम डबास को मिलेगा विशिष्ट सेवा पदक, परिजन व हिसारवासी गौरवान्वित
Colonel Satyakam Dabas of Hisar: कर्नल सत्यकाम डबास ने युवाओं को दिया संदेश : लक्ष्य निर्धारित करके उसे भेदने के लिए जी-जान से जुट जाओ। उन्होंने बताया कि हिसार के एनवाईपीएस स्कूल से दसवीं कक्षा तक शिक्षा ग्रहण की और उसके बाद हिसार के ही डी. एन. कॉलेज से बी.एससी. की पढ़ाई की।

हिसार। (महेंद्र गोयल) : वीरता, पराक्रम व अदम्य साहस के लिए हरियाणा के वीर सैनिकों के उदाहरण दिए जाते हैं। इसी कड़ी में हिसार निवासी कर्नल सत्यकाम डबास का नाम भी जुड़ गया है। असाधारण सैन्य सेवाओं के लिए कर्नल सत्यकाम डबास का चयन विशिष्ट सेवा पदक के लिए किया गया है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कर्नल सत्यकाम को विशिष्ट सेवा मेडल प्रदान करने की आधिकारिक मंजूरी दे दी है। अब हिसार के इस रणबांकुरे को भव्य समारोह में विशिष्ट सेवा मेडल से नवाजा जाएगा।

Hisar's Colonel Satyakam Dabas will receive the Vishisht Seva Medal, his family members and Hisar residents are proud.

दिल्ली स्थित सेना मुख्यालय में तैनात कर्नल सत्यकाम डबास विशिष्ट सेवा मेडल की सूचना को अपने परिजनों व मित्रों से साझा करने के लिए हिसार की बैंक कॉलोनी स्थित आवास पर आए हुए हैं। कारिगल युद्ध में अदम्य साहस दिखाकर कई आतंकवादियों को मार गिराने वाले सत्यकाम डबास वर्ष 2000 में गेलेंट्री अवॉर्ड से सम्मानित हो चुके हैं। इसके अलावा समय-समय पर शौर्य व बेजोड़े सेवाओं के लिए जीओसी-इन-सी प्रशंसा पत्र एवं सीओएएस प्रशंसा पत्र से भी उन्हें अलंकृत किया गया है।

भेंटवार्ता में कर्नल सत्यकाम डबास ने बताया कि हिसार कैंट नजदीक होने के कारण शहर से अक्सर सैनिक, टैंक व अन्य वाहन गुजरा करते थे। उन सैनिकों की वर्दी और जोश देखकर मन में संकल्प लिया कि फौजी बनकर देश की सेवा करनी है। इसी उद्देश्य से शुरू से ही शारीरिक फिटनेस व खेलों की तरफ विशेष रुझान रहा।

इसके साथ-साथ एनसीसी के सक्रिय कैडेट के रूप में अपनी कुशलता दिखाई। ग्रेजुएशन के बाद सीडीएस के माध्यम से भारतीय सेना का हिस्सा बनने का अवसर मिला। उन्होंने बताया कि असाधारण कार्य करने में पत्नी प्रोमिला का नैतिक रूप से भरपूर प्रोत्साहन मिलता है।

सेना सिखाती है अलग ढंग से जीवन जीने का ढंग

लद्दाख की बर्फीली वादियों व राजस्थान के रेगिस्तान में अपनी ड्यूटी मुस्तैदी से निभाने वाले कर्नल सत्यकाम डबास का कहना है कि आर्मी से जुुड़ने का मतलब केवल नौकरी नहीं है। आर्मी अलग ढंग से जीवन जीने की कला सिखाती है। अनुशासन, समर्पण, सेवा व लगन की बानगी देश की सेना में सहज ही देखी जा सकती है।

उन्होंने युवाओं को प्रेरित करते हुए कहा कि भारतीय सेना योग्य, समर्पित व जुझारू युवाओं को सेना में शामिल करने के लिए तत्पर है। इसलिए युवाओं को अपना लक्ष्य निर्धारित करके उसे भेदने के लिए जी-जान से जुट जाना चाहिए।

परिजनों ने जताई खुशी

कर्नल सत्यकाम के पिता सोरण सिंह चौधरी हिसार में नहरी विभाग के एसडीओ पद से सेवानिृत्त हुए हैं। वे बड़े गर्व के साथ कहते हैं कि कर्नल सत्यकाम को पदक मिलने से हम ही नहीं बल्कि पूरा देश गौरवान्वित हुआ है। उन्होंने बताया कि बचपन से सेना में जाने की जिद्द ने उसे जुझारू सेना अधिकारी बनाया है।

माता मिथलेश देवी अपने बेटे सत्यकाम को आशीर्वाद देते हुए कहती हैं कि मेरी तो यही कामना है कि ऐसे बेटे हर घर में हों, जो देश की सच्चे मन से सेवा करें। बहन रितु आंचल स्कूल प्रिंसिपल हैं। वे प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहती हैं कि मुझे गर्व की अनुभूति होती है कि मेरा भाई केवल अपनी बहनों की ही नहीं बल्कि देशभर की सभी बहनों का रक्षक बनकर अपना दायित्व निभा रहा है।

विशिष्ट सेवा पदक की प्रासंगिकता

विशिष्ट सेवा पदक भारत सरकार द्वारा सशस्त्र बलों के सभी रैंक के कर्मियों के लिए विशिष्ट आदेश पर की जाने वाली असाधारण सेवा हेतु दिया जाने वाला सम्मान है। यह सम्मान मरणोपरांत भी प्रदान किया जा सकता है। सम्मान के साथ वीएसएम का उपयोग करने का अधिकार नामपत्र के रूप में दिया जाता है। दरअसल यह सम्मान लगातार समर्पित भाव से की जा रही बेजोड़ सैन्य सेवाओं के लिए दिया जाता है।

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