Haryana News: हरियाणा के किसान हो जाएं सतर्क, अचानक तापमान बढ़ने से प्रभावित हो सकती है गेहूं की फसल

Wheat Crop: मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में तापमान बढ़ने का अनुमान जताया है। इस अनुमान ने सरकार और किसानों की चिंता बढ़ा दी है। इस बार गेहूं के बंपर उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। लेकिन, अगर तापमान बढ़ता है तो इससे उत्पादन पर असर पड़ने की पूरी संभावना है। 
 

चंडीगढ़। फरवरी का महीना अब शुरू हो चुका है और उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में ठंड अभी भी बरकरार है. वैसे तो सामान्य तौर पर अब तक ठंड कम हो जाती थी. लेकिन, ठंड में और इजाफा हो रहा है. जिससे गेहूं का उत्पादन करने वाले किसान काफी खुश नजर आ रहे हैं। 

क्योंकि, ठंड और शीतलहर गेहूं के लिए फायदेमंद है. जिससे उत्पादन बढ़ सकता है. यही वजह है की इस साल बंपर गेहूं उत्पादन की उम्मीद लगाई जा रही है।

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हालांकि, सरकार को चिंता है कि अगर अचानक मौसम परिवर्तित हो जाए और तापमान बहुत बढ़ जाए, तो गेहूं पर असर पड़ सकता है. अगर ऐसा होता है तो देश को गेहूं का आयात करना पड़ेगा ताकि मांग को पूरा किया जा सके। 

तापमान बढ़ने से गेहूं को नुकसान

भारत के उपजाऊ मैदानों में कड़ाके की सर्दी पड़ रही है. लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में बर्फबारी की कमी ने तापमान में अचानक वृद्धि की चिंता बढ़ा दी है. सरकारी भारत मौसम विज्ञान विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि उत्तरी और उत्तर-पश्चिमी राज्यों में न्यूनतम और अधिकतम तापमान दोनों में वृद्धि शुरू हो गई है।

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फरवरी में, पंजाब, हरियाणा और राजस्थान राज्यों में अधिकतम तापमान सामान्य से 5 डिग्री सेल्सियस अधिक हो सकता है, जो भारत की अनाज बेल्ट का हिस्सा हैं. इससे गेहूं पर प्रतिकुलू प्रभाव पड़ेगा। 

ठंड से फसल को हुआ फायदा

वहीं, किसानों ने कहा कि रोपण की धीमी शुरुआत के बाद ठंडे मौसम से फसल को मदद मिली है. लेकिन अप्रैल की शुरुआत तक मौसम की स्थिति अनुकूल रहने की जरूरत है।

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वहीं, हरियाणा के रवींद्र काजल ने कहा कि कम तापमान ने हमारी उम्मीदें बढ़ा दी हैं, लेकिन हम अभी भी सतर्क हैं. पिछले दो वर्षों में फरवरी और मार्च में तापमान में अचानक वृद्धि के कारण गेहूं की फसल को नुकसान हुआ था। 

तापमान बढ़ने का अनुमान

बिजनेस स्टैंडर्ड रिपोर्ट के अनुसार, गेहूं को लंबे समय तक ठंड रहने से उसके वानस्पतिक विकास में मदद मिली है, लेकिन आगामी दिनों में तापमान में वृद्धि होने की आशंका है. जिससे फसल प्रभावित हो सकती है और उत्पादन घट सकता है। 

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गेहूं अनुसंधान निदेशालय के निदेशक ज्ञानेंद्र सिंह ने बताया कि ठंड के कारण हमें सामान्य 3.5 टन प्रति हेक्टेयर की तुलना में थोड़ी बेहतर उपज की उम्मीद है. यही कारण है कि हम 114 मिलियन मीट्रिक टन के लक्ष्य को आसानी से पूरा कर सकते हैं। 

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