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Ram Mandir: अभिजित मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा, राममय हो उठी अयोध्या, स्वर्ग से धरती पर उतरे देव

Ram Mandir: अभिजित मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा, राममय हो उठी अयोध्या, स्वर्ग से धरती पर उतरे देव
Ayodhya Ram Mandir news: प्राण प्रतिष्ठा के मुख्य यजमान प्रधामंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को सुबह दस बज कर पैंतालीस मिनट पर अयोध्या धाम के वाल्मीकि हवाई अड्डे पर पहुंचेगे। वो लगभग 12 बजे मुख्य समारोह स्थल पहुंच जाएंगे। शास्त्रीय पद्धति और परंपराओं का अनुशीलन क्रम में प्रधानमंत्री मोदी प्राण-प्रतिष्ठा राम लल्ला के विग्रह के नेत्र उन्मीलन और दर्पण दर्शन और अंजन अभिजीत मुहूर्त में करेंगे।

अयोध्या। अयोध्या धाम में राम लल्ला के विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा होने वाली है। पूरी अयोध्या राममय हो चुकी है। मंदिर के मुख्य मण्डपों के अलावा अयोध्या के अन्य मंदिर में अखण्ड रामायण, सुंदरकाण्ड और हनुमान चालीसा के पाठ चल रहे हैं। दरअसल, 9 नवम्बर 2019 को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में राम मंदिर बनाने का फैसला यूं ही नहीं कर दिया था।

स्कंद पुराण के वैष्णव खण्ड और वाल्मीकि रचित रामायण में भगवान राम के जन्म स्थान का उल्लेख है। उसमें कहा गया है कि राम लल्ला का जन्म स्थान विघ्नेश्व के पू्र्व विशिष्ठ के उत्तर और लोमेश के पश्चिम में है। और शास्त्रीय गणनाओं के अनुसार यह वही स्थान है जहां मंदिर का गर्भगृह है।

सुप्रीम कोर्ट ने भी जब यह जान लिया कि अब सनातनियों के शास्त्रीय साक्ष्यों को किसी भी तरह झुठलाया नहीं जा सकता तो उन्हें राममंदिर बनाने का फैसला सुनाना ही पड़ा।...और अब वहां भव्य राम मंदिर बनकर तैयार है। 23 जनवरी से राम लल्ला के दर्शन सभी श्रद्धालुओं के लिए सुलभ हो जाएंगे।

अभिजित मुहूर्त में प्राण प्रतिष्ठा

पौष शुक्ल कूर्म द्वादशी, विक्रम संवत 2080, यानी सोमवार, 22 जनवरी, 2024 को दोपहर 12 बज कर 29 मिनट और 8 सेकंड से लेकर 12 बज कर 30 मिनट और 32 सेकंड के मध्य मृगशिरा नक्षत्र में मुख्य यजमान प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी भगवान राम लल्ला के विग्रह में प्राण प्रतिष्ठा करेंगे।

इससे पूर्व रामव्रती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले दिनों कठोर यम-नियम का पालन किया। जमीन पर कंबल शैया पर सोए और सिर्फ नारियल पानी पिया। इस दौरान प्रधानमंत्री ने मुख्ययजमान की भूमिका निभाते हुए भगवान राम और रामायण काल से संबंधित मंदिरों के दर्शन-पूजन किए।

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रविवार को तमिलनाडु के अरिचल मुनै पहुंचे। पीएम मोदी ने समुद्र तट पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने वहां ‘प्राणायाम’ भी किया। उन्होंने समुद्र का जल हाथों में लेकर प्रार्थना की और अर्घ्य दिया। इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने धनुषकोडी में श्री कोठंडारामास्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। दरअसल पीएम मोदी ने रात्रि प्रवास रामेश्वरम में किया था और इसके बाद वह अरिचल मुनै गए। कहा जाता है कि अरिचल मुनै वह स्थान है जहां राम सेतु का निर्माण हुआ था।

विभीषण इसी स्थान पर हुए थे राम शरणागत

श्री कोदण्डारामस्वामी मंदिर का भगवान राम से सीधा नाता है। कोदण्डाराम का अर्थ है धनुषधारी राम। शास्त्रीय प्रमाणों के अनुसार रावण के छोटे भाई विभीषण ने यही आकर भगवान राम से शरण मांगी थी। इसके बाद भगवान राम ने यहीं पर विभीषण का अभिषेक किया था। राम को कोठंडाराम कहा जाता है क्योंकि यहां उन्हें हाथ में धनुष लिए देखा जाता है। वहां बने मंदिर को भी यही नाम दिया गया था।

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सात दिन तक चले प्राण प्रतिष्ठा के शास्त्रीय अनुष्ठान

