Haryana News : हरियाणा में अवैध खनन, अतिक्रमण, भोजन-जल संसाधनों की कमी के चलते रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे तेंदुए और बाघ
चंडीगढ़। Why leopards and tigers moving in Haryana : पिछले कुछ समय में जंगली जीव मानव आबादी वाले इलाकों की तरफ आ रहे हैं। इस साल जनवरी माह में ही कई जिलों तेंदुए नजर आ चुके हैं जिसके चलते वहां भय की स्थिति हो गई। पिछले कुछ दिन में ही हरियाणा के हिसार, फरीदाबाद, गुरुग्राम, सोनीपत और नूह में रिहायशी इलाकों में तेंदुए की चहलकदमी से लोगों में भय का माहौल व्याप्त हो गया।
कई जगह तो तेंदुए ने लोगों पर हमला कर उनको गंभीर रुप से घायल भी कर दिया। रिहायशी इलाकों में निरंतर तेंदुओं के आने से सबकी चिंताएं बढ़ गई हैं और उनके जंगल से बाहर रिहायशी इलाकों में आने से मवेशियों के अलावा इंसानों की जान को भी खतरा हो जाता है। इसी कड़ी में अब सवाल निरंतर उठ रहा है कि तेंदुए समेत अन्य जंगली जीव मानवीय इलाकों का रुख क्यों कर रहे हैं और इसके पीछे क्या कारण हैं।
वहीं इन दिनों खेतों में तेंदुए के आने के कारण किसानों की भी परेशानी बढ़ गई है क्योंकि गेहूं की फसल तैयार हो रही है। ऐसे में किसानों को रात को फसल की रखवाली व सिंचाई के लिए खेतों में जाना पड़ रहा है। उनको लगातार भय रहता है कि कहीं तेंदुआ हमला न कर दे। सोनीपत के खरखौदा क्षेत्र में एक किसान पर हमले की सूचना के बाद उनकी परेशानी और बढ़ गई है।
अवैध खनन और अवैध अतिक्रमण के चलते तेंदुएं आ रहे मानवीय बस्तियों
वन विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि कि जंगलों में मानवीय हस्तक्षेप लगातार बढ़ता जा रहा है। अरावली की पहाड़ियों में अवैध खनन के चलते तेंदुएं जंगल को छोड़कर रिहायशी इलाकों का रुख कर रहे हैं। हरियाणा के अरावली क्षेत्र, जिसमें गुरुग्राम, फरीदाबाद और नूंह जिले शामिल हैं, में लगातार अवैध अतिक्रमण के मामले भी रिपोर्ट हो रहे हैं।
अवैध अतिक्रमण बढ़ने, अवैध खनन और जंगल वाले इलाकों को कृषि भूमि में बदले जाने से वन क्षेत्र में तेजी से कमी आई है।। एक अन्य क्षेत्र, जिसके कारण तेंदुए अक्सर मानव बस्तियों में आ रहे हैं। जंगलों का रकबा लगातार कम हो रहा है इसके चलते जंगली जीवों के लिए आश्रय लेने के लिए मानवीय बस्तियों की तरफ आना पड़ रहा है।
कम भोजन, जल संसाधनों की कमी भी रिहायशी इलाकों मे आने के कारण
जानवरों के प्राकृतिक आश्रय जंगल में जानवरों के सामने प्राकृतिक भोजन की समस्या भी निरंतर पेश आ रही है। उनके प्राकृतिक आश्रय में प्राकृतिक भोजन और जल संसाधनों की उपलब्धता की कमी है। नतीजतन, तेंदुओं को जंगल से निकलना पड़ता है। कई जंगलों में तेंदुओं के लिए बहुत कम भोजन है, जिसने उन्हें शहरी और ग्रामीण आबादी के करीब आने के लिए मजबूर कर दिया है।
यही कारण है कि मानव-तेंदुआ संघर्ष का एक दुष्चक्र शुरू हो गया है। पर्याप्त भोजन नहीं मिलने के चलते तेंदुएं मानवीय इलाकों में आकर शिकार की तलाश करते हैं। भूखे और हताश तेंदुए अब मानव आबादी के आसपास जाकर आवारा कुत्तों, बकरियों और छोटे पशुओं का शिकार करते हैं शाम होने के बाद भोजन की तलाश में मानव बस्तियों की ओर बढ़ते हैं।
मानव संघर्ष, एक्सीडेंट, शिकार और करंट की चपेट में आ जान गंवा रहे तेंदुए
जब तेंदुए मानवीय इलाकों में घुसते हैें मानवीय संघर्ष में कई बार उनकी जान चली जाती है। इनको रिहायशी इलाकों से खदेड़ने में की प्रक्रिया में ये चोटिल भी हो जाते हैं। लोग तेंदुए का पीछा करते हैं, वे लाठियों और पत्थरों से उन्हें गंभीर रूप से घायल कर देते हैं या मार देते हैं।
