Mango Disease: आम के मंजर का इस तरह करें प्रबंधन, जानें फसल को प्रभावित करने वाले कीट और कैसे करें बचाव

हिसार, Mango Disease insect management: जैसा की आप सभी जानते हैं कि फरवरी-मार्च महीने में आम के वृक्षों में मंजर आने लगते हैं। आम का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए मंजर आने के समय विशेष देख-रेख की आवश्यकता होती है। मंजर को विभिन्न कीटों एवं रोगों से बचाने के लिए इस समय आम के बाग में लगातार निरीक्षण करें। इससे हम मंजर को झड़ने, काले होने, मंजर को गुच्छे में बदलने, आदि से बचा सकते हैं। आइए इस पोस्ट के माध्यम से हम आम के वृक्षों में मंजर आने के बाद किए जाने वाले कार्यों पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें।
आम के मंजर में लगने वाला पाउडरी मिल्ड्यू रोग
आम के मंजरों में सफेद रंग के पाउडर के सामान फफूंद उभरने लगते हैं। इन्हें विभिन्न क्षेत्रों में पाउडरी मिल्ड्यू, चूर्णिल आसिता रोग, दहिया रोग जैसे नाम से जाना जाता है। इस रोग के कारण मंजर में फलों का निर्माण नहीं हो पाता है।
इस पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 600 ग्राम प्रोपिनेब 70% डब्ल्यू.पी. का प्रयोग करें। इसके अलावा आप 300 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एस.सी. का प्रति एकड़ की दर से भी छिड़काव कर सकते हैं।
इन बातों का ध्यान
मंजर खिलने के बाद कीट नाशक का छिड़काव नहीं करना चाहिए। इस समय कीटनाशक का छिड़काव करने पर मधुमक्खियां भी मर सकती हैं। जिससे परागण की प्रक्रिया में समस्या आती है। कीटों का प्रकोप होने पर 300 लीटर पानी में 1,500 मिलीलीटर ब्यूवेरिया बेसियाना जैविक कीटनाशक का प्रयोग कर सकते हैं। मधुमखियों को इसके नुकसान से बचाने के लिए मात्रा का विशेष ध्यान रखें। इसके साथ ही दवाओं का छिड़काव करने से पहले कृषि विशेषज्ञों से अवश्य परामर्श करें।
मंजर में लगने वाले कुछ कीट ऐसे भी होते हैं जिन पर नियंत्रण के लिए कीटनाशक का छिड़काव करना जरूरी होता है। लेकिन किसानों के सामने एक बड़ी समस्या ये होती है कि कीटनाशकों के छिड़काव से मधुमखियां भी मर जाती हैं। ऐसे में शाम के समय छिड़काव कर सकते हैं। शाम के समय पर परागण की प्रकिया नहीं होती जिससे मधुमक्खी भी नहीं मरेगी और परागण की प्रक्रिया भी बाधित नहीं होगी।
मंजर के गुच्छे को कैसे बचाएं
कई बार मंजर में लगे फूल नपुंसक हो जाते हैं। जिससे मंजर एक ठोस गुच्छे में बदल जाता है। इस समस्या को बढ़ने से रोकने के लिए प्रभावित मंजर एवं शाखाओं को तोड़ कर अलग करें। इसके साथ ही प्रति एकड़ खेत में 300 लीटर पानी में 600 मिलीलीटर एमिनो एसिड 62% (देहात फिक्सा) का प्रयोग करें।
मंजर का झड़ना ऐसे रोकें
कई बार पोषक तत्वों की कमी होने पर मंजर झड़ने लगते हैं। इस समस्या से निजात पाने के लिए प्रति पौधे में 15 ग्राम कैल्शियम के साथ 20 ग्राम बोरोन को मिट्टी में मिलाएं। कैल्शियम एवं बोरोन की पूर्ति के लिए प्रति एकड़ खेत में 250 ग्राम डाईसोडियम ऑक्टाबोरेट टेट्राहाइड्रेट - B-20% का प्रयोग करें। इसके अलावा आप प्रति एकड़ खेत में 10 किलोग्राम देहात न्यूट्रीवन कैल्शियम बोरेट का प्रयोग करें।
