Story of Aaftab: जानिए क्‍या है आफताब और श्रद्धा की प्रेम कहानी का काला सच

Story of Shraddha: आफताब अमीन पूनावाला दिल्‍ली में अपनी प्रेमिका श्रद्धा विकास वॉलकर का कत्‍ल करने के बाद उसके शव के टुकड़े फेंकता रहा। जिस कॉल सेंटर में श्रद्धा ने नौकरी ज्वाइन की थी आफताब भी वाहीं नौकरी कर रहा था। दोनों की यहीं पहली बार मुलाकात हुई। आइए जानते हैं उनकी प्रेम कहानी का दर्दनाक सच क्‍या है।
 

नई दिल्‍ली। Aaftab who killed his live-in partner: दिल्ली में अगर एक युवक अपनी प्रेमिका की हत्या कर शव के टुकड़े करके उन्हें 18 दिन तक जंगल में फेंकता रहा, तो राजधानी में तैनात हजारों की संख्या में पुलिस पर सवाल उठना लाजिमी है। राजधानी का शायद ही कोई कोना होगा जहां पुलिसकर्मी तैनात न हों। इसके बावजूद 30 वर्षीय आफताब अमीन पूनावाला (Aftab Amin Poonawala) नाम का आरोपी, वो भी मुंबई का रहने वाला, बिना किसी डर के अपनी प्रेमिका श्रद्धा विकास वॉलकर (Shraddha Vikas Walker) को मारने के बाद शव के टुकड़ों को ठिकाने लगाता रहा।  

बेरहमी से हत्या के बाद भी दिल्ली से नहीं भागा आफताब

दिल्ली की लगभग दो करोड़ की आबादी में देश के ताकतवर लोग भी हैं जो यहां रहते हैं। दो करोड़ लोगों की सुरक्षा के लिए करीब 90 हजार पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। इसके बावजूद इतनी बड़ी वारदात। छह महीने पहले लड़की की हत्या, फिर आरी से शव के 20 टुकड़े करके उन्हें ठिकाने लगाने के बाद आफताब ऐसा नहीं कि वह दिल्ली छोड़ देता है, बल्कि यहीं रहता है।

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जानिए पूरी कहानी, कैसे आफताब ने श्रद्धा को दिया धोखा

श्रद्धा महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई के पालघर इलाके में अपनी मां व भाई के  साथ रहती थी। उसके पिता विकास मदन वॉलकर की पालघर में इलेक्ट्रॉनिक के सामान की दुकान थी और वह सर्विस का काम भी करते थे। मदन वॉलकर 2016 से परिवार से अलग रह रहे थे। उनके परिवार में पत्नी सुमन, बेटी श्रद्धा वह 23 वर्षीय एक बेटा है। श्रद्धा को मलाड में पहली बार एक मल्टीनेशनल कंपनी के कॉल सेंटर में नौकरी मिली।

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2019 में लिव इन रिलेशनशिप में रहने का निर्णय लिया

जिस कॉल सेंटर में श्रद्धा ने नौकरी ज्वाइन की थी आफताब भी वाहीं नौकरी कर रहा था। दोनों की यहीं पहली बार मुलाकात हुई। आठ-नौ मिलने-जुलने के बाद दोनों में प्यार हो गया और 2019 की शुरुआत में दोनों ने अलग-अलग रहने की बजाए लिव इन में रहने का निर्णय लिया। इसके बाद ये प्रेमी और प्रेमिका मलाड में किराए के एक घर में रहने लगे। श्रद्धा की मां व पता अब भी पालघर में ही रहते हैं।

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समझाने पर भी आफताब से शादी की जिद पर अड़ी श्रद्धा, घर छोड़ा

श्रद्धा ने एक दिन अपनी मां को आफताब के बारे में सबकुछ बता दिया। मां ने पिता को पूरी कहानी बताई और माता-पिता दोनों आफताब से श्रद्धा के रिश्ते का विरोध करते हैं। श्रद्धा को बातचीत के लिए माता-पिता पालघर बुलाते हैं वह आई और उसे मां-बाप ने समझाया, पर वह आफताब के साथ लिव इन में रहने व उसी से शादी करने की जिद पर अड़ी रही। एक दिन गुस्से में आकर श्रद्धा घर से अपना सारा सामान उठाकर मां-बाप से यह कहकर चली जाती है कि अब समझ लेना आज से आपकी कोई बेटी ही नहीं है। कुछ समय बाद उसके घर वालों ने भी उससे दूरी बना ली।

