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Diwali 2022 : दो दिन मनाया जाएगा Dhanteras 2022, जानिए विधि और शुभ मुहूर्त क्या है?

Diwali 2022 : दो दिन मनाया जाएगा Dhanteras 2022, जानिए विधि और शुभ मुहूर्त क्या है?
इस साल धनतेरस 22 व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, धनतेरस का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। ऐसे में धनतेरस का पूजन व दीपदान 22 अक्टूबर को किया जाएगा। जबकि खरीदारी दोनों दिन की जा सकेगी।

Haryana News Post : Dhanteras 2022 :  इस साल धनतेरस 22 व 23 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, धनतेरस का पूजन प्रदोष काल में किया जाता है। ऐसे में धनतेरस का पूजन व दीपदान 22 अक्टूबर को किया जाएगा। जबकि खरीदारी दोनों दिन की जा सकेगी।

हर साल धनतेरस कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान धनवंतरी, भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन यम देवता की पूजा करने से अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। इस दिन यम देवता के लिए दीपदान करने का महत्व होता है। तो चलिए जानते हैं इस बारे में।

23 को त्रिपुष्कर योग भी

इस बार धनतेरस 22 की शाम 6 बजे से शुरू होगी और 23 की शाम 6 बजे तक रहेगी। इस कारण धनतेरस 22 और 23 दोनों दिन मानी जाएगी। 22 की शाम में धन्वंतरि पूजा और यम दीपदान के लिए 1-1 मुहूर्त रहेंगे और खरीदारी के लिए पूरा दिन शुभ रहेगा। इस दिन त्रिपुष्कर योग बन रहा है, मान्यता है कि इस योग में किए गए कामों का 3 गुना फल मिलता है। 23 को पूरे दिन सर्वार्थसिद्धि योग रहेगा। इसलिए हर तरह की खरीदारी, निवेश और नई शुरूआत के लिए पूरे दिन शुभ मुहूर्त रहेंगे। 

पूजा का शुभ मुहूर्त

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धनत्रयोदशी या धनतेरस के दौरान लक्ष्मी पूजा को प्रदोष काल के दौरान किया जाना चाहिए जो कि सूर्यास्त के बाद प्रारम्भ होता है। धनतेरस की पूजा शनिवार, अक्टूबर 22, 2022 को होगी। धनतेरस का शुभ मुहूर्त शाम 5 बजकर 44 मिनट से 6 बजकर 5 मिनट तक रहेगा। इसकी अवधि 21 मिनट तक रहेगी। प्रदोष काल का समय शाम 5 बजकर 44 मिनट से 8 बजकर 16 मिनट तक रहेगा। वृषभ काल का समय शाम 6 बजकर 58 मिनट से 8 बजकर 54 मिनट तक रहेगा।

यमदेवता के लिए दीपदान

कहते हैं कि धनतेरस के दिन यमराज के लिए जिस घर में दीपदान किया जाता है। वहां अकाल मृत्यु नहीं होती है। धनतेरस की शाम को मुख्य द्वार पर 13 और 13 ही दीप घर के अंदर जलाने चाहिए। इस दिन मुख्य दीपक रात को सोते समय जलाया जाता है। इस दीपक को जलाने के लिए पुराने दीपक का उपयोग किया जाता है। यह दीपक घर के बाहर दक्षिण की तरफ मुख करके जलाना चाहिए। दरअसल, दक्षिण दिशा यम की दिशा मानी जाती है। ऐसा भी माना जाता है कि घर में दीया घूमाने से इस दिन सारी नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है।

क्यों करते हैं दीपदान?

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बता दें एक बार हेम नामक राजा की पत्नी ने एक पुत्र का जन्म दिया था। तो ज्योतिषियों ने नक्षत्र गणना करके बताया कि जब इस बालक का विवाह होगा। उसके चार दिन बाद उसकी मृत्यु हो जाएगी। यह जानकर राजा ने बालक को यमुना तट की गुफा में ब्रह्मचारी के रूप में रखकर बड़ा किया। एक बार जब महाराज हंस की युवा बेटी यमुना तट पर घूम रही थी, तो उस ब्रह्मचारी बालक ने मोहित होकर उससे गंधर्व विवाह कर लिया। लेकिन विवाह के चौथे दिन ही उस राजकुमार की मौत हो गई।

पति की मृत्यु देखकर उसकी पत्नी बिलख-बिलख कर रोने लगी और उस नवविवाहिता का विलाप देखकर यमदूतों का हृदय कांप उठा। तभी एक यमदूत ने यमराज से पूछा कि क्या अकाल मृत्यु से बचने का कोई उपाय नहीं है। यमराज बोले एक उपाय है। अकाल मृत्यु से छुटकारा पाने के लिए व्यक्ति को धनतेरस के दिन पूजा करने के साथ ही विधिपूर्वक दीपदान भी करना चाहिए। इसके बाद अकाल मृत्यु का डर नहीं सताता। तभी से धनतेरस पर यमराज के नाम से दीपदान करने की परंपरा चली आ रही है।


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