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Slogans of Bharat Ratna Karpuri Thakur: कर्पूरी ठाकुर के क्रांतिकारी नारे जिन्होंने बदल दी दुनिया, मिला सभी को समानता

Slogans of Bharat Ratna Karpuri Thakur: कर्पूरी ठाकुर के क्रांतिकारी नारे जिन्होंने बदल दी दुनिया, मिल सभी को समानता
Slogans of  Karpuri Thakur: कर्पूरी ठाकुर ने ही नारा दिया था- ‘यदि जनता के अधिकार कुचले जायेंगे तो जनता आज न कल संसद के विशेषाधिकारों को चुनौती दे देगी.’ समाजवादी विचारधारा के प्रखर नेता के तौर पर जाने वाले कर्पूरी ठाकुर को लोकनायक जयप्रकाश नारायण और राम मनोहर लोहिया का सान्निध्य मिला था। 

Karpuri thakur ke krantikari nare in Hindi : बिहार के जननायक कर्पूरी ठाकुर ने अपने राजनीतिक जीवन में कई ऐसे प्रसिद्ध नारे दिये थे जो जन जन की जुबान पर चढ़ गये। उन्हें अपने-अपने घरों से निकलकर अधिकारों के लिए सड़कों पर आने की ताकत मिली। कर्पूरी ठाकुर ने कहा था- ‘अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो,जीना है तो मरना सीखो।’

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कर्पूरी ठाकुर के क्रांतिकारी नारे

कमाने वाला खायेगा, लूटने वाला जायेगा। 

यदि जनता के अधिकार कुचले जायेंगे तो जनता आज न कल संसद के विशेषाधिकारों को चुनौती दे देगी। 

अधिकार चाहो तो लड़ना सीखो, पग पग पर अड़ना सीखो,जीना है तो मरना सीखो।

संसोपा ने बांधी गांठ,पिछड़ा पाए सौ में साठ। 

1942 में वो आंदोलन का हिस्सा बने। 1943 में उनकी पहली गिरफ्तारी हुई। जिसमें 26 महीने उन्हें सलाखों के पीछे बिताना पड़ा। इस दौरान वो कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का हिस्सा बन चुके थे। 1948 में वो कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी छोड़ नवगठित सोशलिस्ट पार्टी की बिहार शाखा के संयुक्त सचिव बने और 1952 में पहली बार ताजापुर से चुनाव लड़कर विधायक बने। उन्होंने कभी कोई चुनाव नहीं हारा। 1964 में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी बनने के बाद वो उससे जुड़ गए। 

कर्पूरी ठाकुर नीतिगत फैसले

कर्पूरी ठाकुर ने दसवीं एग्जाम से इग्लिंश को कम्पलसरी सब्जेक्ट लिस्ट से हटा दिया था।

शराब पर रोक लगाई

सरकारी अनुबंधों में बेरोजगार इंजीनियरों के लिए प्रेफरेंशियल ट्रीटमेंट, इसके जरिए करीब 8,000 को नौकरियां मिलीं (यह तब था जब बेरोजगार इंजीनियर नौकरियों के लिए लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे थे; ऐसे ही एक प्रदर्शनकारी नीतीश कुमार थे)

लेयर्ड रिजर्वेशन सिस्टम

लेयर्ड रिजर्वेशन सिस्टम, वह आखिरी फैसला था जिसका बिहार के साथ-साथ देश पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा। जून 1970 में बिहार सरकार ने मुंगेरी लाल आयोग नियुक्त किया।

इस आयोग ने फरवरी 1976 की अपनी रिपोर्ट में 128 “बैकवर्ड” समुदायों का नाम दिया। इनमें से 94 की पहचान “मोस्ट बैकवर्ड” के रूप में की गई।

समस्तीपुर में जन्म

कर्पूरी ठाकुर का जन्म बिहार के पितौंझिया गांव में हुआ था। समस्तीपुर जिले का यह गांव अब कर्पूरी ग्राम के नाम से पहचाना जाता है। कर्पूरी ठाकुर ने स्वतंत्रता आंदोलन में भी भाग लिया और वो जेल भी गए। देश के आजाद होने के बाद कर्पूरी ठाकुर साल 1952 में पहली बार विधायक चुने गए। इसके बाद वह अपनी मृत्यु तक (1988) हमेशा विधायक रहे। वह साल 1984 में अपने जीवन का एकमात्र विधानसभा चुनाव हारे थे। कर्पूरी ठाकुर साल 1977 में सांसद भी चुने गए।

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