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Syed Salim Zaidi ने जिदंगी में ऐसे किया संघर्ष और इस तरह पाया मुकाम

Syed Salim Zaidi ने जिदंगी में ऐसे किया संघर्ष और इस तरह पाया मुकाम
Syed Salim Zaidi struggle story: एक्टिंग का मेरा सफर साल 2013 में शुरू हुआ। वैसे, मैं बचपन से ही ऐक्टर बनना चाहता था। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव रामपुर का होने और प्राइमरी स्कूल टीचर का बेटा होने के नाते एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री से मेरा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था।

Haryana News Post : Entertainment News: सैयद सलीम जै़दी (Syed Salim Zaidi) पिछले सात सालों से अपनी परफेक्ट काॅमिक टाइमिंग से दर्शकों को गुदगुदाते आ रहे हैं और अब एण्डटीवी के कल्ट-काॅमेडी शो, ‘भाबीजी घर पर हैं‘ (Bhabiji Ghar Par Hai) में नजर आ रहे हैं।

तिवारी की दुकान में काम करने वाला उनका टिल्लू का किरदार, अपने छह महीने की तनख्वाह पाने के लिए लगातार उसके खिलाफ साजिश कर रहा है। एक इंटरव्यू में खुलकर इस ऐक्टर ने अपने दिल की बात कही और अपने संघर्ष के दिनों के बारे में बताया। कैसे वे घर-घर में इतने मशहूर हो गए, उन्होंने उस सफर के बारे में भी चर्चा की।

 

एक्टर बनने के अपने सफर के बारे में बताएं

 

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Syed Salim Zaidi struggle story: एक्टिंग का मेरा सफर साल 2013 में शुरू हुआ। वैसे, मैं बचपन से ही ऐक्टर बनना चाहता था। उत्तर प्रदेश के एक छोटे से गाँव रामपुर का होने और प्राइमरी स्कूल टीचर का बेटा होने के नाते एंटरटेनमेन्ट इंडस्ट्री से मेरा दूर-दूर तक कोई नाता नहीं था। ऐसा होना भी असंभव-सा लगता था। लेकिन ऐक्टिंग को लेकर मेरा जुनून मुझे आगे बढ़ाता रहा।

मैंने दिल्ली में अपने मास कम्युनिकेशन की पढ़ाई की। मैंने कुछ महीने रेडियो जाॅकी के रूप में काम किया। वैसे मुझे जल्द ही पता चल गया कि ऐक्टिंग ही मेरी मंजिल है। अपने सपने को पूरा करने के लिए मैंने ट्रेन पकड़ी और मुंबई आ गया।

अन्य कलाकारों की तरह, आपको भी संघर्ष करना पड़ा या फिर इस इंडस्ट्री ने आपको आसानी से अपना लिया?

Syed Salim Zaidi success story: मैं चार लोगों के साथ एक छोटे से घर (चाॅल) में रहा करता था, ऐसे में कोई फ्लैट किराए पर लेना नामुमकिन था। मुझे याद है कि हम घर के कामों को बाँट लिया करते थे, जैसे कि पानी की बोतल भरना, खाना बनाना, सफाई करना, आदि। ये सारे काम करने के बाद, मैं भागता हुआ मुंबई लोकल पकड़ता था और फिर आॅडिशन के लिए जाता था। एक दिन, रेलवे प्लेटफाॅर्म पर मन में अपने डायलाॅग याद करते हुए, मुझे पता ही नहीं चला कि पीछे से ट्रेन आ रही है; लेकिन एक बुजुर्ग ने तुरंत ही मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे खींच लिया। वह बेहद ही डरावना अनुभव था।

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जिंदगी बचाने के लिए मैंने ईश्वर और उस बुजुर्ग को धन्यवाद दिया। एक आॅडिशन के लिए मैं अंधेरी के लोखंडवाला में दसवीं मंजिल तक चढ़ गया, क्योंकि लिफ्ट काम नहीं कर रही थी। मैं जब वहाँ पहुँचा तो उस व्यक्ति ने कहा कि मेरे लिए कोई रोल नहीं है। वह मेरे लिए बेहद निराश कर देने वाला अनुभव था। चूँकि, लिफ्ट काम नहीं कर रही थी तो उन्होंने मुझसे पूछा कि मैं दसवीं मंजिल तक कैसे आया तो मैंने जवाब दिया, सीढ़ियों से।

