Wheat Harvesting Machine: बहुत खास है ये कटाई की छोटी मशीन, फटाफट मिनटों निपट जाएगा सारा काम
जयपुर। Wheat Harvesting machine : गेहूं और बाजरे जैसी फसलों में सबसे बड़ी परेशानी उनकी कटाई के वक्त आती है। रबी की प्रमुख फसल गेंहू की कटाई का कार्य चल रहा है। मजदूर न मिलने के चलते समय रहते किसान गेंहू एवं अन्य रबी फसलों की कटाई नहीं कर पाते है। वही अगर मजदूर मिल भी जाए तो परंपरागत तरीके से गेंहू की कटाई में कई दिन लग जाते है और ज्यादा दिनों तक गेंहू की कटाई न होने के कारण गेंहू के दाने बिखरने का डर भी रहता है।
फटाफट करेगी गेहूं की कटाई
गेहूं कटाई की मशीन किसानों के लिए कितनी फायदेमंद है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है की राज्सथान के कई इलाकों में इस मशीन का खूब इस्तेमाल किया जा रहा है। राज्सथान के अधिकतर किसान परंपरागत तथा गेहूं और बाजरे की खेती पर निर्भर हैं।
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क्षेत्र में हर साल जब भी बाजरे और गेहूं की फसल पक जाती है, तब प्रदेश के अधिकांश किसान मजदूरों की कमी के कारण फसल कटाई की वजह से परेशान होते हैं। इसलिए, इन दिनों स्थानिय लोगों को ट्रैक्टर से बाजरे की कटाई करने का भरपूर रोजगार मिल रहा है। कटाई का सारा काम रिपर नामक मशीन Wheat Harvesting machine से किया जाता है, जो ट्रैक्टर पर लगी होती है।
रीपर मशीन की कीमत और सब्सिडी
रिपर मशीन की कीमत करीब 80 हजार से 1 लाख रुपये के बीच होती है। जिस पर कृषि विभाग सब्सिडी भी देता है। पूर्वी राजस्थान के करौली जिला के कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीणा ने बताया कि ट्रैक्टर से चलने वाली इस मशीन की खरीद पर कृषि विभाग द्वारा 50 से 60 प्रतिशत तक की सब्सिडी दी जाती है।
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यह मशीन बिना किसानों को किसी तकलीफ के बैगैर फसल काटने में माहिर है और आसानी से काम करती है। इसकी एक खासियत यह है कि यह मशीन फसल को स्वयंमेव काटकर इकट्ठा कर सकती है।
कई राज्यों में रीपर पर दी जाती है भारी सब्सिडी
आपको बता दे की, राजस्थान के अलावा बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्यप्रदेश सहित कई राज्यों में रिपर मशीन एवं अन्य कृषि यंत्रों की खरीद पर 40% से 70% तक सब्सिडी दी जाती है। इसके लिए राज्य सरकार लक्ष्यों को निर्धारित करके आवेदन लिंक ओपन करती है।
जिसमें चयनित किसानों को सब्सिडी का लाभ दिए जाता है। यदि आप योजना से अपडेट रहना चाहते है तो, चौपाल समाचार के व्हाट्सएप ग्रुप से जुड़ जाए। यहां हम आपको लेटेस्ट योजनाओं की जानकारी देंगे।
समय और पैसे दोनों की बचत
पूर्वी राजस्थान के करौली जिला के कृषि अधिकारी अशोक कुमार मीणा बताते है की, जहां 5 मजदूर एक बीघा फसल को काटने में पूरा दिन लगा देते हैं, तो यह मशीन एक बीघा फसल को 30 मिनट में पूरी तरह से काटकर अलग कर देती है।
उन्होंने बताया कि करौली में पिछले कई सालों से किसान फसल कटाई के लिए इसी मशीन का इस्तेमाल करते हैं। उन्होंने कहा कि एक बीघा फसल की कटाई के लिए 5 मजदूरों की आवश्यकता होती है, जिन्हें 300 से 400 रुपये की मजदूरी मिलती है। जबकि, रीपर मशीन एक बीघे की फसल को आधे घंटे में 1200 रुपये के किराए में काट देती है।
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