इसके अलावा कई बार जंगल से निकल हाईवे या सड़क पर वाहनों की चपेट में आने से उनकी जान चली जाती है। तेंदुए सामान्यत मानवीय इलाकों के पास शांति से रहने पसंद करते हैं लेकिन कई बार ये अवैध शिकार के चलते भी मार जाते हैं। कई बार हाई टेंशन बिजली की तारों के चलते भी हादसे का शिकार हो जाते हैं।
4 साल में 11 से अधिक तेंदुएं हादसों का शिकार हुए
बता दें कि अरावली हिल्स का बड़ा हिस्सा कानूनी और शारीरिक रूप से असुरक्षित है, यहां कोई वन्यजीव क्रॉसिंग नहीं है और बहुत कम या कोई वन्यजीव संरक्षण कार्य नहीं है, जिसके परिणामस्वरूप जनवरी 2015 से जनवरी 2019 के बीच 4 वर्षों में 11 से अधिक तेंदुओं की मौत हो गई।
साल 2019 में 4 तेंदुए गुरुग्राम में मारे गए और 3 तेंदुए गुरुग्राम-फरीदाबाद रोड़ और मंडावर में , 1 तेंदुआ कलेसर नेशनल पार्क के पास उत्तमवाला गांव में मारा गया। इसके बाद अक्टूबर 2020 में गुरुग्राम-फरीदाबाद मार्ग पर सड़क हादसे में एक नर तेंदुए की मौत हो गई।
ज्यादातर मौतें तीन राजमार्गों पर होती हैं, ज्यादातर फरीदाबाद-गुरुगांव रोड पर, उसके बाद एनएच-48 दिल्ली-चेन्नई राजमार्ग और कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेसवे (केएमपीई) पर, ये सभी असोला वन्यजीव अभयारण्य से वन्यजीव गलियारे से होकर गुजरते हैं। दिल्ली से राजस्थान के सरिस्का तक, गुरूग्राम (मांगर-बंधवारी) से गुजरते हुए। इसके अलावा तेंदुओं की सबसे अधिक मौतें गुरुग्राम-फरीदाबाद राजमार्ग पर होती हैं।
हिसार, सोनीपत, रेवाड़ी, नारनौल, गुरुग्राम समेत आधा दर्जन जिलों में इस साल देखा गया तेंदुआ
पिछले कुछ दिनों में कई जिलों में मानवीय बस्तियों में तेंदुए देखे गए हैं। मानवीय इलाकों में तेंदुए के आने के सबसे ज्यादा मामले अरावली हिल्स में पड़ने वाले हरियाणा के जिलों में रिपोर्ट हो रहे हैं। नए साल में पहले सप्ताह में गुरुग्राम के नरसिंहपुर में तेंदुए ने जमकर उत्पात मचाया।
दर्जन भर घरों में उत्पात मचाते हुए दो लोगों को भी घायल कर दिया। करीब 7 घंटे तक चलते रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद उसको बेहोश कर काबू किया गया। पिछले रविवार 21 जनवरी को तेंदुए को हिसार के ऋषि नगर श्मशान घाट के पास देखे जाने के बाद हड़कंप मच गया।
कई घंटे की मशक्कत के बाद वन विभाग की टीम तेंदुए पर काबू कर सकी। इससे पहले हिसार में 19 सितंबर 2018 मे्ं यहां तेंदुआ देखा गया था। इसके अलावा रेवाड़ी में भी तेंदुए के देखे जानकारी की सामने आई। इसी कड़ी सोनीपत के गोहाना में पिछले कई दिन से तेंदुए के होने की जानकारी रिपोर्ट हो रही है। इसको लेकर 25 जनवरी 2024 को मंडलीय वन्य प्राणी अधिकारी रोहतक की तरफ से इसको लेकर आधिकारिक पत्र भी जारी किया गया है।
हरियाणा के कलेसर, मोरनी, अरावली में करीब 100 तेंदुए
विभाग से प्राप्त जानकारी अनुसार राज्य के सबसे बड़े शिकारी स्तनपायी, दो अलग-अलग जीवमंडलों में पाए जाते हैं, उत्तर में शिवालिक पहाड़ी श्रृंखला में विशेष रूप से कालेसर राष्ट्रीय उद्यान और मोरनी पहाड़ियों के जंगल में और इसके अलावा, दक्षिण हरियाणा के जंगलों में भी।
अनुमानित तौर पर हरियाणा में शिवालिक और अरावली में लगभग 100 तेंदुए हैं जिनमें से करीब दो दर्जन तो अकेले कालेसर नेशनल पार्क में हैं। इसके अलावा गुरुग्राम-फरीदाबाद अरावली में 40 से 45 तेंदुए हैं, जिनमें से करीब तीन दर्जन अकेले गुरुग्राम में हैं। जनवरी 2019 में, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) ने घोषणा की कि वे पगमार्क और ट्रैप कैमरों का उपयोग करके तेंदुए और वन्यजीवों का सर्वेक्षण करेंगे , इसके बाद रेडियो ट्रैकिंग कॉलर के माध्यम से तेंदुए और सियार को ट्रैक किया जाएगा।
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