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दोस्तों के जरिये माता-पिता को मिलती रही सारी जानकारी

हालांकि श्रद्धा के फेसबुक व व्हाट्सऐप स्टेटस से दोस्तों के माध्यम से श्रद्धा के माता-पिता को लगातार उसकी जानकारी मिल रही थी। इसी बीच 23 जनवरी 2020 को श्रद्धा की मां सुमन की मौत हो गई। मौत से पहले सुमन की कभी-कभार श्रद्धा से फोन पर बात होती रही। मां की मौत की सूचना के बाद वह पालघर आई और फिर सारी रस्में निभाकर वापस मुंबई में आफताब के पास चली गई। मां सुमन ने पति को बताया था कि आफताब बेटी श्रद्धा से झगड़ा व मारपीट करता है। मां के यह कहने पर कि आफताब को छोड़ दे, श्रद्धा ने कहा था कि आफताब ने माफी मांग ली है और वह अब सुधर रहा है।

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दो साल तक बाप-बेटी के बीच नहीं हुई कोई बात

सुमन की मौत के बाद श्रद्धा ने अगले 15-20 दिन में पिता मदन वॉलकर के साथ केवल दो बार फोन पर बात की थी। पिता ने बताया कि तब भी उसने कहा था कि आफताब उसे पीटता है। पिता ने भी श्रद्धा को समझाया कि उससे रिश्ता तोड़ ले लेकिन श्रद्धा नहीं मानी। अगले करीब दो साल तक बाप-बेटी के बीच  कोई बात नहीं हुई। हालांकि बाप श्रद्धा के दोस्तों से बीच में उसकी खैरियत लेता रहता था।

रिश्त के खिलाफ थे परिजन, मुंबई से दिल्ली आ गए प्रेमी-प्रेमिका

आफताब और श्रद्धा, दोनों के परिवार उनके रिलेशन के खिलाफ थे जिसके चलते युवक व युवती मुंबई छोड़कर इस उम्मीद से दिल्ली आ गए कि यहां नौकरी मिल जाएगी। दोनों पहली रात पहाड़गंज के एक होटल में रहे। अगले दिन वह सैजदुल्लाजाब के एक होटल में ठहरे। तीसरे दिन दोनों अपने कॉमन फ्रेंड के साथ उसके घर छतरपुर में रुके। फिर कुछ दिन बाद ही छतरपुर में ही दोनों डी-93/1 नंबर के एक किराए के घर में रहने लगे। फिर श्रद्धा ने नौकरी की तलाश शुरू की। वहीं आफताब को एक कॉल सेंटर में काम मिल गया।  इस बीच  श्रद्धा से उसके पिता या भाई की लंबे समय से बात नहीं हो रही थी, लेकिन श्रद्धा के दोस्तों के जरिए उन्हें पता चल चुका था कि दोनों अब दिल्ली के छतरपुर में कहीं रह रहे हैं।

श्रद्धा का फोन काफी दिन तक बंद मिलने पर पिता को हुआ शक

14 सितंबर को श्रद्धा के भाई श्रीजय को श्रद्धा के दोस्त लक्ष्मण नाडर ने फोन पर बताया कि दो महीने से श्रद्धा का मोबाइल बंद है। श्रीजय से पूछा कि क्या उसने आपके पास कोई फोन किया? सुनकर श्रद्धा के पिता ने लक्ष्मण को फोन पर अपनी बेटी के बारे में पूछा। लक्ष्मण ने बताया कि अमूमन हर दो तीन दिन में श्रद्धा से उसकी बात होती रहती थी, पर अबकी पिछले दो ढाई महीने से कोई बात नहीं हुई है और उसका मोबाइल ही बंद है।

