भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने आलू की खेती से जुड़ा एक अहम फैसला लिया है। शिमला स्थित आईसीएआर सेंट्रल पोटैटो रिसर्च इंस्टीट्यूट द्वारा विकसित आलू की चार नई किस्मों को पूरे देश में बीज उत्पादन और व्यावसायिक खेती के लिए अधिसूचित कर दिया गया है। यह निर्णय सेंट्रल सीड कमेटी की सिफारिशों के बाद लागू किया गया है।
नई अधिसूचित किस्में हैं कुफरी रतन, कुफरी तेजस, कुफरी चिपभारत 1 और कुफरी चिपभारत 2। अब इन किस्मों के गुणवत्ता बीज का उत्पादन देशभर में किया जा सकेगा, जिससे किसानों को बेहतर विकल्प और उद्योगों को स्थिर कच्चा माल मिलेगा।
क्यों अहम है यह फैसला
भारत दुनिया के सबसे बड़े आलू उत्पादक देशों में शामिल है, लेकिन जलवायु बदलाव, बढ़ती लागत और प्रोसेसिंग उद्योग की मांग के कारण उन्नत और टिकाऊ किस्मों की जरूरत लंबे समय से महसूस की जा रही थी। विशेषज्ञों के मुताबिक नई किस्में
• प्रति हेक्टेयर उत्पादन बढ़ाने में मदद करेंगी
• भंडारण और परिवहन के दौरान नुकसान कम करेंगी
• चिप्स और फ्रेंच फ्राइज जैसे उत्पादों की गुणवत्ता सुधारेंगी
कृषि अर्थशास्त्री मानते हैं कि इससे किसानों की आय में सीधा इजाफा हो सकता है और आलू आधारित उद्योगों की आयात पर निर्भरता घटेगी।
ICAR CPRI का नजरिया
संस्थान के निदेशक डॉ बृजेश सिंह ने इसे भारतीय आलू क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उनके अनुसार ये किस्में केवल ज्यादा उपज देने तक सीमित नहीं हैं, बल्कि खाद्य सुरक्षा, प्रोसेसिंग गुणवत्ता और जलवायु अनुकूलन जैसे पहलुओं को भी ध्यान में रखकर विकसित की गई हैं। उन्होंने वैज्ञानिकों के निरंतर शोध को इस सफलता का आधार बताया।
आलू की चार नई किस्मों की खासियतें
कुफरी रतन
यह एक मध्यम अवधि में पकने वाली खाने वाली किस्म है, जिसे लगभग 90 दिनों में तैयार किया जा सकता है।
• औसत उत्पादन 37 से 39 टन प्रति हेक्टेयर
• लाल छिलके और आकर्षक आकार
• उत्तर भारत के मैदानी और पठारी क्षेत्रों के लिए उपयुक्त
• लंबे समय तक भंडारण में सक्षम
कुफरी तेजस
यह किस्म गर्मी सहन करने की क्षमता के कारण खास मानी जा रही है।
• 90 दिनों में फसल तैयार
• 37 से 40 टन प्रति हेक्टेयर तक उपज
• हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के लिए उपयुक्त
• सामान्य तापमान पर सुरक्षित भंडारण
कुफरी चिपभारत 1
यह किस्म खास तौर पर चिप्स प्रोसेसिंग के लिए विकसित की गई है।
• लगभग 100 दिन में तैयार
• 35 से 38 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन
• उच्च ड्राई मैटर और कम शुगर
• हल्के रंग के एकसमान चिप्स बनाने में मददगार
कुफरी चिपभारत 2
प्रोसेसिंग उद्योग के लिए यह एक और अहम विकल्प है।
• 90 दिन में पकने वाली जल्दी तैयार किस्म
• 35 से 37 टन प्रति हेक्टेयर उपज
• बेहतर स्टोरेज क्षमता
• प्रोसेसर को सालभर कच्चे माल की निरंतर आपूर्ति
किसानों और उद्योग के लिए आगे क्या बदलेगा
आईसीएआर सीपीआरआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ सलेज सूद के अनुसार ये किस्में क्षेत्र विशेष की जरूरतों को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं। इससे
• खेती का जोखिम घटेगा
• किसान और उद्योग के बीच सीधा जुड़ाव बढ़ेगा
• मूल्य संवर्धन और निर्यात के नए अवसर खुलेंगे
आने वाले वर्षों में यह कदम भारत को उच्च गुणवत्ता वाले आलू उत्पादों के वैश्विक बाजार में मजबूत स्थिति दिला सकता है।












