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Chandan ki kheti: चंदन पर रिसर्च कर रहा केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल, चंदन की खेती करने वाले किसानों की बदलेगी किस्‍मत

Chandan ki kheti: चंदन पर रिसर्च कर रहा केंद्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल, चंदन की खेती करने वाले किसानों की बदलेगी किस्‍मत
Sandalwood Farming: चंदन की खेती करके किसान अच्‍छी आय अर्जित कर सकते हैं। इस कड़ी में केंदीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल चंदन पर शोध कर रहा है। इसके नतीजे शानदार रहे हैं। आइए जानते हैं रिसर्च में क्‍या सामने आया।

करनाल। करनाल केंदीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान करनाल चंदन पर रिसर्च कर रहा है। इसके परिणाम भी बहुत अच्छे आ रहे हैं। पांच किसानों के यहां पर प्रदर्शन प्लांट लगाए हैं। अंतरराष्ट्रीय मार्किट में चंदन के तेल की बहुत ज्यादा डिमांड है। 12 से 15 साल में चंदन का पेड़ तैयार हो जाता है। एक पेड़ से किसान लाखों रुपए कमा सकते हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि चंदन की खेती करने वाले किसानों की तकदीर बदल जाएगी।

चंदन की खेती पर छूट

ऑस्ट्रेलिया को टक्कर देने के लिए किसानों को दी थी चंदन की खेती करने की छूट चंदन भारत की संस्कृति और विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह प्राकृतिक रूप में दक्षिण भारत में पाया जाता है। 50 साल पहले 1970 के आसपास चंदन की अवैध तस्करी और जंगलों में अंधाधंध कटाई पर प्रतिबंध लगा दिया। जिसकी राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय बाजार में बहुत अधिक मांग है।

किसान सरकार को बेच सकते हैं

1970 से पहले भारत विभिन्न देशों को चंदन के तेल और लकड़ी का निर्यात करता था। प्रतिबंध लगने के बाद ऑस्ट्रेलिया ने बहुत सारा क्षेत्रफल में चंदन को रोपित कर दिया और वह 1990 से अब तक पूरी दुनिया में चंदन की पूर्ति कर रहा है। जब यह बात भारत सरकार को पता चली तो सरकार ने 2001 में चंदन की खेती को वैद्य कर दिया । कोई भी किसान चंदन की खेती कर सकता है और उसे काट कर सरकारी विभाग के माध्यम से बेच सकता हैं।

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सीएसएसआरआई ने मुस्ताबाद, घोघड़ीपुर, सांभली, फतेगढ़ और बस्तली में एक-एक एकड़ में प्रदर्शन प्लांट लगाए हैं। ऑस्ट्रेलिया काे टक्कर देने के लिए सरकार ने सभी काे चंदन की खेती करने की छूट दी है।

इस तरह लगाए चंदन के पौधों को

केन्द्रीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिक डा. राजकुमार ने बताया कि चंदन एक परजीवी पौधा है, जिसे बढ़ने के लिए मेजबान पौधे की जरूरत पड़ती है। नर्सरी वाली अवस्था में चंदन के लिए लाल मेहंदी सबसे उपयुक्त पौधा माना जाता है। जब चंदन 3 तीन से 4 साल का हो जाता है।

चंदन को रोपण करने के पांच से फुट की दूरी पर दूसरा मेजबान वृक्ष लगाया जाता है। शीशम, नीम, आंवला, चीकू, आम, अमरूद के पौधों के साथ लगा सकते हैं। पहले दो से तीन साल चन्दन लाल मेहन्दी और उसके बाद दूसरे वृक्ष से पोशक तत्व और पानी की आपूर्ति करता है। चन्दन को 1) फुट के मेड़ बनाकर लगाएं ताकि ,इसे जलभराव की स्थिति में पौधों को बचाया जा सके ,क्योंकि ज्यादा पानी चंदन के लिए नुकसानदायक होता है। इसलिए चन्दन को निचली जमीन और जलभराव वाली जगह पर नहीं लगाना चाहिए।

चंदन की खेती लवण युक्त जमीनों में हो सकती है

इसके लिए शोध कर रहे हैं केंदीय मृदा लवणता अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ आरके यादव ने बताया कि (वैज्ञानिक) के द्वारा चंदन पर लगातार नए-नए शोध किए जा रहे हैं, ताकि चंदन को लवण युक्त जमीनों पर भी उगाया जा सकें। संस्थान के निदेशक ने कहा की चंदन की खेती किसानों के लिए बहुत अच्छी है। चंदन की खेती की खेती किसानों की तकदीर बदल सकती है।

चंदन का तेल बेचकर किसान कमा सकते हैं लाखों रुपए

चंदन में खुशबुदार तेल छह साल बाद बनना शुरू हो जाता है। खेती की अवस्था में और अच्छी प्रबंधन तकनीकियों को अपनाया जाए तो चंदर 12 से 15 साल में काटने के लिए तैयार हो जाता है। चंदन की कीमत उसके तैयार हुई तेल की मात्रा पर निर्भर करती है। 12 से 15 साल बाद पेड़ से लगभग 15 किलो तेलयुक्त लकड़ी निकलती है, जिसका मूल्य 6000 से लेकर 12000 प्रति किलो ग्राम है। अंतरराष्ट्रीय मार्किंट में हर साल चंदन के खुशबूदार तेल के रेट बढ़ रहे हैं।

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