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Agriculture News: जानिए खेती में 2जी, 3जी, 4जी के जरिए कैसे होती मोटी कमाई?

Agriculture News: जानिए खेती में 2जी, 3जी, 4जी के जरिए कैसे होती मोटी कमाई? 
Agriculture : जरूरी नहीं है कि किसान को ही खेती करने के टिप्स आने चाहिए। अगर आप भी आपने खेत या गार्डनिंग में अच्छी और अधिक सब्जियां उगाना चाहते है, तो आपको खेती से जुड़े कुछ बेहतरीन तरीके पता होना बेहद जरूरी है।

Haryana News Post : Agriculture News: जरूरी नहीं है कि किसान को ही खेती करने के टिप्स आने चाहिए। अगर आप भी आपने खेत या गार्डनिंग में अच्छी और अधिक सब्जियां उगाना चाहते है, तो आपको खेती से जुड़े कुछ बेहतरीन तरीके पता होना बेहद जरूरी है। इनमें से ही एक टिप्स है पौधों की कटिंग करना। जिसे 2जी, 3जी कटिंग कहा जाता है। तो चलिए जानते हैं पौधों को कब और कहां से काटना चाहिए। और कैसे पौधों से खूब सारी सब्जियां उगाई जा सकती हैं। 

क्या है नई तकनीक?

किसान भाई इस नई तकनीक के प्रयोग से अपने खेत में अधिक फसल उत्पादन कर बाजार में मुनाफा कमा सकते हैं। जैसे कि आप जानते हैं कि सभी तरह की सजीव में नर और मादा दोनों पाए जाते हैं। उसी तरह से सब्जियों में भी ये किस्में पाएं जाते हैं। उदाहरण से समझिए-जैसे लौकी में नर फूल ही होते हैं और इसमें एक विशेष तरह की तकनीक का इस्तेमाल करने से मादा फूल आता है और उसी तकनीक के माध्यम से ही लौकी की सब्जियों का अधिक उत्पादन किया जाता है। इसी तकनीक को 3जी कहा जाता है।

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2जी, 3जी क्या है? 

किसी भी पौधे की जो पहली शाखा होती है। वह पहली पीढ़ी यानी पहली जनरेशन होती है। जिसे 1जी कहते हैं। उस शाखा से जो शाखाएं निकलती हैं। वह दूसरी जनरेशन होती है जिसे 2जी कहा जाता है। वहीं दूसरी जनरेशन वाली शाखा से जो शाखाएं निकलती हैं, वह तीसरी जनरेशन कहलाती है, जिसे 3जी कहते हैं। इसी तरह आगे की शाखाएं 4जी और 5जी कहलाती हैं। हालांकि सबसे बेहतर 2जी और 3जी कटिंग ही होती हैं।

 2जी, 3जी कटिंग कैसी होती है? 

जब पौधे की शाखा लगभग 1 मीटर लंबी हो जाती है और उसमें 6-7 पत्तियां दिखने लगती हैं तो उसके ऊपरी हिस्से को काट दिया जाता है। इसके बाद वह शाखा और नहीं बढ़ पाती और दूसरी जनरेशन की शाखाएं निकलने लगती हैं। इन शाखाओं को भी 1 मीटर का होने पर काट देना चाहिए। जिससे उनसे तीसरी जनरेशन की शाखाएं निकलना शुरू हो जाती हैं।

कटिंग का फायदा क्या? 

पहली जनरेशन की शाखा में जो फूल लगते हैं, वह मेल फ्लावर होते हैं। यहां आपको बता दें कि मेल फ्लावर से फल नहीं बनते हैं। बल्कि फीमेल फ्लावर से फल बनते हैं। दूसरी जनरेशन की शाखा में हर दूसरी पत्ती के पास फीमेल फ्लावर होता है, यानी फल लगने के चांस काफी अधिक होते हैं। वहीं तीसरी जनरेशन की हर पत्ती के पास फीमेल फ्लावर लगते हैं। यानी जितने ज्यादा फीमेल फ्लावर, उतने ज्यादा फल।

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इन पौधों की होती 2जी, 3जी कटिंग? 

3जी कटिंग उन सभी पौधों में हो सकती है, जिसमें अधिक शाखाएं निकलती हैं। यानी हर बेल वाली सब्जी की 3जी कटिंग की जा सकती है। जैसे लौकी, खीरा, कद्दू, ककड़ी, करेला आदि। इस तरह आप सिर्फ कटिंग के जरिए अधिक फल पा सकते हैं। इन कटिंग का इस्तेमाल तमाम किसान अधिक से अधिक मुनाफा कमाना के लिए करते हैं।

लौकी के एक पौधे से अधिक मुनाफा?

आगर आप अधिक मुनाफा कमाने के लिए इस तकनीक का प्रयोग अपने खेतों में करते हैं,तो एक बेल से लगभग 300 से 400 लौकी की सब्जियां आसानी से प्राप्त कर सकते हैं। अगर आप वहीं 2जी या 3जी तकनीक का इस्तेमाल करते है, तो आप एक बेल से ही लगभग कई गुना ज्यादा लौकियां प्राप्त कर सकते हैं। बाजार में लौकी की अधिक मांग होती है और यह एक लोकप्रिय सब्जियों में से एक है। इसलिए किसान इस सब्जी का अधिक उत्पादन करें और अच्छा मुनाफा कमाएं।

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