इससे पहले प्राण प्रतिष्ठा के द्वादश अधिवास 16 जनवरी को प्रायश्चित्त और कर्मकूटि पूजन से शुरु हुए। 17 जनवरी को मूर्ति का परिसर प्रवेश, 18 जनवरी को तीर्थ पूजन, जल यात्रा, जलाधिवास और गंधाधिवास, 19 जनवरी को औषधाधिवास, केसराधिवास, घृताधिवास, धान्याधिवास के अनुष्ठान हुए। इसके बाद 20 जनवरी को प्रातः  शर्कराधिवास और फलाधिवास तथा शाम को पुष्पाधिवास हुआ। 21 जनवरी रविवार की सुबह मध्याधिवास और शाम को शय्याधिवास के साथ द्वादशाधिवास अनुष्ठान हुए।

वेद पारायण और अघोर पूजा

रविवार को ही वेद पारायण हुआ। इसके बाद कुछ विशिष्ठ अनुष्ठान किए गए जिनकी जानकारी कुछ ही लोगों तक सीमित रही। इसमें एक अघोर पूजा है। भगवान भोलेनाथ की पूजा अघोर पूजा के बिना राम लल्ला की प्राण प्रतिष्ठा समारोह पूरा कैसे होता। भगवान शिव के अघोर मंत्र का सवालाख जप और अतिमहारुद्र यज्ञ को वेदपाठी ब्राह्मणों ने पूरे मनोयोग से 20 और 21 जनवरी को किया।

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121 वेद विद्वानों का मार्गदर्शन

प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अनुष्ठान की सभी प्रक्रियाओं का समन्वय, समर्थन और मार्गदर्शन करने वाले 121 आचार्यों ने किया। गणेशवर शास्त्री द्रविड़ सभी प्रक्रियाओं की निगरानी, समन्वय और दिशा-निर्देशन की तथा काशी के लक्ष्मीकांत दीक्षित मुख्य आचार्य की भूमिका में हैं।

150 परंपराओं के संत-महंत-संन्यासी

भारतीय धर्म, संप्रदाय, पूजा पद्धति, परंपरा के सभी विद्यालयों के आचार्य, 150 से अधिक परंपराओं के संत, महामंडलेश्वर, मंडलेश्वर, श्रीमहंत, महंत, नागा संन्यासियों सहित आदिवासी, गिरिवासी, तातवासी, द्वीपवासी आदिवासी परंपराओं के प्रमुख व्यक्ति राम लल्ला की प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के साक्षी बनने के लिए अयोध्या धाम पहुंच चुके हैं। कलियुग में भारतीय इतिहास में पहली बार पर्वत, वन, समुद्र तटीय क्षेत्रों तथा द्वीपों के निवासी एक साथ-एक स्थान पर एकत्र हो रहे हैं। 

शैव-शाक्त सब एक स्थान पर

प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शैव, वैष्णव, शाक्त, गाणपत्य, पात्य, सिख, बौद्ध, जैन, दशनाम शंकर, रामानंद, रामानुज, निम्बार्क, माध्व, विष्णु नामी, रामसनेही, घिसापंथ, गरीबदासी, गौड़ीय, कबीरपंथी, वाल्मीकि, शंकरदेव (असम), माधव देव, इस्कॉन, रामकृष्ण मिशन, चिन्मय मिशन, भारत सेवाश्रम संघ, गायत्री परिवार, अनुकूल चंद्र ठाकुर परंपरा, ओडिशा के महिमा समाज, अकाली, निरंकारी, नामधारी (पंजाब), राधास्वामी और स्वामीनारायण, वारकरी, वीर शैव इत्यादि कई सम्मानित परंपराओं के प्रमुख और उनके अनुयाई सम्मिलित हो रहे हैं।

यजमान-मुख्य यजमान के बाद साक्षी महानुभावों को राम लल्ला के दर्शन 

अयोध्या धाम के राम मंदिर के गर्भ-गृह में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के बाद, सभी साक्षी महानुभावों को दर्शन कराया जाएगा।  रामलल्ला की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए हर जगह उत्साह का भाव है। इसे अयोध्या समेत पूरे भारत में बड़े उत्साह के साथ मनाने का संकल्प किया गया है। समारोह के पूर्व विभिन्न राज्यों के लोग जल, मिट्टी, सोना, चांदी, मणियां, कपड़े, आभूषण, विशाल घंटे, ढोल, सुगंध इत्यादि लाएं हैं, इन सबको राम लल्ला को समर्पि किया जाएगा।

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50 से अधिक अद्भुत वाद्ययंत्रों से रामधुन

