Gujarat-HP Election 2022: जानिए आज किन दो राज्यों के चुनाव के तारीखों को हो सकता है ऐलान

नई दिल्ली। Election Commission Press Conference: आपको बता दें आने वाले 8 जनवरी 2023 में हिमाचल विधानसभा का कार्यकाल खत्म हो रहा है। हिमाचल प्रदेश में विस की कुल 68 सीटें हैं। इनमें 20 सीटें आरक्षित हैं। 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 3 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। 2017 में भाजपा ने पूर्ण बहुमत से जीत दर्ज कर सरकार बनाई थी। चुनाव में भाजपा 44, तो कांग्रेस को 21 सीटों पर जीत मिली थी। एक सीट पर सीपीआईएम और दो सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार जीते थे।
कौन-कौन है मुख्यमंत्री पद का दावेदार?
भाजपा से वर्तमान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर सबसे बड़े दावेदार हैं। अगर 2017 की तरह कोई बड़ा उलटफेर होता है तो केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर भी मुख्यमंत्री का चेहरा बन सकते हैं। कांग्रेस की ओर से मुकेश अग्निहोत्री, कौल सिंह ठाकुर, सुखविंद्र सिंह सुक्खू, रामलाल ठाकुर, आशा कुमारी दावेदारों की सूची में शामिल हैं।
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गुजरात विस का कार्यकाल 18 फरवरी को हो रहा खत्म
गुजरात में विधानसभा की कुल 182 सीटें हैं। इनमें 40 सीटें आरक्षित हैं। 13 सीटें अनुसूचित जाति के लिए और 27 सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं। 2017 चुनाव की बात करें तो भाजपा ने यहां पूर्ण बहुमत से जीत हासिल कर सरकार बनाई थी। चुनाव में भाजपा को 99, कांग्रेस को 77 सीटें मिलीं थी। दो सीटें भारतीय ट्राइबल पार्टी, एक सीट एनसीपी को मिली थी। वहीं 3 सीट पर निर्दलीय जीते थे।
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2017 के चुनाव में गुजरात की क्या थी स्थिति
2017 में गुजरात विस चुनाव की 198 सीटों के लिए 2 चरणों में हुए थे। औसतन 68.41 फीसदी मतदान हुआ था। इन चुनावों में भारतीय जनता पार्टी ने 99 सीटों पर तो कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत दर्ज की थी। एनसीपी को 1, भारतीय ट्राइबल पार्टी को 2 और निर्दलीय उम्मीदवारों को तीन सीटों पर जीत मिली थी। इससे पहले 2012 में हुए चुनाव में बीजेपी को 115 सीटें मिली थीं, जबकि कांग्रेस को 61 सीटों पर जीत मिली थी।
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हिमाचल में 2017 के चुनाव में कौन था आगे
हिमाचल प्रदेश में नवंबर 2017 में 68 सीटों पर विधानसभा चुनाव हुए थे। इसमें भाजपा को 44 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि कांग्रेस के खाते में 21 सीटें आईं थीं। तीन सीटों पर अन्य दलों का कब्जा रहा था। वोट पर्सेंटेज की बात करें तो बीजेपी को कुल 48.8 फीसदी वोट मिलें। जबकि कांग्रेस को राज्य में 41.7 प्रतिशत वोट मिले थे। तब कांग्रेस ने सवर्ण मतों को अपने पाले में लाने के लिए पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह के परिवार का सहारा लिया था, लेकिन पिछले चुनाव में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता ये थी कि सीएम पद के दावेदार प्रेम कुमार धूमल और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष चुनाव हार गए थे। ऐसे में बीजेपी इस बार पिछली गलतियों से जरूर कुछ न कुछ सबक लेगी और रिजल्ट को बेहतर बनाने की कोशिश करेगी।
चार मुद्दे सबसे अहम, एंटी इनकंबैंसी का असर
हिमाचल में इस बार 4 मुद्दे चुनाव को प्रभावित कर सकते हैं। इनमें कर्मचारियों की समस्या, महंगाई, बेरोजगारी और पुलिस पेपर लीक मामला शामिल है। सरकार के खिलाफ एंटी इनकंबैंसी का असर हो सकता है। पिछले साल 3 सीटों के लिए हुए उपचुनाव में भाजपा को सभी सीटों पर हार मिली थी।
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