Prem Chand Bairwa : कभी बकरी चराई, मजदूरी की, सिलाई का काम किया, अब प्रदेश के डिप्टी सीएम

Haryana News Post, (जयपुर) Success story of Prem Chand Bairwa : दूदू विधानसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक डॉ.प्रेम चंद बैरवा के उप मुख्यमंत्री बनने से क्षेत्र के नागरिकों को लगने लगा है कि अब इस जिले के दिन फिरेंगे और विकास को पंख लगेंगे। यद्यपि कांग्रेस के पराजित उम्मीदवार बाबू लाल नागर ने ग्राम पंचायत दूदू को सीधा जिला बनवा कर अपना नाम इतिहास में दर्ज कराया।
लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्हें इसका कोई फायदा नहीं मिला। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आंधी के आगे बाबू लाल नागर का करिश्मा टिक नहीं पाया और जनता ने साफ छवि के प्रेम चंद बैरवा को जीत के रथ पर बिठा कर दूसरी बार विधानसभा में भेज दिया। बैरवा इससे पहले 2013 में भी यहां से विधायक रह चुके हैं।
प्रेम चंद बैरवा का ताल्लुक बहुत ही गरीब परिवार से है। मौजमाबाद के श्रीनिवासपुरा गांव में पिता राम चंद्र बैरवा के पास मकान के नाम पर घास-फूस की झोंपड़ी और मामूली जमीन थी। परिवार का गुजारा बसर नहीं हो पाता था। इसलिए प्रेम चंद बैरवा छोटी उम्र में ही काम करने लगे थे। उन्होंने पढ़ाई के साथ दूसरों के खेतों में मजदूरी की। बकरी चराई। सिलाई का काम सीखा।
धीरे-धीरे मेहनत रंग लाई और उन्होंने कपड़ों का एक्सपोर्ट बिजनेस शुरू किया। वैसे उन्होंने पैसे कमाने के लिए जीवन बीमा निगम के एजेंट का काम किया। प्रोपर्टी डीलिंग का भी काम किया। वर्ष 2000 में दूदू के वार्ड 15 से उन्होंने जिला परिषद सदस्य के तौर पर चुनाव लड़ा और जीत के साथ अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की। इसके बाद 2008 में जिला परिषद का चुनाव लड़ा और फिर जीत हासिल की।
उन्होंने विधानसभा का पहला चुनाव 2013 में लड़ा और कांग्रेस के हजारी लाल नागर को 33 हजार 720 वोटों से हरा कर पहली बार विधानसभा में प्रवेश किया। पांच साल बाद 2018 में उन्होंने फिर भाजपा के टिकट पर दूदू सीट से चुनाव लड़ा, लेकिन कांग्रेस के बाबू लाल नागर के हाथों 14 हजार 779 वोटों से हार गए। इस बार विधानसभा चुनाव में प्रेम चंद बैरवा ने नागर को 35 हजार 743 वोटों से हराकर पिछली हार का बदला चुका दिया। बैरवा आज करोड़पति हैं। उनके पास मकान है। जमीन है। पेट्रोल पंप है। धन-दौलत सब कुछ है।
कोई आपराधिक मामला नहीं
प्रेम चंद बैरवा पर कोई भी आपराधिक मामला नहीं है, जबकि उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बाबू लाल नागर को तो सीबीआई बलात्कार के मामले में गिरफ्तार तक कर चुकी है। नागर के इस कृत्य की वजह से उनकी बहुत बदनामी हुई थी। इसी वजह से कांग्रेस ने 2018 के चुनाव में उनको टिकट नहीं दिया। नाराज होकर नागर ने निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा और विजय हासिल कर अपनी लोकप्रियता का डंका बजाने में सफल रहे।
इलाके में नागर ने काम भी खूब कराए। ग्राम पंचायत की हैसियत रखने वाले दूदू को जिला का दर्जा दिला दिया। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का सलाहकार बन कर उन्होंने पार्टी में अपना कद काफी बड़ा कर लिया था। सोलहवीं विधानसभा के चुनाव आए तो नागर अपनी जीत को लेकर काफी आश्वस्त थे, किंतु जब नतीजा आया तो बाजी पलट गई। वर्ष 2023 के विधानसभा चुनाव का पहला नतीजा दूदू विधानसभा सीट का ही आया था और भाजपा का खाता इसी सीट से खुला। दागदार छवि वाले नागर अपनी पार्टी की साख नहीं बचा पाए।
‘भजन’ शब्द से पुराना नाता
डिप्टी सीएम प्रेम चंद बैरवा को भजन गाना बहुत भाता है। वह मंजीरा और ढोलक अच्छा बजा लेते हैं। संयोग की बात है कि अब भजन लाल के कैबिनेट में उप मुख्यमंत्री पद पर हैं। लगता है, जैसे भजन शब्द से उनका गहरा नाता है।
एक विधानसभा सीट का जिला
दूदू एक ऐसा जिला है, जिसमें सिर्फ एक ही विधानसभा सीट है। दो तहसीलों मौजमाबाद व फागी से मिलकर बना यह जिला बहुत ही छोटा है। यह राजस्थान का पहला पंचायत मुख्यालय है जो सीधे जिला बना। वैसे प्रदेश में केकड़ी और सलूंबर भी दो अन्य ऐसे जिले हैं, जिनमें एक-एक विधानसभा सीट है।
मौजमाबाद ऐतिहासिक स्थल
दूदू जिले का मौजमाबाद कस्बा ऐतिहासिक है। यहां की चित्रकला शैली बहुत प्रसिद्ध है। इस शैली का उद्गम 11वीं शताब्दी में हुआ था। यहां का दिगंबर जैन मंदिर पूरे भारत में विख्यात है। इसमें 700 साल पुराने चित्र बने हैं। मौजमाबाद में भूतों की बावड़ी भी बड़ी दिलचस्प है। आमेर के राजा मानसिंह का जन्म 1550 ईस्वी में मौजमाबाद में ही हुआ था।
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