श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के अधिकारिक ट्विटर पेज (एक्स) लिखा गया है कि भक्ति भाव से सराबोर अयोध्या धाम, प्राण प्रतिष्ठा समारोह की सुबह 10 बजे राजसी 'मंगल ध्वनि' से झंकरित और गुंजायमान होगा। इस शुभ अवसर पर विभिन्न राज्यों के 50 से अधिक अद्भुत वाद्ययंत्र एक साथ लगभग दो घंटे तक गूंजते रहेंगे। यह प्रस्तुति अयोध्या के यतींद्र मिश्र के निर्देशन में होगी। इस भव्य संगीतमय प्रस्तुति को संगीत नाटक अकादमी दिल्ली का सहयोग मिला है।

नेपाल मां जानकी के मायके से आया भार

जनकपुर (नेपाल) से माँ जानकी के मायके से भेजे गए भार (एक बेटी के घर स्थापना के समय भेजे जाने वाले उपहार)  और सीतामढ़ी (बिहार) के ननिहाल से अयोध्या लाए गए उपहार विशेष हैं। रायपुर, दंडकारण्य क्षेत्र स्थित प्रभु के ननिहाल से भी विभिन्न प्रकार के आभूषणों आदि के उपहार और उस विशिष्ट वट वृक्ष को भी लाया गया है जिसके पत्ते दोहने के आकार के होते हैं।

यह विशिष्ट प्रजाति का वृक्ष दंडकारण्य यानी आज के छत्तीसगढ़ में ही पाया जाता है। कहा जाता है कि भीलनी जाति की माता शबरी ने इसी वृक्ष के पत्तों में रख कर भगवान को अपने झूठे बेरों का भोग लगाया था। अफगानिस्तान और पाकिस्तान के उन स्थानों की नदियों का जल भी अयोध्या भेजा गया जिनका संबंध भगवान राम से रहा है। 

Ram Mandir ki Shubhkamnaye: राम मंदिर अयोध्या पर भेजें शुभकामनाएं, शायरी और बधाई संदेश

बधाई संदेशों का लगा अम्बार

प्राण प्रतिष्ठा समारोह पर न्यूजीलैंड की जातीय समुदाय मंत्री मेलिसा ली का कहना है कि मैं दुनिया भर के भारतीय प्रवासियों को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के जश्न के लिए शुभकामनाएं देती हूं। राम मंदिर के उद्घाटन पर पीएम मोदी और भारत के लोगों को बधाई। 500 साल बाद राम मंदिर पर पीएम मोदी के काम और इस मंदिर को पुनर्जीवित करने की उनकी वकालत का नतीजा है। यह भारत को आगे ले जाने और अर्थव्यवस्था को बढ़ाएगा। पीएम मोदी का दुनिया भर में सम्मान किया जाता है और वह भारत के लोगों के लिए बहुत अच्छा काम करते हैं।

राम लल्ला के दर्शन को आतुर न्यूजीलैण्ड के मंत्री

न्यूजीलैंड के ही एक और मंत्री डेविड सेमोर ने कहा- "जय श्री राम... मैं पीएम मोदी सहित भारत के सभी लोगों को उनके नेतृत्व के लिए बधाई देना चाहता हूं, जिन्होंने 500 वर्षों के बाद इस (राम मंदिर) निर्माण को संभव बनाया है। मैं पीएम मोदी के साहस और ज्ञान की तारीफ करता हूं, क्योंकि वह भारत में एक अरब से अधिक लोगों को आज दुनिया की चुनौतियों से निपटने में मदद करते हैं। मुझे राम मंदिर का दर्शन करने में खुशी होगी।

नेपाल, मारीशस, थाईलैण्ड, फिजी, इंडोनेशिया, मलेशिया, कम्बोडिया और श्रीलंका से भारतवासियों और प्रधानमंत्री मोदी को बधाई संदेशों का अम्बार लग गया है। इसके अलावा, अमेरिका, इंग्लैण्ड और रूस में राम लल्ला के प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष्य में विशिष्ट समारोह हो रहे हैं।

10 लाख दीपों से जगमग अयोध्या

प्राण प्रतिष्ठा समारोह का समापन सोमवार की शाम रामलल्ला मंदिर, कनक भवन, हनुमानगढ़ी, गुप्तारघाट, सरयू तट, लता मंगेशकर चौक, मणिराम दास छावनी समेत 100 मंदिरों, प्रमुख चौराहों और सार्वजनिक स्थलों पर दीप प्रज्ज्वलित किए जाएंगे। देश के हर नगर, हर ग्राम में 'राम ज्योति' प्रज्ज्वलित कर दीपावली मनाई जाएगी। अकेले अयोध्या धाम में 10 लाख दीपक जलाए जाएँगे।

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