Dhanteras 2022: जानिए इस बार धनतेरस पर कौन से बन रहे हैं दो शुभ योग?

Dhanteras 2022 Date Time: धनतेरस के दिन से दीवाली की शुरूआत हो जाती है। धनतेरस के दिन भगवान धनवंतरि का जन्म हुआ था। कार्तिक मास की तेरस यानी त्रयोदशी तिथि और धनवंतरि भगवान के जन्मदिन के कारण इसे धनतेरस के नाम से जाना जाता है। इस बार धनतेरस 23 अक्टूबर को पड़ रही है। इस दिन खरीदारी करने का चलन है। माना जाता है कि धनतेरस के दिन खरीददारी करने से परिवार में संपन्नता आती है। तो आइए जानते हैं धनतेरस पर कौन सा बन रहा सर्वार्थ सिद्धि योग।
 

नई दिल्‍ली। Dhanteras puja muhurat: बता दें इस बार धनतेरस आकाश मण्डल के बारहवें नक्षत्र उत्तरा फाल्गुनी की छांव में मनाया जाएगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पर सूर्य देव का आधिपत्य है। सूर्य का मूल गुण तमस है। रजस उनके अंदर द्वितीय स्तर पर है। और सत्त का स्तर तृतीय है। 22 अक्टूबर को 1 बजकर 49 मिनट से पहले पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र होगा। वहीं शाम 5 बजकर 10 मिनट तक ब्रह्मा योग रहेगा। फिर  उसके बाद इंद्रा योग शुरू हो जाएगा। उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र राशिचक्र का बारहवां नक्षत्र है। यह पूर्वा फाल्गुनी का उत्तरार्ध है और नक्षत्र-मंडल सिंह की पूंछ पर दो स्थिर तारों में विद्यमान है। लेकिन इस नक्षत्र का विस्तार कन्या के अगले क्षेत्र तक है। वहीं पहला चतुर्थांश सूर्य द्वारा नियंत्रित सिंह राशि में अंश 40 मिनट से 30 डिग्री 0 मिनट तक तक है। इस नक्षत्र में उन्नति, वृद्धि और सृजन बोध की अप्रतिम संभावनाएं समाहित हैं। इस नक्षत्र-मंडल के शेष तीन चतुर्थांश बुध द्वारा शासित कन्या राशि में अंश 0 मिनट से 10 डिग्री 0 मिनट तक फैले हुए हैं। कन्या और बुध दोनों का संगम विलक्षण परिस्थितियां निर्मित कर रहे हैं। 

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उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का मूल उद्देश्य क्या

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र का मूल उद्देश्य मोक्ष है। इसलिए इस वर्ष का धनतेरस का पर्व यश, स्वास्थ्य, ऐश्वर्य और मुक्ति का बोध लेकर आ रहा है।उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लक्ष्मी-कुबेर की आराधना, जहां आर्थिक स्थिति के लिए मिश्रित परिणाम देगी, वहीं अगला साल कई मामलों में पिछले साल से बेहतर साबित होगा।

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धनतेरस पर कौन से दो शुभ योग हैं? 

बता दें त्रयोदशी 22 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 2 मिनट पर शुरू हो जाएगी और इसका समापन 23 अक्टूबर को शाम 06 बजकर 03 मिनट पर होगा। उदया तिथि के हिसाब से इसे 23 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। इस दिन दो शुभ योग भी बन रहे हैं। सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन है और दोपहर 02:33 से अमृत सिद्धि योग शुरू होगा जो पूरे दिन रहेगा। इन दोनों योग के कारण धनतेरस बेहद शुभ होगी। धनतेरस पर प्रदोष काल या वृष लग्न में कुबेर और लक्ष्मी का पूजन उत्तम माना जाता है। वहीं भगवान धन्वंतरि को हिंदू धर्म में देव वैद्य का पद हासिल है। इसलिए आरोग्य के लिए धन्वन्तरि की पूजा अमृत चौघड़िया, लाभ चौघड़िया, वृष लग्न में करनी चाहिए।

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धनतेरस को खरीददारी व दीपदान का शुभ मुहूर्त

सोना-चांदी, जमीन, मकान,वाहन आदि किसी भी तरह की खरीदारी के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 08:17 से शुरू होकर शाम 04:30 तक रहेगा। शाम 04:30 बजे से राहुकाल शुरू हो जाएगा जो 6 बजे तक रहेगा। इस बीच खरीददारी करने से परहेज करें। इसके बाद शाम 6 बजे से लेकर रात 11:05 मिनट तक खरीददारी की जा सकती है। दीपदान का शुभ समय शाम 07:17 मिनट से 08:53 मिनट तक है।

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कब क्या खरीदें?

लक्ष्मी सदैव हिसाब किताब यानी अकाउंट (बही खाते) में निवास करती हैं। धन त्रयोदशी पर बही खाता यानी पुस्तक खरीदने और उसके पूजन का उल्लेख परंपराओं में मिलता है। वहीं बता दें कि बही खाता शुभ-चौघड़िया में ही खरीदना चाहिए। धनतेरस पर रजत यानी चांदी क्रय करना सौभाग्य कारक माना जाता है। कहते हैं कि इस दिन खरीदे हुए रजत में तेरह गुने की वृद्धि हो जाती है। चांदी खरीदने की स्थिति न होने पर ताम्र या अन्य धातुओं का क्रय किया जा सकता है। सोना चांदी और अन्य धातु वृष लग्न में खरीदना चाहिए।

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