World Wrestling Championship: मुझे खुशी है कि मैं भारतीय कुश्ती प्रेमियों के चेहरे पर खुशी लाने में सफल रहा : साजन भानवाला

साजन ने कहा कि वैसे तीन साल पहले भी वह इस चैम्पियनशिप में मेडल जीतने के बहुत करीब थे। लेकिन इस बार वह सपना साकार हो सका। उन्होंने कहा कि इस बार उनकी पहली कुश्ती लिथुआनिया के उस पहलवान से पड़ गई जिसे वह जूनियर वर्ग में पहले भी हरा चुके थे।
 

World Wrestling Championship: पिछले कुछ दिनों से भारतीय कुश्ती दल बेहद मायूस था। वजह ज़्यादातर खिलाड़ियों को वीज़ा न मिलना थी, मगर बुधवार को साजन भानवाला ने कुछ ऐसा कर दिया जो पहले कभी नहीं हुआ था। साजन ने पुरुषों के 77 किलोग्राम वर्ग की ग्रीकोरोमन शैली की कुश्ती में पदक जीतने के बाद आज समाज को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में बताया कि बहुत कम खिलाड़ियों को वीज़ा मिलने से हमारी ज़िम्मेदारी बहुत बढ़ गई थी।

हम भारतीय कुश्ती प्रशंसकों के चेहरों पर खुशी देना चाहते थे और हमें खुशी है कि हम यह काम मैट पर करने में क़ामयाब हो गए। साजन ने कहा कि वैसे तीन साल पहले भी वह इस चैम्पियनशिप में मेडल जीतने के बहुत करीब थे। लेकिन इस बार वह सपना साकार हो सका। उन्होंने कहा कि इस बार उनकी पहली कुश्ती लिथुआनिया के उस पहलवान से पड़ गई जिसे वह जूनियर वर्ग में पहले भी हरा चुके थे।

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पहली कुश्ती में जीत के प्रति वह पहले से ही आश्वस्त थे। अपनी दूसरी कुश्ती के बारे में साजन ने बताया कि हमारे कोच कुलदीप सर ने मोल्डोवा के पहलवान के खिलाफ ज़्यादा एग्रेसिव होकर न लड़ने की सलाह दी थी। उन्होंने कहा था कि कुश्ती को लम्बे समय तक चलाने की कोशिश करना। लेकिन एग्रेसिव लड़कर मैं इस कुश्ती में अंक पर अंक देता चला गया। लेकिन इस ग़लती को मैंने कज़ाक और यूक्रेन के पहलवान के खिलाफ नहीं दोहराया और उसीका नतीजा है यह पदक।

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पहले भी जीत चुके हैं कईं पदक 

साजन ने कहा कि उन्होंने यूक्रेन के पहलवान के खिलाफ दो मौकों पर चार अंक की तकनीक लगाई थी। जिससे अंक बराबर होने पर बड़े अंक के आधार पर वह विजयी रहे। साजन ने इस साल एशियाई अंडर-23 चैम्पियनशिप में भी मेडल हासिल किया और अब इस क़ामयाबी को विश्व स्तर पर दोहराने की उन्हें बेहद खुशी है।

उन्होंने कहा कि चार साल पहले इसी तरह वह एशियाई जूनियर चैम्पियन बने थे। उन्हें खुशी है कि विश्व जूनियर मुक़ाबलों में उसी वर्ष उन्होंने सिल्वर मेडल हासिल किया। साजन ने इस साल डाल कोलोव - निकोला पेत्रोव रैंकिंग टूर्नामेंट में सिल्वर मेडल हासिल किया और ट्यूनीशिया में एक अन्य रैंकिंग टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीतने में सफल रहे।

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सोनीपत के काशिंदी गांव का यह पहलवान खरखोदा में ओम प्रकाश दहिया के मार्गदर्शन में कुश्ती सीख रहे हैं। उनका कहना है कि सब कुछ दहिया सर का ही दिया हुआ है। वह और उनकी टीम मेरे लिए जैसा शैड्यूल बनाती है, मैं उसीके अनुसार प्रैक्टिस करता हूं।

साथ ही मैं फेडरेशन और राष्ट्रीय टीम के सभी कोचों का भी आभार व्यक्त करता हूं। जिन्होंने मेरे अंदर पदक जीतने का जज़्बा पैदा किया। अपने अगले लक्ष्य के बारे में उन्होंने कहा कि उनकी दिली इच्छा है कि वह ओलिम्पिक में देश को ग्रीकोरोमन शैली की कुश्ती का अब तक का पहला पदक दिलाएं।

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