Haryana Farmers: 77.70 लाख किसानों ने हरियाणा में 5 साल में पीएम फसल बीमा योजना के तहत आवेदन किया
चंडीगढ़। Haryana News : देश में किसान कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। किसानों की माली हालत में उम्मीदों के अनुरूप सुधार नहीं हुआ है। कभी फसल का सही रेट नहीं मिल पाता है तो प्राकृतिक आपदा बेमौसम बारिश व ओलावृष्टि से फसल खराब होने के बाद किसानों को नुकसान उठाना पड़ता है।
हालांकि अलग अलग सरकार ने समय समय पर किसानों की आर्थिक हालत ठीक करने के लिए बड़े बड़े कदम उठाने का दावा भी किया लेकिन धरातल पर किसानों की हालत कमोबेश वैसी ही रही। किसानों को नुकसान से बचाने के लिए केंद्र सरकार ने कई साल पहले प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) शुरु की थी जिसका उद्देश्य कृषि क्षेत्र में टिकाऊ उत्पादन का समर्थन करना है।
किसी भी अप्रत्याशित घटना से उत्पन्न फसल हानि/नुकसान से पीड़ित किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के साथ सात खेती में उनकी निरंतरता सुनिश्चित करने के लिए किसानों की आय को स्थिर करना। किसानों की माली हालत ठीक नहीं होने के मामला सदन में भी चर्चा में रहता है।
फसल बीमा योजना में घटती दिलचस्पी
इसी कड़ी में पिछले दिनों सदन में ब्यौरा मांगा गया कि हरियाणा में कितने किसानों को पिछले कुछ सालों में किसानों ने स्कीम के तहत बीमा करवाया और स्कीम का फायदा लिया। बता दें कि फसल बीमा योजना में किसानों की घटती दिलचस्पी का मुख्य कारण क्लेम के भुगतान में देरी और फसल सर्वे में नुकसान का कम क्षेत्र दर्ज करना है।
इसके अलावा फसल बीमा योजना में कवर किसानों को फसल का नुकसान होने के 72 घंटे के अंदर कंपनी को सूचना देनी होती है। जो किसान ऐसा नहीं कर पाते, उन्हें नुकसान के बावजूद बीमा नहीं मिलता।
77 लाख से ज्यादा ने आवेदन किया
हरियाणा में पीएमएफबीवाई के अंतर्गत वर्ष 2018-19 से वर्ष 2022-23 तक बीमित किसान आवेदनों की कुल संख्या 77.70 लाख है। इस लिहाज से हर साल औसतन करीब 16 लाख किसानों ने योजना तहत खुद को फसल के लिए बीमित किया। बता दें कि संबंधित पीएमएफबीवाई के अंतर्गत सबसे ज्यादा हिसार, भिवानी और सिरसा के किसानों फसल खराब होने पर मिलने वाले मुआवजा के लिए आवेदन किया।
हरियाणा के सिरसा जिले में सबसे ज्यादा 10.76 लाख किसानों ने बीमा के लिए आवेदन किया तो वहीं हिसार में 10.18 लाख और भिवानी में 9.77 लाख किसानों ने बीमा के लिए अप्लाई किया। इसके बाद फतेहाबाद मं 5.48 लाख, महेंद्रगढ़ में 5.05 लाख, जींद में 4.94 लाख, रेवाड़ी में 4.84 लाख, कैथल में 3.74 लाख, सोनीपत में 3.12 लाख और चरखी दादरी में 3.07 लाख किसानों ने स्कीम के तहत आवेदन किया।
पंचकूला, गुरुग्राम, मेवात, फरीदाबाद और नूंह उन जिलों में शामिल रहे जहां पांच साल की अवधि में 1 लाख लोगों ने स्कीम के तहत बीमा के लिए आवेदन नहीं किया। नूंह जिले में 0.29 लाख , पंचकूला में 0.35 लाख , मेवात में 0.65 लाख किसानों और गुरुग्राम में 0.82 लाख किसानों ने बीमा करवाया है । वहीं इसके अलावा करनाल में 2.51 लाख, कुरुक्षेत्र में 2.41 लाख, झज्जर में 1.99 लाख, पलवल में 1.62 लाख, अंबाला में 1.57 लाख और पानीपत में 1.17 लाख किसानों ने योजना के तहत फसलों की बीमा करवाया है।
किसानों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना
