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Haryana News: हरियाणा में लंपी बीमारी से अब तक 2929 मौत, 75 पशुओं फीसद को वैक्सीन लगी

Haryana News: हरियाणा में लंपी बीमारी से अब तक 2929 मौत, 75  पशुओं फीसद को वैक्सीन लगी
Lumpy disease in Haryana: हरियाणा में अब तक 75% पशुओं में वैक्सीन लगी, हरियाणा के सभी जिलों में डोर टू डोर वैक्सीनेशन की जा रही। पशुओं में गाय को होती है लंपी बीमारी। 

Haryana News, चंडीगढ़। कोरोना दौर के बाद पिछले साल पशुओं में जानलेवा लंपी बीमारी (Lumpy disease) फैलने के बाद बड़े पैमाने पर पशुधन की मौत हुई औऱ पशुपालकों को नुकसान भी हुआ।

इस जानलेवा बीमारी का प्रकोप देश के कई राज्यों में देखने को मिला।

हरियाणा के लिए गनीमत ये रहा कि राज्य में बीमारी के व्यापक तौर पर फैलने से पहले ही इस पर काफी हद तक नियंत्रण भी पा लिया गया था।

हरियाणा में आखिरी केस नवंबर 2022 में रिपोर्ट हुआ था।

बीमारी की गंभीरता को देखते हुए पशुपालन विभाग ने पिछले महीने बीमारी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन कार्यक्रम शुरू किया था

और इसमें अब तक करीब एक चौथाई पशुधन को वैक्सीन लगाई जा चुकी है।

चूंकि इस वैक्सीन का असर एक साल का रहता है और अब वैक्सीनेशन को हुए एक साल पूरा हो चुका है।

ऐसे में एहतियात के तौर पर फिर से वैक्सीन लगाई जा रही है ताकि यह बीमारी दोबारा से गोवंश न आए।

हरियाणा में 19.36 लाख गाय धन, करीब 15 लाख का टीकाकरण हुआ

विभाग से प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि हरियाणा में 19.36 लाख गाय हैं।

इनमें से करीब 15 लाख को वैक्सीन लग चुकी है और इस लिहाज से करीब 75 फीसद गायों को टीका लग चुका है।

हरियाणा में लंपी बीमारी पर नियंत्रण के लिए वैक्सीनेशन 21 अगस्त 2023 को शुरू हुआ था और जल्द ही इसके पूरे होने की उम्मीद है।

ये भी बता दें ढाणियों और दूरदराज के इलाकों में पशुपालकों के होने के वैक्सीनेशन के काम में थोड़ी दिक्कत आ रही है क्योंकि वैक्सीनेशन में वहां समय लगता है। 

हरियाणा में बीमारी से अब तक 2929 पशुओं की मौत, पंजाब व राजस्थान में ज्यादा पशुओं की मौत हुई

हरियाणा के पशुपालन विभाग के एक सीनियर अधिकारी ने बताया कि हरियाणा में बीमारी का संक्रमण अन्य राज्यों की तुलना में बेहद कम रहा।

इसके पीछे कारण ये रहा है कि समय रहते आवश्यक कदम उठाए गए।

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार हरियाणा में अब तक बीमारी से 2929 गाय धन की मौत हुई है।

वहीं राजस्थान और पंजाब में तो ये आंकड़ा 75 हजार तक पहुंच गया था।

अन्य राज्यों में भी बीमारी के चलते  व्यापक तौर पशु धन की मौत हुई है।

हरियाणा के तीन जिले व्यापक पैमाने पर बीमारी से प्रभावित रहे हैं।

इनमें यमुनानगर, अंबाला और सिरसा जिलों में बीमारी के चलते ज्यादा संक्रमण फैला था।

इन जिलों में अन्य जिलों की तुलना में कहीं ज्यादा मरीजों की मौत हुई।

हरियाणा का रोहतक जिला एकमात्र जिला रहा जो पूरी तरह से बीमारी से अप्रभावित था। 

वैक्सीनेशन को लेकर हर जिले में बनी टीम

सभी जिलों में वैक्सीनेशन को लेकर टीम बनाई गई है। इसमें पशु चिकित्सकों की भूमिका महत्वपूर्ण होती है।इसमें अटेंडेंट और वीएलडीए होता है।

हरियाणा में वैक्सीनेशन को लेकर ज्यादा से ज्यादा टीमों का गठन किया गया है। हरियाणा में 1050 वेटनरी हॉस्पिटल हैं।

वेक्सिनेशन को लेकर पशुपालकों के पास दोनों तरह के विकल्प हैं।

एक्सपर्ट्स की टीम डोर टू डोर घर जाकर पशुओं को वैक्सीन लगा रही है तो लोग पशु धन को अस्पताल में ले भी जाकर वैक्सीनेशन करवा सकते हैं।

एक्सपर्ट्स के अनुसार एक पशु के वैक्सीनेशन पर करीब 10 रुपए खर्च हो रहे हैं इसमें दवाई तो शामिल होती ही है, इसके अलावा इसमें सिरिंज भी शामिल रहती है। पशुओं को लगने वाली वैक्सीन का नाम जीपीवी है। 

पशु चिकित्सकों की कमी भी वैक्सीनेशन में खड़ी कर रही परेशानी

पशुओं की किसी भी बीमारी से बचाव या फिर बीमारी से ठीक करने में पशु चिकित्सकों की अहम भूमिका होती है।

वैक्सीनेशन कार्यक्रम में भी उनका रोल बेहद अहम होता है।

हरियाणा पशु चिकित्सकों की बड़े पैमाने पर कमी है और इसके चलते कहीं न कहीं वैक्सीनेशन कार्यक्रम के निर्बाध गति से चलने में बाधा उत्पन्न होती है।

प्राप्त जानकारी में सामने आया है कि पशु चिकित्सकों की कमी के चलते वर्तमान वैक्सीनेशन कार्यक्रम में ये भी देखने को मिला है।

इसको देखते हुए जरुरत है कि पशु चिकित्सकों के खाली पदों को तुरंत प्रभाव से भरा जाए। 

जानिए क्या प्रभाव पड़ता है बीमारी का पशु पर और ये कैसे फैली 

प्राप्त जानकारी में सामने आया कि लंपी बीमारी में पशुओं के शरीर पर चकते बन जाते है। इसके अलावा पशु को तेज बुखार आता है।

इसके बाद  वो खाना-पीना कम कर देते हैं और  बीमार जानवर कमजोर होने लगते हैं। हर उम्र और हर वर्ग के पशु को ये बीमारी हो सकती है।  

पशुपालकों के मुताबिक पहले इस वायरस के केस पाकिस्तान और पाकिस्तान के साथ लगते पंजाब के हिस्सों में मिले थे।  

अब ये वायरस साथ लगते इलाकों में भी जा पहुंचा। बीमारी की गंभीरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है प्रदेश के कई राज्य ऐसे रहे हैं

जहां कई कई हजार पशुओं की मौत बीमारी के चलते हो गई। बता दे कि बीमारी गाय में ही होती है।

पशुओं को वैक्सीन लगाने का काम पिछले महीने शुरू किया गया था और जल्दी ही इसको पूरा कर लिया जाएगा।

वैक्सीन पूरी तरह से निशुल्क उपलब्ध करवाई जा रही है।

विभाग द्वारा समय रहते उठाए गया कदमों और किए गए प्रयासों का ही नतीजा है कि हम पूर्व में बीमारी पर नियंत्रण पाने में सफल रहे।

भविष्य में पशुपालकों के हितों और पशुधन को बीमारियों से बचाने के तमाम प्रयास किए जाएंगे।

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