खुश होकर वो मेरा आॅडिशन लेने के लिए तैयार हो गए और कहा कि, ‘‘बेटा अभी सफर लंबा है, लेकिन तुम बहुत आगे जाओगे‘‘। कई सालों तक मैंने वड़ा पाव या ग्लूकोज बिस्कुट पर अपना गुजारा किया है। बिना काम के दो बार खाने का खर्च उठा पाना असंभव था। काफी सालों के संघर्ष के बाद, मुझे अमिताभ बच्चन जी, रणबीर कपूर और कई अन्य कलाकारों के साथ टीवी विज्ञापन मिला। मैंने ‘भाग मिल्खा भाग‘, ‘विक्की डोनर‘ और ‘चलो ड्राइवर‘ जैसी फिल्मों में भी काम किया।

आपको ‘भाबीजी घर पर हैं‘ में टिल्लू का किरदार कैसे मिला?

Syed Salim Zaidi: भले ही मुझे बाॅलीवुड फिल्मों और सितारों के साथ काम करने का मौका मिला हो, लेकिन मैं एक ऐसा किरदार निभाना चाहता था जो दर्शकों को हँसा पाए और आसानी से उनसे एक नाता बना ले। कई सारे क्लासिक टीवी शोज़ के लिए कास्टिंग करने वाले, जाने-माने कास्टिंग डायरेक्टर राजन वाघमारे जी ने ‘भाबीजी घर पर हैं‘ के डायरेक्टर शशांक बाली को मेरा नाम सुझाया।

उन्होंने मुझे टिल्लू का रोल दिया। इस किरदार के लिए चुने जाने के बाद, हम दोनों ने इस बोली और अपने किरदार की आवाज पर काम किया। उन्होंने ही मुझे यह तकियाकलाम दिया था, ‘‘कमस खा के कह रिया हूँ सेठ जी, मेरी 6 महीने की तनख्वाह दे दियो वरना गुर्दे छीन लूंगा‘। यह डायलाॅग काफी वायरल हो गया। ईश्वर की कृपा से यह मेरी जिंदगी का सबसे हिट रोल बन गया। टिल्लू का किरदार निभाते हुए मुझे सात साल हो गए हैं, जिसने इस इंडस्ट्री में मुझे अलग पहचान दी है।
 
ऐसा कोई चर्चित किरदार, जिसके लिए आपने ऑडिशन दिया लेकिन वह किसी और को दे दिया गया हो?

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Syed Salim Zaidi life story: कई बार ऐसा हुआ। आपको जानकर हैरानी होगी कि ‘फुकरे‘ के समय मुझे पंडित की भूमिका के लिए शाॅर्टलिस्ट किया गया था। मेरी मेहनत और सफल आॅडिशन देने के बावजूद, पंकज त्रिपाठी सर को वह किरदार मिल गया। इसके अलावा, मैंने ‘बजरंगी भाईजान‘ के जर्नलिस्ट खान नवाब के लिए आॅडिशन दिया था।

कास्टिंग टीम को मेरी साफ-सुथरी उर्दू और हिन्दी पसंद भी आई थी। लेकिन वह रोल भी मुझे नहीं मिला और फिर बाद में नवाजुद्दीन सिद्दीकी को मिल गया। लेकिन ये सारी बातें मुझे कोशिश करने से रोक नहीं पाई। मैं फिल्मों और वेब सीरीज के लिए आडिशन देता रहा। उम्मीद करता हूँ कि मेरा टैलेंट एक दिन मुझे मंजिल तक पहुँचाएगा, जिसके लिए मैं बना हूँ।

एक एक्टर बनने के फैसले पर आपके परिवार की क्या प्रतिक्रिया थी?


Syed Salim Zaidi: मेरे परिवार ने हमेशा ही मेरे फैसले का सम्मान किया है। इस पूरे सफर में वे मेरे मजबूत स्तंभ बनकर खड़े रहे हैं। इससे मुझे अपने सपनों को पूरा करने की प्रेरणा मिलती रही और घर-घर मशहूर होने के बाद, उन्हें मुझ पर गर्व महसूस हुआ।

जब संसद भवन में सबसे बड़े ऐक्टिंग अवार्ड, अटल बिहारी वाजपेयी अवार्ड के लिए मेरा नाम भेजा गया तब मेरा हौसला बढ़ाने के लिए मेरा पूरा परिवार उस कार्यक्रम में मौजूद था। उनके चेहरे की खुशी देखकर मुझे अहसास हुआ कि मैंने कोई उपलब्धि हासिल की है।

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