योजना को लेकर केंद्र की तरफ से कहा गया है कि बीमा योजनाओं की समीक्षा/संशोधन/युक्तिकरण/सुधार एक सतत प्रक्रिया है तथा हितधारकों के सुझावों/अभ्यावेदनों/सिफारिशों/अध्ययनों पर समय-समय पर निर्णय लिए जाते हैं। प्राप्त अनुभव, विभिन्न हितधारकों के विचारों के आधार पर और बेहतर पारदर्शिता, जवाबदेही, किसानों को दावों का समय पर भुगतान सुनिश्चित करने और योजना को अधिक किसान अनुकूल बनाने के उद्देश्य से, सरकार ने समय- समय पर पीएमएफबीवाई के प्रचालन दिशानिर्देशों को व्यापक रूप से संशोधित किया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि योजना के अंतर्गत लाभ पात्र किसानों को समय पर और पारदर्शी ढंग से पहुंचें।
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बता दें कि फसल बीमा योजना में किसानों की घटती दिलचस्पी का मुख्य कारण क्लेम के भुगतान में देरी और फसल सर्वे में नुकसान का कम क्षेत्र दर्ज करना है। इसके अलावा फसल बीमा योजना में कवर किसानों को फसल का नुकसान होने के 72 घंटे के अंदर कंपनी को सूचना देनी होती है। जो किसान ऐसा नहीं कर पाते, उन्हें नुकसान के बावजूद बीमा नहीं मिलता।
7 साल में 76 सौ करोड़ से ज्यादा का भुगतान
प्राप्त जानकारी में सामने आय़ा कै प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को साल 2016 से लेकर पिछले साल की पहली छमाही तक करीब सात साल की अवधि में 76 सौ करोड़ से ज्यादा की राशि फसले खराब होने की एवज में मुआवजे के रुप में मिली है। इसी अवधि के दौरान आंकड़ों में सामने आया कि वहीं इस दौरान किसानों ने करीब 19 सौ करोड़ करोड़ रुपये का प्रीमियम दिया, जबकि फसल खराबे के लिए 7648.33 करोड़ रुपये का भुगतान बीमा कंपनियों से लिया।
हरियाणा में फसलों का बीमा नहीं कराने वाले किसानों को सरकार जहां 25 से 50 प्रतिशत फसल खराबे पर नौ हजार रुपये, 50 से 75 प्रतिशत खराबे पर 12 हजार रुपये और 75 प्रतिशत से अधिक खराबे पर 15 हजार रुपये प्रति एकड़ मुआवजा देती है, वहीं बीमित किसानों को इसकी तुलना में बीमा कंपनियों द्वारा कहीं अधिक भरपाई की जाती है।
बीमा कंपनियों की मनमानी
राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना - खरीफ 2004 से रबी 2009 तक 6,35,751 किसानों ने फसलों का बीमा करवाया था। इसके अलावा मौसम आधारित फसल बीमा योजना -रबी 2009 से रबी 2013-14 -3,58,051 किसानोें ने बीमा करवाया था। वहीं संशोधित राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना -खरीफ 2011 से रबी 2013-14 तक 2,59,416 किसानों ने बीमा करवाया। इसके अलावा प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना -खरीफ 2016 से रबी 2022-23 तक 1,05,51,213 किसानों ने फसल का बीमा करवाया था।
किसानों का रुझान घट रहा
ये भी बता दें कि पिछले कुछ सालों में बीमा कंपनियों की मनमानी के चलते फसलों का बीमा कराने को लेकर किसानों का रुझान कुछ कम हुआ है। खरीफ 2019 में हरियाणा में 8.2 लाख किसानों ने फसलों का बीमा करवाया था, जो कि 8.3 प्रतिशत की वृद्धि के साथ खरीफ 2020 में बढ़कर 8.88 लाख हो गया।
खरीफ 2021 में यह संख्या 16.7 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.40 लाख तक गिर गई तो खरीफ 2022 में यह थोड़ा सुधरकर 7.42 लाख हो गई। इसी तरह रबी 2019-20 में 8.91 लाख किसानों ने बीमा करवाया था, जो रबी 2020-21 में 14.5 प्रतिशत की गिरावट के साथ 7.62 लाख रह गए। रबी 2021-22 में किसानों की संख्या घटकर 7.17 लाख हो गई, जो 5.9 प्रतिशत कम थी। रबी 2022-23 में किसानों की संख्या और घटक 6.54 लाख हो गई है।
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