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दिल्‍ली के मुंंढेला कलां के प्रतिशील किसान ने पेश की मिसाल, बागवानी में कमा रहे नाम

दिल्‍ली के मुंंढेला कलां के प्रतिशील किसान ने पेश की मिसाल, बागवानी में कमा रहे नाम
Mundhela kalan news: दिल्‍ली के गांव मुंंढेला कलां के प्रतिशील किसान राकेश खरब इन दिनों चर्चा में हैं। कारण है कि खारे पानी और मिट्टी की कमी के बीच भी उन्‍होंने बागवानी का जोखिम उठाया और आज सफल किसान बनकर उभरे हैं।

मुंंढेला कलां (दिल्‍ली)। अगर आपमें लगन है तो आप कुछ भी मुमकिन कर सकते हैं। कौन कहता है कि आसमां में छेद नहीं हो सकता, एक पत्‍थर तो उछालो यारों। दुष्‍यंत कुमार की इन पंक्तियों को दिल्‍ली के एक किसान ने साबित करके दिखाया है। दिल्‍ली के गांव मुंंढेला कलां निवासी राकेश खरब ने खारे पानी की समस्‍या और मिट्टी में पीएच की मात्रा बढ़े होने पर भी वह काम करके दिखाया है, जिससे अधिकतर किसान पीछे हो जाते हैं।

बागवानी की ओर रुझान 

राकेश खरब बताते हैं कि पहले वे पारंपरिक खेती कर रहे थे। वे कुछ नया करना चाहते थे। इस बीच उनके मन में विचार आया कि वे बागवानी में किस्‍मत आजमा कर देखें।

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इसके लिए उन्‍होंने खेती एक्‍सपर्ट डॉ राकेश से संपर्क किया तो उन्‍होंने बताया कि उनकी जमीन में खारा पानी है और मिट्टी का पीएच भी बहुत अधिक है। ऐसे में बागवानी करना जोखिम भरा काम हो सकता है।

नहीं हारी हिम्‍मत

लेकिन राकेश खरब ने हिम्‍मत नहीं हारी। उन्‍होंने अपने फॉर्म में दिन रात मेहनत की। रिसर्च किया और पाया कि पानी की समस्‍या का हल निकाला जा सकता है। उन्‍होंने अपने फॉर्म में तालाब खुदवाया और उसमें पानी के पाइप के जरिए मीठे पानी को भरवाया। यह उनका पहला कदम था।

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अब समस्‍या थी मिट्टी में पीएच की मात्रा का अधिक होना। उन्‍होंने इस पर भी काम किया और इसके लिए काम किया।

लहलहा रहे हैं फलों के पेड़

खारे पानी और मिट्टी की समस्‍या के बीच भी राकेश खरब ने हिम्‍मत नहीं हारी और जी तोड़ मेहनत करके बाग तैयार किया। इसमें उन्‍होंने ग्रीन एप्‍पल बेर, अमरूद, आंवला, अनार समेत अनके किस्‍म के फलदार पेड़ लगाए हैं। वे कहते हैं कि यह सब एक सपने की तरह था, ल‍ेकिन वे जुटे रहे और सपने को साकार किया।

डॉ शिवेंद्र से लिया परामर्श

उन्‍हें उप उष्णकटिबंधीय फल केंद्र लाडवा का पता चला और वहां उन्‍होंने  विषय वस्तु विशेषज्ञ डॉ  शिवेंदु प्रताप सिंह सोलंकी से संपर्क किया। डॉ  शिवेंदु ने उनका मार्गदर्शन किया और इसका राकेश खरब को फायदा भी मिला।

जैविक खेती को दे रहे बढ़ावा

राकेश खरब 2019 से पहले पारंपरिक खेती कर रहे थे। इस बीच उनके मन में बागवानी का विचार आया। इस कड़ी में उन्‍होंने ग्रामीणों को भी जैविक खेती की तरफ आकर्षित किया। उन्‍होंने बताया कि आज के समय में क्‍या जैविक खेती जरूरी है। वे कहते हैं कि अधिकतर किसान कीटनाशकों और रसासनों का प्रयोग कर रहे हैं, इस कारण धरती भी जहरीली हो रही है। यही जहर हमारे शरीर में भी आ रहा है। इसे रोकने का एक ही तरीका है कि सभी जैविक खेती की ओर बढ़ें।

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