Faridabad News: ऐतिहासिक नगरी में कौन बनेगा सबसे पुरानी पार्टी का खेवनहार

Faridabad News Today: फरीदाबाद। संदीप पराशर: 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में बेशक अभी एक साल से ज्यादा का समय बचा हो लेकिन कर्नाटक चुनाव में संभावित जीत और मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में सकारात्मक राजनीतिक बढ़त से कांग्रेस पार्टी का आत्मविश्वास हरियाणा में भी चरम पर है।
इसी आत्मविश्वास का नतीजा है की विधानसभा चुनाव के 1 साल पूर्व ही कई दलों के दलबदलू नेताओं ने कांग्रेस पार्टी का रुख अख्तियार करना चालू कर दिया है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा गरम है की हरियाणा में खुद को कमजोर समझ रही भारतीय जनता पार्टी लोकसभा चुनावों के साथ ही हरियाणा विधानसभा के चुनाव भी करवाने के लिए प्रयत्न कर रही है।
भाजपा के नेताओं का मानना है की लोकसभा चुनाव के दौरान मोदी लहर का फायदा उन्हें मिलेगा, वहीं राजनीतिक जानकर इसे प्रदेश के मुखिया का मास्टरस्ट्रोक भी मान रहे हैं।
अब क्योंकि संभावित ओपिनियन पोल में कर्नाटक में कांग्रेस की प्रचंड बहुमत वाली सरकार बनती दिख रही है, तो दक्षिण भारत से चली गर्म राजनीतिक हवाओं ने साउथ हरियाणा की सबसे हॉट सीट बल्लभगढ़ की राजनीति में भी जबरदस्त गर्माहट लाने का काम किया है।
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अगर बात की जाए बल्लभगढ़ विधानसभा की तो कांग्रेस ने पिछले दो बार से कमजोर उम्मीदवारों को यहां से मौका देकर भाजपा को लगभग खुला मैदान देने का काम किया है।
लेकिन इस बार जब मौजूदा सरकार के खिलाफ एन्टी-इनकम्बेंसी चरम पर है तो बल्लभगढ़ में कांग्रेस पार्टी फूंक-फूंक कर कदम रख रही है।
अगर मौजूदा हालात के मद्देनजर बात की जाए तो कांग्रेस में तीन सबसे प्रबल उम्मीदवार दिखाई पड़ते हैं।
जिसमें हम सबसे पहले बात करेंगे मनोज अग्रवाल की। यह चेहरा बल्लभगढ़ के सबसे ज्यादा चर्चित उम्मीदवार मनोज अग्रवाल का हैं।
जिनकी धर्मपत्नी भी जबरदस्त तरीके से जनसंपर्क कर अपनी एंट्री दर्ज कर महिला उम्मीदवारी को लेकर चर्चा में बनी हुई है। इनकी सबसे बड़ी ताकत पार्टी के प्रति इनकी गहरी निष्ठा और ईमानदारी को बताया जाता है।
बल्लभगढ़ की पूर्व विधायिका द्वारा कांग्रेस छोडऩे के बाद से इन्होंने ही पिछले 10 वर्षों से कांग्रेस का झंडा उठाने का काम किया है। ब्लॉक स्तर से लेकर राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी के कार्यक्रमों में इनकी सक्रिय भागीदारी ने निश्चित तौर पर आलाकमान का ध्यान अपनी ओर खींचने का काम किया है।
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आज की तारीख में मनोज अग्रवाल के ऊपर कांग्रेस महासचिव कुमारी सैलजा का दोनों हाथों से आशीर्वाद उनकी दावेदारी को ओर ज्यादा मजबूत करता हैं वहीं भारत जोड़ो यात्रा के दौरान इनके जबरदस्त प्रचार तंत्र ने राहुल गांधी की टीम को भी अचंभित करने का काम किया था। लेकिन जमीन पर उनका कम दिखाई देना उनकी एक कमजोर कड़ी जरूर है।
वहीं इस कड़ी में अब हम बात करेंगे बल्लभगढ़ से दो बार विधायक रह चुकीं पूर्व सीपीएस शारदा राठौर की। जिनकी सबसे बड़ी ताकत उनकी जमीनी पकड़ बताई जाती है।
लगातार दो बार विधायक रहीं शारदा राठौर ने अपने कार्यकाल के दौरान लोगों को अपने साथ जोडऩे का काम किया था। वर्तमान में उनका निंरतर जनसंपर्क अभियान चर्चाओं में बना हुआ है।
वहीं हुड्डा परिवार से उनकी नजदीकियां किसी से छुपी नहीं हैं लेकिन 2014 और 2019 में जिस प्रकार उन्होनें नाजुक समय पर कांग्रेस पार्टी से किनारा करना, इनकी दावेदारी के सबसे ज्यादा आड़े आ रही है। पार्टी में अंदरखाने ही उनका विरोध हो रहा है।
तीसरे नंबर पर हैं इनेलो से कभी इनेलो के कद्दावर नेता एवं ब्राह्मण सभा के जिलाध्यक्ष रहे डॉ रामनारायण भारद्वाज के पुत्र की कांग्रेस में धमाकेदार एंट्री करने वाले गिरीश भारद्वाज है।
हरियाणा कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान व करण दलाल के खासम-खास होने के साथ-साथ हुड्डा दरबार में डायरेक्ट एंट्री रखने वाले गिरीश भारद्वाज की ताकत उनका सौम्य व मिलनसार व्यक्तित्व है।
इन्होंने कांग्रेस में आते ही जिलाध्यक्ष के पद पर अपनी मजबूत दावेदारी ठोक कर अपनी ताकत का एहसास करा दिया है। लेकिन पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं जो सांसद, विधानसभा और मेयर की टिकट अपनी जेब में रख कर चलने वाले नेताओं ने इनके खिलाफ खुल्लम-खुल्ला मोर्चा खोला हुआ है। जो इनकी दावेदारी में कहीं न कहीं अवरोधक पैदा कर रहा है।
इन सब के बीच हरियाणा कांग्रेस के दो प्रमुख गुटों ने निजी कंपनी के जरिए विधानसभा स्तर पर सर्वे कराने का काम चालू कर दिया है।
उम्मीद यह जताई जा रही है की दोनों ही गुट इस बार कोई कोताही बरतने के मूड में नहीं हैं। अब यह देखना बेहद ही दिलचस्प होगा की इस बार कांग्रेस में रेवडिय़ां सर्वे के आधार पर बांटी जाती हैं या हमेशा की तरह नेताओं की सिफारिशों के आधार पर?
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