शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर को अब लगाना ही होगा अपने फ्लॉप-शो पर विराम, नहीं तो बढ़ेगी परेशानी
नई दिल्ली। शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर ने टीम इंडिया की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। दोनों पिछली 11 पारियों से आउट ऑफ फॉर्म हैं। केएल राहुल और रवींद्र जडेजा इंजरी की वजह से दो फरवरी से शुरू होने वाले टेस्ट से बाहर हो गए हैं। ऊपर से इंग्लैंड के स्पिनरों का हमारे स्पिनरों से बेहतर गेंदबाज़ी करना और ओली पोप का वन मैन आर्मी बनना पहले टेस्ट में दोनों टीमों के बीच का बड़ा अंतर साबित हुआ है।
गिल और श्रेयस फ्लॉप-शो बंद करो
इस दौरान वह स्पिनर की फ्लाइट से भी परेशान हुए और दो बार हताशा में मिडविकेट पर अक्रॉस द लाइन भी खेल गए। रोसेऊ में वेस्टइंडीज़ के लेफ्ट आर्म स्पिनर वारिकन की फ्लाइटेड गेंद पर वह फॉरवर्ड डिफेंसिव शॉट खेलते हुए आउट हुए तो वहीं हार्टले ने हैदराबाद में उन्हें अपनी फ्लाइट पर सिली पॉइंट पर कैच कराया।
जिन दो मौकों पर गिल विकेट के पीछे लपके गए, उसमें खासकर ऑफ पर चौथे स्टम्प की गेंद को वह या तो शरीर से दूर खेल बैठते हैं तो वहीं ज़्यादा अक्रॉस खेलना आदत में शुमार हो गया है। वनडे और टी-20 में बढ़िया प्रदर्शन इसकी एक वजह हो सकता है। वहां गैर-परम्परागत शॉट खेलने की उनकी आदत उन्हें खासकर टेस्ट क्रिकेट में खासा परेशान कर रही है।
श्रेयस अय्यर के हालात
वहीं श्रेयस अय्यर पिछली कुछ पारियों में तीन बार बाएं हाथ के तेज़ गेंदबाज़ों, दो-दो बार ऑफ स्पिनर और लेफ्ट आर्म स्पिनर, एक बार लेगब्रेक और एक बार दाएं हाथ के सीमर के हाथों आउट हुए। गनीमत है कि इस दौरान वह
शॉर्ट पिच गेंदों पर आउट नहीं हुए लेकिन ज्यादातर तेज़ गेंदबाज़ों की फुलर लेंग्थ पर और स्पिनरों के सामने मनमाने शॉट्स खेलते हुए आउट हुए।
कभी कट करने से तो कभी फ्लिक करने से चूके। कभी डिफेंड करने गए तो कभी स्लॉग स्वीप में बड़ा शॉट खेलते हुए आउट हुए। ज़ाहिर है कि स्पिनरों को वह बड़े शॉट्स खेलने का मन पहले ही बना लेते हैं। यही उनके लिए परेशानी का बड़ा कारण है।
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कई-कई बार गति परिवर्तन पर भी वह चूक जाते हैं क्योंकि शॉट के लिए जल्दी कमिट होना उनकी बड़ी परेशानी बनती जा रही है। उन्हें टीम मैनेजमेंट ने ज़्यादा से ज़्यादा स्वीप और रिवर्स स्वीप शॉट्स का अभ्यास करने की सलाह दी है।
वैसे शुभमन गिल भी ओली पोप जैसे गैर-परम्परागत शॉट्स सहजता के साथ लगा सकते हैं क्योंकि उनका नैचुरल गेम ही फ्रंट फुट का है। उन्हें अगर सौ से ज़्यादा टेस्ट खेलने वाले पुजारा पर अहमियत दी जा रही है तो उन्हें भी अब
तकनीक के बजाय ज़्यादा प्रैक्टिकल होकर स्कोर बनाने पर केंद्रित होना होगा और उन ग़लतियों से सबक सीखना होगा, जो वह पिछली कुछ पारियों में लगातार की हैं।
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