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जानिए पॉलीहाउस में खेती करने से कितनी पैदावार की होती है बढ़त?

जानिए पॉलीहाउस में खेती करने से कितनी पैदावार की होती है बढ़त?
 पिछले कुछ दशकों में भारत के किसान खेती करने की नई तकनीकों को खास तवज्जो देने लगे हैं। खेती-किसानी में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके ना सिर्फ किसान आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रहे हैं बल्कि उन्नत तरीकों का इस्तेमाल करके प्रतिदिन आमदनी में बढ़त दर्ज कर रहे हैं।

 Haryana News Post : पिछले कुछ दशकों में भारत के किसान खेती करने की नई तकनीकों को खास तवज्जो देने लगे हैं। खेती-किसानी में नई तकनीकों का इस्तेमाल करके ना सिर्फ किसान आत्मनिर्भर बनने की राह पर चल रहे हैं बल्कि उन्नत तरीकों का इस्तेमाल करके प्रतिदिन आमदनी में बढ़त दर्ज कर रहे हैं। किसानों की आय को दोगुना करने की इन्हीं तकनीकों में शामिल है- पॉलीहाउस में खेती। तो आइए जानते इस खेती के बारे में।

क्या है पॉलीहाउस?

आपको बता दें यह पॉलीथीन से जुड़ा हुआ है। पॉलीहाउस एक बड़ा सा घर जैसा स्ट्रक्चर होता है, जिसे मोटी पॉलीथीन (200 माइक्रोन से अधिक) और लोहे या जीआई पाइपों की मदद से बनाया जाता है। इसमें सूरज की रोशनी से लेकर हवा और तापमान तक सब कुछ नियंत्रित किया जा सकता है। सूरज की रोशनी कम करने के लिए हरे रंग वाली शेड लगा सकते हैं, जबकि तापमान नियंत्रित करने के लिए इसमें फॉगर्स लगाए जा सकते हैं।

कौन-कौन सी दस्तावेजों की पड़ती जरूरत?

पॉलीहाउस की सब्सिडी पाने के लिए आपको आधार कार्ड, बैंक पासबुक का पहला पेज, पैन कार्ड, खेत की खतौनी आदि की जरूरत होगी। आपको मंजूरी मिलने में डेढ़ से दो महीने का समय लग सकता है। इसके बाद आपको पहले स्ट्रक्चर खुद से ही खड़ा करना होता है। कुछ सरकारी अधिकारी आते हैं और पॉलीहाउस देखते हैं। वह पॉलीहाउस की कुछ फोटो लेते हैं और बोर्ड लगाते हैं।

अधिकारी दो बार आते हैं, पहली बार जब आप पॉलीथीन लगाते हैं उस समय और दूसरी बार जब आपका स्ट्रक्चर पूरी तरह से बनकर तैयार हो जाता है। पॉलीहाउस पूरा हो जाने के बाद आपको फिर से फाइल बनाकर अधिकारियों को भेजनी होती है। आपको जितनी मंजूरी मिली होती है, उतना पैसा सीधे आपके बैंक खाते में पहुंच जाएगा। बता दें कि आपको पॉलीहाउस, फॉगर और ड्रिप पर सब्सिडी मिल सकती है।

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पॉलीहाउस में कितना खर्च आएगा?

अगर सामान्य यानी सपाट इलाकों में पॉलीहाउस बनाने की बात करें तो आपको 1000 स्क्वायर मीटर के लिए करीब 10 लाख रुपये का खर्च आएगा। अगर आप पहाड़ी इलाके में हैं तो वहां ये खर्च थोड़ा अधिक हो सकता है। पॉलीहाउस में आपको सब्सिडी बाद में मिलती है, पहले आपको अपने ही पैसे लगाने होते हैं। ऐसे में आप बैंक लोन भी ले सकते हैं और सब्सिडी का पैसा आने पर उसे चुकता कर सकते हैं। हालांकि कोशिश करें कि बिना लोन के ही पॉलीहाउस खड़ा किया जा सके।

पॉलीहाउस में खेती से क्या होंगे लाभ

अगर आप पॉलीहाउस में खेती करते हैं तो सबसे बड़ा फायदा तो यही है कि आप कोई भी खेती किसी भी मौसम में कर सकते हैं। खुले में खेती करते समय हमें ठंड-गर्मी-बरसात के सीजन को ध्यान में रखना होता है। लेकिन पॉलीहाउस में कभी भी कोई भी खेती की जा सकती है। साथ ही पूरा स्ट्रक्चर बंद होने की वजह से फसल में कीड़े जल्दी नहीं लगते और अगर थोड़े बहुत लग भी जाएं तो आसानी से उनसे निपटा जा सकता है।

