Himachal Assembly Election 2022: सराज में जयराम की अग्निपरीक्षा, फतेहपुर-कसुम्पटी पर भी आसान नहीं बीजेपी की डगर
शिमला:
Himachal Assembly Election 2022: हिमाचल विधानसभा चुनाव 2022 के लिए होने वाले मतदान को महज 10 दिन बचे हैं। इन दिनों प्रदेश में चुनाव प्रचार जोरों पर है और बीजेपी ने जहां प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है, वहीं कांग्रेस प्रचार में फिसड्डी नजर आ रही है, क्योंकि पार्टी के बड़े नेताओं में प्रियंका गांधी के अलावा राज्य में कोई और कांग्रेसी हुंकार भरता नजर नहीं आ रहा है।
उधर बीजेपी के लिए सराज विधानसभा क्षेत्र, कांगड़ा जिले की फतेहपुर व शिमला की कसुम्पटी सीट हॉट बनी हैं। सराज क्षेत्र से इस बार छह प्रत्याशी चुनाव मैदान में हैं। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस सीट पर लगातार पांच चुनाव जीत चुके हैं, लेकिन, इस बार यहां से छह प्रत्याशी होने के चलते जयराम के लिए सीएम के चेहरे की अग्निपरीक्षा भी है।
सब लोगों की निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि जयराम बड़े मार्जन से इस सीट पर जीत दर्ज कर प्रदेश में मिसाल पेश करेंगे अथवा वह क्लीन बोल्ड होंगे। कसुम्पटी और फतेहपुर सीट पर बीजेपी ने अपने नेताओं के चुनाव क्षेत्र बदले हैं और इस कारण बीजेपी की जीत इन सीटों पर आसान नहीं लग रही।
जिन दो नेताओं के चुनाव क्षेत्र बदले हैं वह जयराम सरकार में मंत्री रह चुके हैं। इनमें से शिमला शहरी के विधायक व शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज को शिमला जिले की ही कसुम्पटी सीट से उतारा गया है और कांगड़ा जिले में राकेश पठानिया को फतेहपुर सीट से टिकट दिया गया है, जबकि पिछले चुनाव यानी 2017 में राकेश पठानिया नूरपूर से चुनाव जीते थे। इसके बाद उन्हें प्रदेश में वन मंत्री भी बनाया गया था।
ये भी पढ़ें: बीसीसीआई ने लिया बड़ा फैसला, पुरुष और महिला क्रिकेटरों दोनों को मिलेगा समान वेतन
2017 में किया था ऐसा प्रयोग, हार गए थे धूमल
बीजेपी ने फतेहपुर व कसुम्पटी विधानसभा क्षेत्र में जो इस बार प्रयोग किया है वैसा ही पार्टी ने 2017 में अपने पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को हमीरपुर के बजाय सुजानपुर से उम्मीदवार बनाकर किया था, जहां धूमल कांग्रेस के राजेंद्र राणा से हार गए थे।
अब सियासी गलियारों में चर्चा है कि बीजेपी ने क्या दोनों दिग्गजों (सुरेश भारद्वाज और राकेश पठानिया) को कांग्रेस के गढ़ में भेजकर 'बलि का बकरा' बनाया है? दोनों नेता हालांकि नए हलकों में पूरा दम लगाकर प्रचार तो कर रहे हैं, पर पार्टी के लिए इन सीटों पर जीत दर्ज आसान नहीं दिख रही है।
ये भी पढ़ें: एशिया कप के लिए पाकिस्तान का दौरा बीसीसीआई का फैसला नहीं, सरकार पर निर्भर करता है निर्णय: रोजर बिन्नी
कसुम्पटी में बीजेपी 1998 के बाद कभी नहीं जीती
कसुम्पटी सीट पर 1998 के बाद बीजेपी कभी नहीं जीती है। 1967 से अब तक यहां 12 बार चुनाव हुए जिनमें बीजेपी सिर्फ तीन बार ही जीत पाई है। वर्तमान में कसुम्पटी से कांग्रेस के अनिरुद्ध सिंह विधायक हैं और पार्टी ने उन्हें ही अबकी बार भी टिकट दिया है।
अनिरुद्ध पहली बार 2012 में विधानसभा पहुंचे और 2017 में फिर चुनाव जीत गए। बीजेपी के सुरेश भारद्वाज का शिमला शहरी क्षेत्र में होल्ड रहा है। वह सार्वजनिक तौर पर कह भी चुके हैं कि कसुम्पटी से वह चुनाव नहीं जीत पाएंगे।
ये भी पढ़ें: अगर दिवाली और छठ पर जाना है घर तो रेलवे की इन स्पेशल ट्रेनों का उठाएं लाभ
राकेश पठानिया का हल्का नूरपुर, बलदने से समर्थक भी नाराज
जयराम कैबिनेट में मंत्री रहे तेजतर्रार नेता राकेश पठानिया का विधानसभा हल्का नूरपूर पड़ता है और फतेहपुर से टिकट देने को लेकर उनके समर्थक भी नाराज हैं। फतेहपुर से 2012 और 2017 में कांग्रेस के सुजान सिंह पठानिया विधायक चुने गए हैं। इससे पहले वह ज्वाली से पांच बार विधायक रहे और 2020 में उनका निधन हो गया।
इसके बाद फतेहपुर में उप चुनाव हुआ और तब भी बीजेपी नहीं जीत पाई। सुजान सिंह पठानिया के बेटे भवानी सिंह पठानिया ने यहां दोबारा जीत दर्ज करके यह सीट कांग्रेस की झोली में डाली। मतलब यह कि फतेहपुर में तीन बार हुए चुनावों में कांग्रेस ही जीत दर्ज करने में सफल रही।
ये भी पढ़ें: नए पब्लिशर के साथ भारत में जल्द वापसी कर सकती है BGMI