मधुआ कीट से करें बचाव
आम के मंजरों पर सबसे अधिक मधुआ कीट (मैंगो हॉपर) के प्रकोप का खरता होता है। इस कीट पर नियंत्रण नहीं किया गया तो पूरी फसल नष्ट हो सकती है। इस कीट से होने वाले नुकसान की बात करें तो भूरे रंग के दिखने वाले लार्वा एवं व्यस्क कीट दोनों ही पौधों की पत्तियों, कोमल टहनियों और मंजरों का रस चूसते हैं।
इस कीट का लार्वा एक तरह का स्राव करता है जिससे पौधों की पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं और मंजर झड़ने लगते हैं। ये कीट मंजर का रस चूस कर उस पर चिपचिपा पदार्थ छोड़ते हैं। इस चिपचिपे पदार्थ पर फफूंदी लग जाता है जो मंजर को सूखा देता है। यदि मंजर में फल आ भी गए तो वे इतने कमजोर होते हैं कि हल्की हवा चलने पर भी गिर जाते हैं।
इस कीट पर नियंत्रण के लिए कीटनाशक का छिड़काव जरूरी है। मधुआ कीट पर नियंत्रण के लिए प्रति एकड़ खेत में 120 ग्राम थियामेथोक्सम 25%डब्ल्यू.जी को 300 लीटर पानी में मिला कर प्रयोग करें। इसके अलावा 300 लीटर पानी में 100 मिलीलीटर इमिडाक्लोप्रिड 200 एसएल (17.8% ww) (बायर कॉन्फिडोर) का प्रयोग कर सकते हैं। 300 लीटर पानी में 300 मिलीलीटर लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 5% ईसी (सिंजेंटा कराटे) मिला कर प्रयोग करें।
मंजर को मिलीबग से बचाने के लिए प्रति लीटर पानी में 5 ग्राम ब्यूवेरिया बेसियाना मिला कर छिड़काव करें। इसके अलावा प्रति एकड़ खेत में 225 मिलीलीटर नीम ऑइल 1% ईसी (आईएफसी नीम 10000) छिड़काव करने से भी हम विभिन्न कीटों पर नियंत्रण कर सकते हैं।
कौन सी खाद डालें
आम की फसल में मंजर आने के समय पर सूक्ष्म पोषक तत्व मंजर और छोटे फलों को झड़ने से बचाता है। इसके अलावा सूक्ष्म पोषक तत्व मंजर के गुच्छों में से खराब फूलों को हटाकर केवल अच्छी गुणवत्ता के फूलों के विकास में भी मदद करता है। जिससे गुणवत्तापूर्ण फलों की प्राप्ति होती है। आम की फसल में सामान्य तौर पर जिंक, कॉपर और बोरॉन की कमी देखी गयी है। सूक्ष्म पोषक तत्वों की प्रति एकड़ खेत में 5 किलोग्राम जिंक सलफेट मोनोहाइड्रेट का प्रयोग करें।
बूस्ट मास्टर समुद्री शैवाल से बनाया गया एक खाद है, जो परागण एवं फल बनने के प्रक्रिया में मदद करता है। ये उत्पाद पौधों के वानस्पतिक विकास में सहायक है। इसके अलावा बूस्ट मास्टर के प्रयोग से जड़ों के विकास बेहतर होता है, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार होता है और ये फसल में पोषक तत्वों के अवशोषण में भी मदद करता है।
इसके इस्तेमाल से प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया बेहतर होती है, जिससे पौधों को हरा रंग मिलता है। बूस्ट मास्टर फसलों की अजैविक तनाव के खिलाफ सहनशीलता बढ़ाने में भी सहायक है। बेहतर परिणाम के लिए प्रति लीटर पानी में 2-3 मिलीलीटर बूस्ट मास्टर मिला कर प्रयोग करें।
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