श्रद्धा के पिता ने पुलिस से शिकायत की

श्रद्धा के पिता ने फिर श्रद्धा के बाकी दोस्तों से फोन पर बात की। सभी ने यही कहा कि दो ढाई महीने से श्रद्धा से उनकी कोई बात नहीं हुई। श्रद्धा के पिता घबरा गए और उन्होंने सबसे पहले पालघर के मणिकपुर थाने में श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखवाई। लेकिन श्रद्धा दिल्ली के छतरपुर से लापता हुई थी तो महाराष्ट्र पुलिस ने रिपोर्ट दिल्ली के महरौली थाने को भेज दी। नौ नवंबर को महरौली पुलिस ने विकास वॉलकर की शिकायत पर श्रद्धा की गुमशुदगी की रिपोर्ट लिखी। उन्होंने दिल्ली पुलिस को श्रद्धा व आफताब के रिश्ते और दोनों के छतरपुर में लिव इन में रहने की बात बताई। इसी आधार पर महरौली पुलिस ने जांच शुरू की।

19 मई को आफताब और श्रद्धा के बीच हुआ था झगड़ा

पुलिस को पता चला कि आफताब की लोकेशन मई से ही दिल्ली में है। फोन से यह भी पता चला कि 19 मई के बाद से श्रद्धा का मोबाइल बंद है। इसके बाद महरौली पुलिस ने आफताब से पूछताछ शुरू की। उसके छतरपुर स्थित घर की भी तलाशी ली। तब ऐसा कुछ नहीं मिला कि आफताब पर पुलिस को शक होता। पूछताछ में आफताब पुलिस को बताया कि श्रद्धा व उसका 19 मई को झगड़ा हुआ था और इसके बाद उसी दिन श्रद्धा उसे छोड़कर चली गई। वह कई बार अपने ही बयानों को काटता रहा। पुलिस भनक लग गई कि वह कुछ छिपा रहा है।

18 मई की रात को गला दबाकर की हत्या

पुलिस ने जब आफताब से सख्ती से पूछताछ शुरू की तो फिर उसने बताया कि 18 मई की रात को किसी पुरानी बात पर जब उसका श्रद्धा से झगड़ा हुआ था। दरअसल श्रद्धा शादी करना चाहती थी और आफताब हमेशा की तरह उसे टाल रहा था। आफताब ने कहा कि 18 मई की रात को दोनों के बीच झगड़ा इतना बढ़ गया कि गुस्से में आकर आफताब ने श्रद्धा का गला जोर से पकड़ लिया और तब तक पकड़े रहा जब तक कि वह मर नहीं गई। इसके बाद काफी मंथन करके शव को ठिकाने लगाने की उसने साजिÞश रची पहली रात शव के साथ ही उसने घर में गुजारी।

आरी और फ्रिज खरीदा व बाथरूम में शव के टुकड़े किए

अगले दिन 19 मई को दिन में वह लोकल मार्केट की तिलक इलेक्ट्रॉनिक शॉप से बड़ा फ्रिज खरीदकर लाया और साथ ही एक बड़ी आरी। फिर वह बाथरूम में बैठकर शव के छोटे-छोटे टुकड़े करना शुरू किए और 20 टुकड़े करके छोटे-छोटे पॉलिथिन में डाल दिए। मई में गर्मी तेज थी और शव लगभग 24 घंटे पुराना होने वाला था। अब उसे बदबू फैलने का डर था। इससे बचने के लिए वह बीच-बीच बीच में पूरे घर में परफ्यूम डालता था। अमेरिकन क्राइम सीरिज देखकर आफताब को श्रद्धा की हत्या का आइडिया आया।

दोस्तों ने भी श्रद्धा को आफताब को छोड़ने की सलाह दी थी, पर वह नहीं मानी  

श्रद्धा के दोस्तों ने यह भी बताया है कि एक बार श्रद्धा ने उन्हें मैसेज करके बोला था, मुझे यहां से ले जाओ वरना आफताब मुझे मार डालेगा। तब दोस्तों ने श्रद्धा बचाया और उससे कहा कि वह कभी आफताब के पास दोबारा न जाए, लेकिन श्रद्धा ने उनकी बात नहीं सुनी और फिर वह आफताब के साथ रहने चली गई। पहले मां फिर पिता आफताब को छोड़ने को कहा लेकिन श्रद्धा ने उसे नहीं छोड़ा। दोस्तों ने भी उसे आफताब के पास न जाने की सलाह पर फिर भी वह नहीं मानी। 

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