फसल को धूप, हवा जरूरत भर ही मिलती है, जिससे पैदावार पर बड़ा असर देखने को मिलता है। सब्जियों और फलों की चमक और उसका साइज भी बहुत शानदार होता है। पॉलीहाउस में खेती करें तो खुले में खेती की तुलना में 2-3 गुनी पैदावार हासिल कर सकते हैं। वह बताते हैं कि खुले में इतनी ही जमीन पर 20-30 टन टमाटर निकला पाते हैं। जबकि पॉलीहाउस में वह 60-70 टन तक टमाटर हासिल कर लेते हैं। 

पॉलीहाउस में खेती से आपको कीटनाशक का खर्च भी कम हो जाता है, जो आपका मुनाफा बढ़ाने में मदद करता है। इसमें ड्रिप इरिगेशन से सिंचाई की जाती है, जिससे पानी की भी खूब बचत होती है। पॉलीहाउस में रात के समय पौधों के पास ढेर सारी कार्बन डाई आॅक्साइड जमा होती है, जो दिन में फोटो सिंथेसिस में पौधे के बड़े काम आती है।

कौन-कौन सी सब्जियों से होगा फायदा?

बता दें पॉलीहाउस में खेती करना चाहते हैं तो उसमें ऐसी सब्जियों की खेती करें जिनमें अधिक फायदा होता है। आप पॉलीहाउस में लाल-पीली शिमला मिर्च, चैरी टोमैटो, लेट्यूस, ब्रोकली, केल जैसी चीजों की खेती कर सकते हैं। अगर आप आॅफ सीजन में खेती करते हैं तो आप टमाटर, मिर्च, खीरा आदि भी उगा सकते हैं।

क्योंकि आॅफ सीजन में बाजार में सब्जियों की किल्लत की वजह से दाम काफी अच्छे मिलते हैं और आप मुनाफा कमा सकते हैं। यानी आसान भाषा में कहें तो आप पॉलीहाउस में कुछ भी उगा सकते हैं और कभी भी उगा सकते हैं, लेकिन अगर मुनाफा कमाना है तो सिर्फ कैश क्रॉप ही उगाएं, जिनकी मांग अधिक हो।

सरकार से क्या लाभ है? 

पॉलीहाउस के लिए मिशन फॉर इंटिग्रेटेड डेवलपमेंट आॅफ हॉर्टिकल्चर यानी एमआईडीएच के तहत नेशनल हॉर्टिकल्चर मिशन यानी एनएचएम काम करती है। एनएचएम की तरफ से ही सब्सिडी दी जाती है। सब्सिडी कम से कम 50 फीसदी मिलती है। अलग-अलग राज्यों के हिसाब से सब्सिडी 90 फीसदी तक मिल सकती है।

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कई पिछड़े इलाकों में किसानों को पॉलीहाउस के लिए प्रोत्साहित करने के लिए सरकार अधिक सब्सिडी देती है। पॉलीहाउस के लिए सब्सिडी के लिए पहले अप्लाई करना होता है। अगर आप आॅनलाइन अप्लाई करना चाहते हैं तो वेबसाइट पर जा सकते हैं। आॅफलाइन के लिए तहसील में कृषि विभाग अधिकारी के पास जाना होता है। ये आवेदन साल में दो बार होता है, एक बार मार्च-अप्रैल में और एक बार अक्टूबर-नवंबर के करीब।

इन बातों का रखें ध्यान?

जमीन ऐसी होनी चाहिए जिसमें पानी ना रुके। स्ट्रक्चर को पूरब-पश्चिम में बनाने की कोशिश करनी चाहिए। ताकि धूप अच्छे से अंदर आए। पॉलीहाउस में 200 माइक्रोन से ऊपर की पॉलीथीन का इस्तेमाल किया जाता है। इसकी ऊंचाई करीब 6 मीटर तक रखनी चाहिए। पॉलीहाउस 120-130 किलोमीटर की रफ्तार तक की हवा को आराम से झेल सकता है। अगर हवा उससे तेज हो तो दिक्कत हो सकती है। पॉलीहाउस में हमेशा ड्रिप इरिगेशन से ही पानी दें। फ्लड इरिगेसन नहीं करना चाहिए।


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