Himachal Pradesh Election: आप की एंट्री से इस बार के चुनावी नतीजों पर हर किसी की निगाह
शिमला। Himachal election: हिमाचल में कोई भी पार्टी लगातार सत्ता पर नहीं रहती। कम से कम यह हिमाचल प्रदेश के इतिहास को देखकर पता चलता ही है। बीते तीन दशक से राज्य में एक बार बीजेपी सरकार बना रही है तो एक बार कांग्रेस सत्ता पर काबिज हो रही है। इस बार आप के भी सत्ता के लिए जोर आजमाइश के चलते परंपरा टूटने के कयासों के बीच लोगों की चुनावी नतीजों पर खास नजर होना लाजिमी है। प्रदेश में कुल 68 विधानसभा सीटें हैं और राज्य में एक ही चरण में वोटिंग होती है। इस बार 12 नवंबर को मतदान होगा और परिणाम आठ दिसंबर आएंगे। 68 सीटों में से 48 विधानसभा सीटें सामान्य वर्ग के लिए हैं, जहां से कोई भी चुनाव लड़ सकता है। इसके अलावा 17 विधानसभा सीटें अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित हैं। वहीं राज्य की तीन सीटें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित हैं।
जातीय समीकरण : राजपूत और ब्राह्मण समुदाय का दबदबा
हिमाचल की राजनीति में आजतक भले ही जाति के आधार पर कभी सियासत नहीं हुई, लेकिन यहां राजपूत और ब्राह्मण समुदाय का दबदबा रहा है। राज्य में सबसे ज्यादा 37.5 फीसदी राजपूत हैं। राज्य में ब्राह्मण समुदाय 18 फीसदी हैं। दलित समुदाय के लोग 26.6 फीसदी हैं। इसके अलावा राज्य में 1.5 फीसदी गद्दी और अन्य जातियां 16.5 फीसदी हैं, जिनमें ओबीसी शामिल हैं।
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अपर हिमाचल में कांग्रेस लोअर में बीजेपी की पकड़
हिमाचल प्रदेश में कुल 12 जिले हैं और यह राज्य लोअर और अपर हिमाचल में बंटा है। पहाड़ी क्षेत्रों को अपर हिमाचल के रूप में जाना जाता है और पंजाब से सटे तराई वाले क्षेत्रों को लोअर हिमाचल के रूप में जाना जाता है। बता दें कि अपर हिमाचल में कांग्रेस की बेहतर पकड़ मानी जाती है, वहीं लोअर हिमाचल में बीजेपी की राजनीतिक आधार अच्छा है। बीजेपी ने 2017 में जयराम ठाकुर को कमान सौंपकर लोअर-अपर फैक्टर में समन्वय बनाने का प्रयास किया है।
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कितने मतदाता, कहां सबसे अधिक और सबसे कम
विधानसभा चुनाव में लगभग 55 लाख वोटर नई सरकार बनाएंगे। इस बार 55,07,261 सामान्य वोटर हैं। इनमें 27,27,016 महिला व 27,80,208 पुरुष हैं। वहीं 37 मतदाता थर्ड जेंडर के हैं। दिव्यांग मतदाताओं की संख्या बढ़कर इस बार 56,001 पहुंच गई है। इनमें से 1470 की बढ़ोतरी हुई है। राज्य के जनसंख्या लिंगानुपात 976 की तुलना में वोटरों का लिंग अनुपात 978 से बढ़कर 981 पहुंच गया है। कांगड़ा राज्य का सबसे बड़ा जिला है और यहां की सुलह विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा 10,4486 मतदाता हैं। वहीं लाहौल-स्पीति विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 24,744 वोटर हैं।
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ये नेता हो सकते हैं मुख्यमंत्री का चेहरा
बीजेपी जहां अपने मौजूदा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को ही मुख्य चेहरे के रूप में आगे रख रही है, वहीं कांग्रेस ने पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का फैसला किया है। इसी तरह त्रिकोणीय समीकरण के तौर पर आम आदमी पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुरतीज ठाकुर की अगुवाई में चुनाव लड़ रही है। बीजेपी के चेहरे के तौर पर जयराम ठाकुर के अलावा केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर, पार्टी प्रदेश अध्यक्ष सुरेश चंदेल सिंह कश्यम का नाम भी सामने आ रहा है।
ये रहे हैं पिछली बार के नतीजे
पिछले बार 2017 में हुए विधानसभा चुनावों बीजेपी ने 44 सीटों पर जीत दर्ज की थी। कांग्रेस को 21 सीटों पर ही सिमट गई थी। इसी तरह सीपीआई (एम) को एक सीट मिली थी। दो निर्दलीय विधायक जीत दर्ज करने में कामयाब रहे थे। वहीं, यदि वोट शेयर पर गौर किया जाए तो बीजेपी को 48.79 फीसदी, कांग्रेस को 41.68 फीसदी और सीपीआई (एम) को 1.47 प्रतिशत वोट मिले थे। निर्दलीय को 6.34 प्रतिशत वोट ले पाए थे।
48 सामान्य सीटों में से 33 विधायक राजपूत समुदाय के
प्रदेश में राजपूत समुदाय का इतना दबदबा है कि हर दूसरा विधायक यहां राजपूत है। 2017 के चुनाव में सबसे दिलचस्प बात यह रही कि 48 सामान्य सीटों में से 33 विधायक राजपूत समुदाय से जीतकर आए थे। इनमें से जीत दर्ज करने वाले कांग्रेस के 12 और बीजेपी के 18 एमएलए थे। इसके अलाव दो निर्दलीय विधायकों ने जीत दर्ज की थी। एक विधायक सीपीआईएम के हैं। इस तरह प्रदेश की सियासत में पहली दफा राजपूत विधायकों की संख्या लगभग 50 प्रतिशत है और कैबिनेट में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर समेत छह राजपूत मंत्री हैं।