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Morbi Bridge: 140 साल पहले अंग्रेजों ने बनाया था मोरबी पुल, 3 लाख रुपए में हुआ था तैयार

Morbi Bridge: 140 साल पहले अंग्रेजों ने बनाया था मोरबी पुल, 3 लाख रुपए में हुआ था तैयार
Morbi bridge accident: कब और कैसे बना था मोरबी पुल, इसे बनाने का अंग्रेजों का मकसद क्या था। 765 फीट लंबे और 4.5 फीट चौड़े इस पुल का निर्माण 140 साल पहले अंग्रेजों ने किया था। लगभग 1882 में बने इस पुल की लागत साढ़े तीन लाख रुपए आई थी। फिलहाल यह पुल 6 महीने से बंद पड़ा था और मरम्मत का कार्य जारी था। इसकी मरम्मत में ही 2 करोड़ रुपए का खर्चा किया गया है। 

मोरबी (गुजरात न्‍यूज)। Morbi bridge collapse: गुजरात के मोरबी में हैंगिंग पुल टूटने से 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है। अभी भी कई सारे लोग लापता हैं और नदी में होने की आशंका है। वहीं पुल के टूटे हिस्से के नीचे भी कई शव फंसे होने की बात कही जा रही है। बहराल हादसा बहुत ही दुखद है और एनडीआरएफ समेत प्रशासन की कई टीमें रेस्क्यू अभियान में जुटी है। बताया गया है कि 170 लोग रेस्क्यू किए गए हैं वहीं मृतकों में 25 बच्चे शामिल हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ।

765 फीट लंबा और 4.5 फीट चौड़ा है मोरबी पुल

765 फीट लंबे और 4.5 फीट चौड़े इस पुल का निर्माण 140 साल पहले अंग्रेजों ने किया था। लगभग 1882 में बने इस पुल की लागत साढ़े तीन लाख रुपए आई थी। फिलहाल यह पुल 6 महीने से बंद पड़ा था और मरम्मत का कार्य जारी था। इसकी मरम्मत में ही 2 करोड़ रुपए का खर्चा किया गया है। 25 अक्टूबर को इसे जनता के लिए खोला गया था। इस पुल की क्षमता 100 लोगों की थी लेकिन रविवार होने की वजह से यहां भीड़ ज्यादा हो गई और पुल पर लगभग 400 लोग सवार हो गए। इसी कारण यह हादसा हो गया।

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एक सदी से भी अधिक पुराना है यह पुल

आपको जानकार हैरानी होगी कि यह केबल ब्रिज एक सदी से भी अधिक पुराना है। 19वीं सदी में ब्रिटिश शासन के दौरान बनाया गया था। उस समय इस पुल की लंबाई 230 मीटर और चौड़ाई 4.6 मीटर थी। पिछले कुछ सालों से इसके रेनोवेशन और मरम्मत का काम चल रहा था।

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देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर रहा मोरबी पुल

गुजरात में यह पुल पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण का केंद्र होता है। यह पुल सिर्फ मोरबी ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए ऐतिहासिक धरोहर है। इसका उद्घाटन 20 फरवरी 1879 में किया गया था। उस समय पुल को बनाने का पूरा सामान इंग्लैंड से ही मंगाया गया था। लकड़ी और केबल से इसका निर्माण किया गया था।

राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी की निशानी है मोरबी का पुल

इस पुल का निर्माण 19वीं सदी में के राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी की रियासत में किया था। राजा प्रजावत्स्ल्य सर वाघजी इस पुल से होकर ही अपने राज दरबार से राजमहल की ओर जाते थे। जब उनकी राजशाही खत्म हो गई तो उन्होंने मोरबी नगर पालिका को सौंप दी थी।

15 साल से ओरोवा ग्रुप कर रहा पुल की मरम्मत

फिलहाल इस पुल की मरम्मत की जिम्मेदारी 15 साल के लिए ओरोवा ग्रुप के पास है। ओरोवा ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 तक के लिए मोरबी नगरपालिका के साथ एक समझौता किया है। ओरोवा ग्रुप ही ब्रिज की सुरक्षा, सफाई, टोल वसूलने, रखरखाव और स्टाफ प्रबंधन का काम देखेगा।

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