Jaivik Kitnashak: आप भी आसानी से घर में बना सकते हैं इन पत्तों से जैविक कीटनाशक, जानें क्या है विधि
शाहजहांपुर, Jaivik kitnashak kaise banaen : शाहजहांपुर कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक का दावा है कि देसी नुस्खों से भी फसलों में लगने वाली कीटों को नष्ट किया जा सकता है। केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि पौधों की पत्तियों से दशपर्णी अर्क तैयार किया जाता है. जो की रस चूसक, तने को कुतरने वाले, काटने वाले और तनाव भेदक कीटों के खात्में लिए बेहद ही कारगर होता है. इसका छिड़काव करने से फसल को किसी तरह का कोई नुकसान नहीं होता. इस दशपर्णी अर्क को बनाना भी बेहद आसान है।
जैविक कीटनाशक कैसे बनाएं
डॉ. एनपी गुप्ता ने बताते हैं कि दशपर्णी अर्क बनाने के लिए एक ड्रम में 200 लीटर पानी लेकर उसमें नीम, धतूरा, मदार, कनेर, अरंडी, बेल, आम, पपीता, नींबू और अमरूद के पत्ते दो-दो किलो की मात्रा में मिलाकर 50 ग्राम तंबाकू, 500 ग्राम अदरक, 500 ग्राम लहसुन और 500 ग्राम तीखी हरी मिर्च, 10 किलो ग्राम गाय का गोबर, 500 ग्राम हल्दी और 10 लीटर गोमूत्र मिलाकर ड्रम के मुंह को बोरे से बांधकर छाया में रख दें।
डॉक्टर एनपी गुप्ता ने बताया कि गर्मियों के मौसम में 30 से 35 दिन में दशपर्णी अर्क बनकर तैयार हो जाएगा. तो वहीं सर्दी और बरसात के मौसम में यह 40 से 45 दिन का समय लगता है।
प्रभावी साबित होगा
कृषि वैज्ञानिक ने आगे बताया कि दशपर्णी अर्क तैयार होने के बाद उसको महीन कपड़े से छानकर छोटे डिब्बों में भरकर रख लें. जरूरत पड़ने पर 2 से 2.5 लीटर प्रति 100 लीटर पानी में घोल बनाकर इसका छिड़काव करना लाभप्रद होगा।
यह दशपर्णी अर्क टिड्डा, सुंडी, छोटे और बड़े कीटों पर यह प्रभावी साबित होगा है. इसका इस्तेमाल करने से सभी प्रकार के कीटों को नष्ट हो सकते है।
इतने महीने तक कर सकते हैं इस्तेमाल
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एनपी गुप्ता ने बताया कि एक बार तैयार किया हुआ दशपर्णी अर्क को 6 महीने तक इस्तेमाल किया जा सकता है. दशपर्णी अर्क रासायनिक कीटनाशकों के मुकाबले बेहद सस्ता होता है. इतना ही नहीं यह मानव जीवन के लिए भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।
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बल्कि इसका छिड़काव करने से तैयार हुई उपज पूरी तरह से जैविक होगी. दशपर्णी अर्क का इस्तेमाल आलू, गन्ना, धान और गेहूं सहित सभी प्रकार की सब्जियों पर भी किया जा सकता है. इससे किसानों की फसलों में अच्छी पैदावार होगी. ऐसे में किसान इसका उपयोग करके अपने उत्पादों को ज्यादा सेहतमंद बन सकता है।
कीड़े मारने की दवा
सामग्री : 5 लीटर गोमूत्र, 1 लीटर निरगुण्डी का रस (30 40 निरगुण्डी के पत्तों का 10 लीटर पानी में 1 लीटर रह जाने तक उबालें) फिर 1 लीटर हिंग पानी (10 ग्राम हिंग को 1 लीटर पानी में घोलना)
बनाने की विधि : 5 लीटर गोमूत्र, 1 लीटर निरगुण्डीका रस,1 लीटर हींग पानी तीनों 8 लीटर पानी के साथ मिलाकर फसल पर छिड़कते हैं।
उपयोग का तरीका : 7 लीटर घोल 8 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करना चाहिए। 2.5 बीघा के लिए 21 लीटर घोल पर 24 लीटर पानी की जगह होती है।
किस – किस कीट पर काम आती है : यह दवाई सभी फसलों पर लगने वाले कीड़ों के लिए अचूक दवा है।
सावधानी : निरगुण्डी व हींग पानी बताई गई मात्रा के अनुसार ही मिलाए।
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